Railway Washable Apron : मुरादाबाद रेल मंडल में अब मुख्यालय की मर्जी से होगी रेलवे स्टेेशन के प्लेटफार्म की सफाई
Railway Washable Apron रेल प्रशासन के द्वारा तर्क दिया जाता है कि ट्रेनों में बायो टाॅयलेट लगने के बाद पटरी पर शौच नहीं गिरता है। जबकि वास्तविकता यह है कि लंबी दूरी की ट्रेनों के बायो टाॅयलेट की टंकी भर जाने की स्थिति में परेशानी आती है।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Railway Washable Apron : आर्थिक तंगी के कारण रेल प्रशासन काम रोकने के लिए नए-नए तरीके अपना रहा है। स्टेशन की सफाई के लिए स्वीकृत वाशेबिल एप्रेन का निर्माण कार्य रोक दिया है। कोरोना संक्रमण के बाद लंबे समय तक काफी संख्या में ट्रेनों का संचालन बंद रहा। अभी पैसेंजर ट्रेनें नहीं चल रहीं हैं। इससे रेलवे की आर्थिक स्थिति खराब हुई है। माल ढुलाई से आय बढ़ी है, लेकिन घाटे कम नहीं हुए हैं। रेलवे ने अधिकांश बड़े निर्माण कार्य को बंद कर दिया है। कई रेलवे स्टेशनों की आधुनिक मशीन से सफाई का ठेका तक निरस्त कर दिया गया है।
मुरादाबाद रेलवे स्टेशन के अधिकांश प्लेटफार्म की रेलवे लाइन वाशेबिल एप्रेन के ऊपर है। इससे ट्रेन जाते ही कर्मचारी पानी के प्रेशर से लाइन पर फैली गंदगी को साफ कर देते हैं। प्लेटफार्म संख्या पांच के नीचे वाशेबिल एप्रेन नहीं बनाया हुआ है। इससे ट्रेन जाने के बाद कर्मचारियों को मैनुअल सफाई करनी पड़ती है। मिट्टी व पत्थर होेने के कारण यहां ठीक तरह से सफाई नहीं हो पाती है। इससे ट्रेन जाने के बाद प्लेटफार्म पर खड़े यात्रियों को परेशानी होती है। जबकि वर्ष 2018 में तत्कालीन डीआरएम अजय कुमार सिंघल ने यहां वाशेबिल एप्रेन बनाने की स्वीकृति दे चुके थे। अब इसे भी निरस्त कर दिया गया है। रेल प्रशासन के द्वारा तर्क दिया जाता है कि ट्रेनों में बायो टाॅयलेट लगने के बाद पटरी पर शौच नहीं गिरता है। जबकि वास्तविकता यह है कि लंबी दूरी की ट्रेनों के बायो टाॅयलेट की टंकी भर जाने की स्थिति में कई बार बड़े स्टेशनों पर टंकी खाली की जाती है। कहा जाता है कि जिस स्टेशन पर वाशेबिल एप्रेन की जरूरत होगी, वहां प्रमुख मुख्य अभियंता की स्वीकृति के बाद इसे बनाया जाएगा। नरमू के मंडल मंत्री राजेश चौबे कहते हैं कि अधिकारियों की गलत नीति के कारण यात्री व कर्मचारियों दोनों को परेशानी हो रही है। सफाई का ठेका निरस्त कर दिया है, सीमित सफाई कर्मचारियों को मैनुअल सफाई करनी पड़ रही है।