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हादसे में रोजाना जा रही जान, मुरादाबाद मंडल में एक भी ट्रामा सेंटर नहीं Moradabad News

शासन के निर्देश हैं कि हाईवे पर ट्रामा सेंटर अनिवार्य रूप से होने चाहिएं। इसके बावजूद मंडल में एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है।

By Narendra KumarEdited By: Updated: Sun, 23 Jun 2019 08:17 AM (IST)
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हादसे में रोजाना जा रही जान, मुरादाबाद मंडल में एक भी ट्रामा सेंटर नहीं Moradabad News
मुरादाबाद, जेएनएन। मंडल के जिले मुरादाबाद, रामपुर और अमरोहा से लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे निकलता है। सम्मल जिले से अलीगढ़ स्टेट हाईवे गुजर रहा है। शासन के निर्देश हैं कि हाईवे पर ट्रामा सेंटर अनिवार्य रूप से होने चाहिएं। इसके बावजूद मंडल में एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है। स्थिति यह है कि वर्ष 2018 से अब तक मंडल में हादसों में 11 सौ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इनमें ज्यादातर की जान समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से हुई हैं। जिला मुख्यालय मुरादाबाद के अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर तो बनाया गया लेकिन, न्यूरोसर्जन, प्लास्टिक सर्जन और हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होने की वजह से मेडिकल वार्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।

सुविधाएं नहीं, मेडिकल वार्ड बन गाय ट्रामा सेंटर

मुरादाबाद : हाईवे पर हर साल हादसों में इजाफा हो रहा है। तीन सालों में अब तक 1, 126 लोगों की जान इलाज न मिलने की वजह से गई है। जिला मुख्यालय के अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर तो बनाया गया लेकिन, न्यूरोसर्जन, प्लास्टिक सर्जन और हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होने की वजह से मेडिकल वार्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली रोड, कांठ रोड पर निजी अस्पताल बने हैं। गंभीर मरीजों के इलाज की भी व्यवस्था है। हाईवे पर सरकारी ट्रॉमा सेंटर बने होते तो मरीजों की जिंदगी बच सकती थी। तीन सालों में 1,967 हादसों में 1, 503 लोग घायल हुए और इलाज के अभाव में 1, 126 लोगों की मौत हो गई। इसमें कुछ लोग वो भी शामिल हैं, जिनकी मौत मौके पर ही हो गई।

मुरादाबाद जिले के ये खतरनाक स्पॉट

टीएमयू कट, पाकबड़ा, टेंपो स्टैंड, पाकबड़ा, हवाई पट्टी के सामने, मूंढापांडे, छपरा मोड़, मूंढापांडे, जीरो प्वाइंट, मूंढापांडे, उमरी चौराहा, कांठ, कुचावली, कांठ, कैंच की पुलिया, छजलैट, मथाना, छजलैट, लोकोशेड पुल, सिविल लाइन, धर्मकांटा के समीप, मझोला, हनुमान मूर्ति तिराहा, कटघर, रामपुर दोराहा, कटघर, रामगंगा पुल, कटघर, डींगरपुर, मैनाठैर।

 इन अस्पतालों में इमरजेंसी

दिल्ली रोड

तीर्थांकर महावीर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल, एपेक्स अस्पताल चौधरी चरण सिंह चौक, साईं अस्पताल दिल्ली रोड।

कांठ रोड

सिद्ध मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल एवं ट्रॉमा सेंटर हरथला, एशियन विवेकानंद अस्पताल हरथला, कॉसमॉस अस्पताल, कोठीवाल डेंटल कालेज

टांडा-बाजपुर रोड

फोटोन अस्पताल सिरसवां दोराहा

संसाधनों के अभाव में बेदम होते खून से लथपथ शरीर

अमरोहा : नेशनल हाईवे हो या फिर स्टेट हाईवे, जिले में हर रोज कहीं न कहीं इंसान के खून से लाल हो रहा है। इन हादसों के लिए हम खुद जिम्मेदार तो हैं ही साथ में कहीं न कहीं सरकारी अमला भी जिम्मेदार है। हाईवे पर जिले की सीमा में एक दर्जन ऐसे अवैध कट हैं जो हादसों का सबब बन रहे हैैं। फिर घायलों का उपचार करने के लिए चिकित्सीय सेवाएं भी वक्त पर दम तोड़ देती हैं। गजरौला हो या जोया किसी भी स्थान पर गंभीर रोगी का उपचार नहीं किया जा सकता। जिले में ट्रामा सेंटर नही है। रेफर करना डॉक्टर्स की मजबूरी है। मुरादाबाद, दिल्ली या मेरठ ले जाते समय घायल की मौत हो जाती है। एक साल में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 248 पहुंच चुकी है। जबकि, घायलों की संख्या तो छह सौ से अधिक है।

