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Jat Land में रालोद पर लगाम और Tikait को थामना भाजपा प्रदेश अध्यक्ष Bhupendra Singh का पहला काम

New UP BJP President News रालोद अध्यक्ष जयंत के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद गठबंधन संसदीय चुनाव में भी कायम रहने की संभावना है। विधानसभा चुनाव के समीकरण रहे तो लोकसभा चुनाव में रालोद कुछ सीटें हासिल कर सकता है। यह सीधे तौर पर भाजपा का ही नुकसान होगा।

By Vivek BajpaiEdited By: Updated: Thu, 25 Aug 2022 04:37 PM (IST)
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Chaudhary Bhupendra Singh Latest Update: भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह। जागरण आर्काइव
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Chaudhary Bhupendra Singh News: भाजपा के जाट नेता भूपेंद्र सिंह (Chaudhary Bhupendra Singh) के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बड़ी चुनौती है। दिल्ली में किसान आंदोलन के बीच भाजपा और जाटों के बीच पैदा हुई अविश्वास की दरार को उन्हें पाटना है तो राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को रोकना और भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को थामने का काम भी करना होगा।

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सपा के साथ गठबंधन के बाद विधानसभा चुनाव में सपा को तो ज्यादा फायदा नहीं हुआ लेकिन रालोद को मजबूती मिली है। सपा के वोट रालोद के खाते में जाने और कुछ जाटों की नाराजगी के चलते विधानसभा चुनाव-2022 में जयंत सिंह चौधरी की पार्टी को आठ सीटें मिली थीं।

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रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद गठबंधन संसदीय चुनाव में भी कायम रहने की संभावना है। विधानसभा चुनाव के समीकरण रहे तो लोकसभा चुनाव में रालोद कुछ सीटें हासिल कर सकता है। यह सीधे तौर पर भाजपा का ही नुकसान होगा। भूपेंद्र सिंह के जाट होने की वजह से वह जाटलैंड में पहले से ही असर रखते हैं।

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भाजपा रणनीतिकारों की सोच है कि उनके अध्यक्ष बनने के बाद अब जाटों में सकारात्मक संदेश जाएगा। ऐसे में रालोद के प्रभाव को रोकने में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, वहीं दिल्ली सीमा पर एक साल तक आंदोलन में अग्रणी रही भाकियू की फिर आंदोलन से जाटों को अलग रख सकते हैं। लखीमपुर का महाप़ड़ाव इसकी शुरुआत मानी जा रही है। हालांकि भूपेंद्र सिंह को इसके लिए बहुत सक्रियता दिखानी होगी।

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बड़ा सवाल: अब कौन बनेगा भूपेंद्र सिंह का उत्तराधिकारी

भूपेंद्र सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद अब उनके मंत्री पद को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है। चेतन चौहान की मृत्यु होने के बाद अमरोहा जिले को मंत्री पद नहीं मिल पाया। भूपेंद्र सिंह की वजह से मुरादाबाद के अन्य नेता इस रेस में आगे नहीं निकल सके थे। पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का नियम होने की वजह से यह तय है कि भूपेंद्र सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।

ऐसे में एमएलसी डा. जयपाल सिंह व्यस्त व शहर विधायक रितेश गुप्ता की लाटरी निकल सकती है। दोनों ही दो-दो बार के विधायक हैं। अमरोहा में भाजपा के राजीव तरारा व महेन्द्र सिंह ख़ड़गवंशी विधायक हैं।तरारा अनुसूचित जाती और खड़गवंशी पिछड़ी जाति से हैं। दोनों ही दोबारा विधायक बने हैं। उनकी भी दावेदारी बन रही है।

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