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Navratri: पालकी पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा, हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा फलदाई; घटस्थापना का ये है शुभ मुहूर्त

Navratri 2024 शरदीय नवरात्रि का पर्व गुरुवार से शुरू हो रहा है। इस बार पांच व छह अक्टूबर को तृतीया तिथि होगी। 11 को अष्टमी नवमी का पूजन एक दिन होगा। अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर दोपहर 12.31 से शुरू होगी और 11 को दोपहर 12.06 पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। सुबह 6 24 से दोपहर 1239 बजे तक घटस्थापना करने का मूहुर्त रहेगा।

By Tej Prakash Saini Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 02 Oct 2024 01:02 PM (IST)
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Navratri 2024: नवरात्रि इस बार तीन अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। शारदीय नवरात्र की शुरुआत तीन अक्टूबर से हो रही है। इस बार माता पालकी में सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी। साथ ही इस बार नवरात्र के पहले दिन ऐन्द्र योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा, जो फलदाई रहेगा।

आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि तीन अक्टूबर, मंगलवार की आधी रात 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू जाएगी और तिथि का समापन चार अक्टूबर को रात दो बजकर 58 मिनट पर होगा।

ये है मुहूर्त का समय

तीन अक्टूबर को घटस्थापना का मुहूर्त सुबह छह बजकर 15 मिनट से लेकर सात बजकर 22 मिनट तक होगा। घटस्थापना के लिए कुल एक घंटा 06 मिनट का समय रहेगा। इसके अलावा, घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी किया जा सकता है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। जिसके लिए 47 मिनट का समय मिलेगा। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है। इससे देवी प्रसन्न होती हैं। कलश को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है। इसकी स्थापना करने से जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं।

दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा स्तोत्र और दुर्गा चालीसा का पाठ करें

ज्योतिष पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि देवी दुर्गा के भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं, दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा स्तोत्र और दुर्गा चालीसा व कुछ लोग रामचरितमानस का भी पाठ करते हैं। नवरात्र के दौरान भक्ति भाव से देवी दुर्गा की पूजा करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है l ज्योतिष पंडित सुरेंद्र कुमार शर्मा

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अगर घर में कलश की स्थापना एक बार कर दी जाए तो उसे 9 दिनों तक नहीं हिलाना चाहिए और कलश की स्थापना के बाद उस स्थान की साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। जहां पर कलश स्थापित किया हो वहां पर शौचालय या बाथरूम आसपास नहीं होना चाहिए और कलश को अपवित्र हाथों से नहीं छूना चाहिए। पंडित केदार नाथ मिश्रा

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