Railway Survey: यात्रियों का एसी सफर के प्रति बढ़ा रुझान, अब स्लीपर कोच घटाकर बढ़ाए जाएंगे थर्ड एसी डिब्बे
Railway Survey News अभी तक कुछ विशेष ट्रेनों को छोड़कर अन्य भी एक्सप्रेस व मेल ट्रेनों में सबसे अधिक स्लीपर के कोच लगाए जाते हैं क्योंकि स्लीपर क्लास में मध्यम आय वर्ग के साथ उच्च आय वर्ग के लोग सफर करते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Vivek BajpaiUpdated: Wed, 30 Nov 2022 04:51 PM (IST)
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Railway Survey News: रेल प्रशासन ने ट्रेनों में स्लीपर कोच की संख्या कम करनी शुरू कर दी है। इसके स्थान पर एसी थ्री के कोच की संख्या में वृद्धि की जा रहे है। जनरल बोगी की संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेलवे यह बदलाव एक सर्वे के बाद कर रहा है, जिसमें यह बात सामने आई है कि यात्रियों का एसी सफर के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इसलिए रेलवे ने ट्रेनों में एसी कोच बढ़ाने का निर्णय लिया है। एसी-3 में कोचों की वृद्धि से यात्रियों पर स्लीपर की अपेक्षा बहुत अधिक बोझ भी नहीं बढ़ेगा।
धीरे-धीरे रेलवे व्यावसायिक हो रहा है। यात्रियों की मांग को देखते हुए ट्रेनों में सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। हालांकि, दैनिक यात्रियों व गरीब यात्रियों की सुविधाएं तो जस की तस हैं। अभी तक कुछ विशेष ट्रेनों को छोड़कर अन्य भी एक्सप्रेस व मेल ट्रेनों में सबसे अधिक स्लीपर के कोच लगाए जाते हैं, क्योंकि स्लीपर क्लास में मध्यम आय वर्ग के साथ उच्च आय वर्ग के लोग सफर करते हैं। जबकि एसी कोच की संख्या दो से चार तक होती है।
ट्रेनों में लगाए जा रहे आधुनिक कोच
जनरल बोगी की संख्या तीन से चार होती है। अब रेलवे विभिन्न मार्गों से सर्वे कराया है, जिससे पता चला कि स्लीपर की भीड़ से बचने के लिए अधिकतर यात्री एसी थ्री में सफर करना चाहते हैं। इसको देखते हुए रेलवे ने सुविधा बढ़ाकर आय बढ़ाने की योजना बनाई है। अब ट्रेनों से पुराने कोच को हटाकर आधुनिक सुविधा वाला एलएचबी कोच लगाना शुरू कर दिया है। इसके साथ स्लीपर कोच की संख्या कम करना शुरू कर दिया है।मालदा जाने वाली एक्सप्रेस में बढ़ाए गए चार एसी कोच
उदाहरण के लिए नयी दिल्ली से मालदा जाने वाली एक्सप्रेस में पहले एक एसी टू, दो एसी थ्री, दस स्लीपर व चार जनरल कोच लगे होते थे। अब बदल कर दो एसी टू, छह एसी थ्री व छह स्लीपर कोच लगाए गए हैं। यानी स्लीपर की चार बोगी कम करके उन्हें एसी थ्री का रूप दे दिया गया है। इसी तरह से श्रमजीवी एक्सप्रेस में बदलाव किया गया है।
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