सफर से पहले ध्यान दें, परिवहन निगम नहीं, उत्तर प्रदेश परिवर्तन की यह बस
मंडल के सम्भल जिले में नकली रोडवेज बसों का बोलबाला है। हूबहू सरकारी बसों की तरह दिखने वाली यह नकली रोडवेज बस यात्रियों को धोखा दे रही हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन: मंडल के सम्भल जिले में नकली रोडवेज बसों का बोलबाला है। हूबहू सरकारी बसों की तरह दिखने वाली यह नकली रोडवेज बस यात्रियों को धोखा दे रही हैं। कस्बा के नेहरु चौक से आसपास के तमाम गांवों से सैकड़ों की संख्या में यात्री रोजाना दिल्ली व एनसीआर की ओर जाते हैं। इसके अलावा अलीगढ़, बदायूं, आगरा व मुरादाबाद जाने वाले यात्रियों की संख्या भी अच्छी-खासी तादाद में हैं। अब बात करें परिवहन की तो इस जिले में रोडवेज बसों का काफी अभाव है। जिला मुख्यालय बहजोई हो या फिर मुख्य तहसील चन्दौसी, वहां तक जाने के लिए इक्का-दुक्का रोडवेज बस हैं। ऐसे में यात्री डग्गामार वाहनों से सफर करने के लिए मजबूर हैं। इस समस्या का फायदा डग्गामार व प्राइवेट बस चालक खूब उठा रहे हैं। गुन्नौर से औसतन रोजाना एक दर्जन से भी अधिक नकली रोडवेज की बसें दिल्ली के लिये रवाना की जाती है। यह बसें देखने में हूबहू असली रोडवेज बस की तरह लगती हैं।
नकली बस सेवा का नमूना परिवर्तन की यह बस
उत्तर प्रदेश परिवहन की जगह पर इन बस संचालकों ने अपनी बसों पर उत्तर प्रदेश परिवर्तन शब्द लिखा रखा है लेकिन इनका किराया मानक से कहीं अधिक होता है। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली यात्री रंग-रोगन को देखकर धोखा खा जाते हैं और इन बसों पर सवार हो जाते हैं। कभी कभी तो जल्दबाजी के चक्कर में शिक्षित भी इनका शिकार बन जाते हैं। दूर से बस को आता देख कोई भी यात्री उन्हें रोडवेज की बस ही समझता है। यात्री आरिफ पुत्र मुजाहिद ने बताया कि दिल्ली के लिये सफर करने के लिये भूलवश वह इस प्रकार की बस में बैठ गया। अमूनन रोडवेज बस द्वारा दिल्ली का सफर पूरा करने में चार घंटे का समय लगता है परन्तु इन बसों से छ घंटो के बाद दिल्ली पहुंचा जा सका। इसके अलावा ये बस संचालक अपनी मर्जी के हिसाब से ढाबों पर बसों को रोकते हैं। जहां पर यात्रियों की जेब और ढीली हो जाती है।
लाखों की लागत से बना चेकपोस्ट भी दिखावा
नफीस चौराहे पर परिवहन विभाग द्वारा सरकारी बसों को चेक करने के लिए लाखों की लागत से चेकपोस्ट भी बनाया गया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन पोस्टों पर भी बसों को चेक नहीं किया जाता है। परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते दोनों चेकपोस्टों पर कोई तैनाती नहीं की गयी। धीरे धीरे लाखो रुपयों की लागत से बने चेकपोस्टों पर स्थानीय दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है।
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