हादसों के लिए अवैध कट भी हैं जिम्मेदार

हाईवे पर ब्रजघाट से लेकर चौधरपुर तक एक दर्जन ऐसे कट बना लिए गए हैं जो पूरी तरह से अवैध हैं। लोगों ने यह कट अपनी जरुरतें पूरी करने के लिए डिवाइडर तोड़ कर बना लिए हैं। प्रमुख रूप से हाईवे पर तो यही कट हादसों का सबब बन रहे हैं। इसके अलावा तेज रफ्तार व गलत ओवरटेकिंग भी लोगों की जान के दुश्मन हैं। यदि बीते छह दिन में हाईवे पर हुए हादसों पर गौर करें तो वह तेज रफ्तार व ओवरटेक के चलते हुए हैं।

हाईवे पर एक्सीडेंट जोन

अमरोहा : हाईवे पर सबसे पहले चौधरपुर में थ्री-ए बाजार के सामने का डिवाइडर एक्सीडेंट जोन है, साथ ही संभल चौराहा व जोया चौराहे पर भी बड़े हादसे हो चुके हैं। नारंगपुर चौराहे पर भी आए दिन वाहन भिड़ते रहते हैं। रजबपुर थाना क्षेत्र में अतरासी चौराहा व सद्भावना ढाबे के सामने व झनकपुरी क्रासिंग पर हाईवे अक्सर खून से लाल होता रहता है। उसके बाद मोगा ढाबा के सामने चौराहा, मोहम्मदाबाद व ब्रजघाट से पहले खुले डिवाइडर हादसों को दावत दे रहे हैं।

नहीं मिलती चिकित्सीय सेवाएंं

अमरोहा : ब्रजघाट से लेकर चौधरपुर तक मुख्यत गजरौला व जोया के दो सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें गंभीर रोगियों को एक घंटा रोकना भी मुश्किल होता है। यहां पर संसाधनों के अभाव में चिकित्सीय सेवाएं खुद दम तोड़ रही हैं। हाईवे पर ट्रामा सेंटर स्थापित किए जाने का मुद्दा बीते एक दशक से उठाया जा रहा है। लेकिन न तो अधिकारी व न ही जनप्रतिनिधि इस तरफ ध्यान दे रहे हैं। नतीजतन अभी तक जिले में हाईवे पर ट्रामा सेंटर नहीं खोला जा सका है। जिला अस्पताल भी दूरी पर है। उपचार न मिलने के कारण कई बार गंभीर रोगी मुरादाबाद या मेरठ ले जाते समय बेवक्त मौत की आगोश में समा जाते हैं।

थानावार हुए हादसों के शिकार

डिडौली                              23

रजबपुर                              25

गजरौला                             49

धनौरा                                25

हसनपुर                             31

सैदनगली                           22

नौगावां                               22

आदमपुर                            21

देहात                                16

अमरोहा                            13

ट्रामा सेंटर बनें तो बच सकेंगी कई जानें

रामपुर : जिले में सड़क हादसों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। एक-एक दिन में कई हादसे हो रहे हैं और समय पर इलाज न मिलने से घायल दम तोड़ देते हैं। पिछले माह की बात करें तो 27 मई को सड़क हादसों में नौ लोगों की जान चली गई। इनमें एक हादसा मिलक तहसील क्षेत्र में हुआ था, जिसमें भाई बहन समेत तीन की मौत हुई थी। मरने वालों में छह साल की बच्ची भी थी। तीनों बाइक पर थे। कार ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी थी। मरने वालों में खमरिया गांव निवासी नरेश कुमार गंगवार की 20 वर्षीय पुत्री शिवानी गंगवार, पड़ोसी जागेश्वर गंगवार की छह साल की बेटी अंशिका उर्फ मनु और किरा गांव का 21 वर्षीय दिनेश थे। इसी दिन बिलासपुर में भी हादसा हुआ था, जिसमें मजदूरी करने जा रही महिलाओं को ट्रक ने रौंद दिया था। इस हादसे में बिलासपुर के सेठ कालोनी निवासी 22 वर्षीय डौली और उसकी 18 वर्षीय बहन सुनीता साहनी की मौत हो गई की। इसी दिन भोट थाना क्षेत्र के गांव तालकपुर निवासी नन्हे की पत्नी मस्कीन की सड़क हादसे में मौत हुई थी। घटना के समय वह पत्नी को बाइक पर दवाई दिलाने ले जा रहा था। रास्ते में ट्रक ने बाइक में टक्कर मार दी थी। इसी रात पटवाई रोड पर वाहन की टक्कर से बाइक सवार की मौत हो गई थी। गौर करने लायक बात यह है कि इन हादसों में ज्यादातर की मौत इसलिए हुई, क्योंकि उन्हें समय पर उपचार नहीं मिला।

