मुरादाबाद जिला अस्पताल में डॉक्टर कमरे में ताला डालकर निकले, मरीज धूप में तीन घंटे तक हो रहे परेशान
National Mental Health Program मुरादाबाद जिला अस्पताल में बने मानसिक स्वास्थ्य कक्ष में सोमवार को सम्भल और रामपुर के मानसिक दिव्यांग को तीन घंटे तक धूप में इंतजार कराया गया। इतना ही नहीं बार-बार कहने पर भी उनकी बात नहीं सुनी गई।
By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Tue, 31 May 2022 04:56 PM (IST)
मुरादाबाद, जेएनएन। Moradabad District Hospital : मुरादाबाद जिला अस्पताल में बने मानसिक स्वास्थ्य कक्ष में सोमवार को सम्भल और रामपुर के मानसिक दिव्यांग को तीन घंटे तक धूप में इंतजार कराया गया। इतना ही नहीं बार-बार कहने पर भी उनकी बात नहीं सुनी गई। स्वास्थ्य अधिकारियों के हस्तक्षेप पर बुधवार की तारीख दी गई है। दिव्यांग घोषित करने से पहले डाक्टर मानसिक क्षमता का परीक्षण करते हैं।
मानसिक परेशानी वाले मरीजों की बौद्धिक स्तर (आइक्यू) परखते हैं। इसमें देखा जाता है कि वह सामने वाले की बात को कहां तक समझ पा रहे हैं। इसके बाद उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाता है। सम्भल और रामपुर से आइक्यू चेक कराने के लिए तीन बच्चों को मुरादाबाद जिला अस्पताल लाया गया था। साढ़े 10 बजे से डेढ़ बजे तक बच्चे अस्पताल के बाहर खड़े रहे, लेकिन उनका परीक्षण कर रिपोर्ट नहीं लगाई गई।
उलटा उन्हें मानसिक रोग विशेषज्ञ के कक्ष के चक्कर भी कटवा दिए गए। वह भी अपने कक्ष में थे नहीं। वहीं, रामपुर बरेली गेट से मतलूब भी अपनी पत्नी की मानसिक परीक्षण कराने के लिए पहुंचे थे, उन्हें भी वापस भेज दिया गया। हंगामा होने पर परामर्शदाता कक्ष में ताला डालकर भाग निकले। नोडल अधिकारी से बात होने के बाद सभी को बुधवार को बुलाया गया है।
क्या बोले लोगः सम्भल के स्पर्श गुप्ता ने बताया कि हम लोग सुबह साढ़े 10 बजे जिला अस्पताल आ गए थे। यहां मानसिक दिव्यांग बच्चों का आइक्यू चेक होना था। पहले बोला गया कि डा. तिवारी से मिल लीजिये। इसके बाद कक्ष में ताला डालकर चले गए। सतेंद्र कुमार का कहना है कि बाहर से बच्चों को लाना काफी परेशानी वाला काम होता है। इस गर्मी में हम लोग गैलरी में खड़े हैं। बच्चे जमीन पर बैठे हैं। कई बार कहने के बाद भी हमारी बात को नहीं सुना गया। रामपुर के मतलूब ने बताया कि मैं अपनी पत्नी को लेकर आया हूं। इन्हें मानसिक परेशानी है। रामपुर के डाक्टर ने मुरादाबाद के लिए रेफर कर दिया। यहां पर्चा बनवाने के बाद भी भटक रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। हमें डांटकर भगा दिया गया।
क्या बोले अधिकारीः राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दीपक वर्मा ने बताया कि सम्भल से आए बच्चों के पत्र पूरे नहीं थे। इसके अलावा सम्भल में आइक्यू चेक हो सकता है। वहां स्टाफ मौजूद है। इसके बाद भी मुरादाबाद क्यों रेफर कर दिया। यह बात समझ में नहीं आ रही है। कांउसलर कुछ देर के लिए मेरे कार्यालय में आए थे। इस वजह से वहां ताला लगा था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।