ट्रामा सेंटर क्यों जरूरी

जिले में ट्रामा सेंटर की बहुत जरूरत है। इसके लिए घोषणा तो हुई थी, लेकिन अमल नहीं हो सका। दरअसल, रामपुर में जिला अस्पताल के अलावा तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं और पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। अफसोस की बात यह है कि इन किसी भी सरकारी अस्पताल में गंभीर घायलों के इलाज की कोई सुविधा नहीं है। तहसीलों में बने सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले घायलों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है और जिला अस्पताल से हायर सेंटर। इन सब प्रक्रिया में ज्यादा समय होने से मरीज को समय पर सही उपचार नहीं मिल पाता और मुरादाबाद, बरेली, मेरठ, दिल्ली ले जाते समय उसकी रास्ते में ही मौत हो जाती है। यदि सभी तहसीलों में ट्रामा सेंटर की व्यवस्था हो जाए तो सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या को कम किया जा सकता है। यह संभव न हो तो भी जिला मुख्यालय पर ही कम से कम एक ट्रामा सेंटर तो अवश्य होना चाहिए। जिला मुख्यालय से सभी तहसीलों की दूरी 20 से 30 किलोमीटर है। ऐसे में मुख्यालय पर ट्रामा सेंटर बनाया जाना बहुत जरूरी है, ताकि सड़क हादसों के घायलों को समय पर उपचार मिल सके।

यातायात नियमों की अनदेखी से हो रहे हादसे

यातायात प्रभारी सुमित कुमार का कहना है कि जिले में हर साल सड़क हादसों में 250 से 300 लोगों की मौत हो जाती है। पिछले वर्ष तो यह आंकड़ा 300 के पार पहुंच गया था। वह मानते हैं कि ज्यादातर सड़क हादसे यातायात नियमों की अनदेखी से होते हैं। बाइक चलाते समय लोग हेलमेट नहीं पहनते हैं। इसके अलावा दो पहिया वाहन पर तीन सवारी बैठाकर चलाते हैं। लोगों को समझना होगा कि यातायात नियम उनकी सुरक्षा के लिए हैं और उन्हें इसका पालन करना चाहिए। ऐसा करने पर सड़क हादसे कम होने लगेंगे।

हाईवे पर सड़क हादसों में जा रही लोगों की जान

सम्भल : वाहनों की तेज गति व चालकों को मानकों की जानकारी न होने की वजह से हाईवे पर लगातार हादसे बढ़ रहे है। सम्भल जिले में भी यही हाल है। यहां आए दिन हादसे हो रहे है। खास बात यह है कि हादसों में घायल लोगों को यहां उपचार मिलता मुनासिब नहीं होता। ट्रामा सेंटर यहां नहीं होने से घायल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक व जिला अस्पताल ले जाए जाते हैैं लेकिन, यहां से घायलों को बिना उपचार के ही रेफर स्लिीप देकर हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है।

सम्भल जिले से मेरठ बदायूं व आगरा मुरादाबाद दो राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैैं। इनमें आगरा मुरादाबाद हाईवे पर कस्बा धनारी में प्राथमिक व मेरठ बदायूं मार्ग पर कस्बा जुनावई में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पड़ता है। इन दोनों हाइवों पर केवल एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पड़ता है। इन दोनों केंद्रों पर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। बीते दो दिन पहले भी आगरा बदायूं मार्ग पर गांव लहरावन में डीसीएम व बोलेरो पिकअप की टक्कर हुई थी, जिनमें सात लोगों की मौत हो गई थी जबकि 10 लोग घायल हो गए थे। घायलों को बहजोई के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जहां से उन्हें प्राथमिक उपचार देने के बाद अलीगढ़ के लिए रेफर कर दिया। तीन माह पहले भी आगरा मुरादाबाद हाईवे पर कस्बा नरौरा के समीप काली मंदिर पर रोडवेज बस व बोलेरो की टक्कर में आठ लोगों की जान गई थी। कई लोग घायल हो गए थे। हालांकि हादसों में घायल लोगों को इन प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से अलीगढ़ के लिए रेफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल में भी घायलों को उपचार नहीं मिलता है। यहां न तो मशीनरी है और नाहीं सर्जन। केवल प्राथमिक उपचार के बाद घायलों को रेफर स्लिीप देकर टरका दिया जाता है। अगर सम्भल जिले में भी ट्रामा सेंटर स्थापित हो जाए तो लोगों को उपचार मिल सकेगा।

हादसे होने का स्थान

आगरा मुरादाबाद हाईवे पर कस्बा नरौरा के समीप काली मंदिर पर सबसे अधिक हादसे होते है। वर्ष 2018 में सड़क हादसों में लोगों की जान गई। जिले में 27 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, 1 जिला अस्पताल।  

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