Raksha Bandhan: वर्षों से हिंदू भाई की कलाई पर राखी बांधती आ रही हैं मुस्लिम बहनें, धर्म अलग पर रिश्ता है अटूट
Raksha Bandhan 2023 भाई-बहन के अटूट प्रेम के साथ-साथ रक्षाबंधन हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी है। मुरादाबाद में कई हिंदू भाई ऐसे हैं जो मुस्लिम बहनों से राखी बंधवाते हैं। कोई 30 साल से भाईयों की कलाई पर राखी बांध रहा है तो कोई 27 साल से। रक्षाबंधन पर धर्म से ऊपर उठकर ये भाई और बहनें लोगों को आपसी सौहार्द का संदेश देते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 30 Aug 2023 07:37 AM (IST)
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। रक्षाबंधन वो त्योहार जो है न धर्म देखता है और न ही अपना-पराया। भाई-बहन के अटूट प्रेम के साथ-साथ रक्षाबंधन हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी है। शहर में कई हिंदू भाई ऐसे हैं जो मुस्लिम बहनों से राखी बंधवाते हैं। मुस्लिम बहनें भी अपने भाई के घर जाकर उनकी कलाई पर राखी बांधती है। यह सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है।
गुजराती मुहल्ला निवासी विकास रस्तोगी की कलाई पर मुस्लिम बहन इकबाल वारसी राखी बांधती आ रही हैं। दोनों के परिवार में पुराने संबंध हैं। विकास रस्तोगी की सगी बहन का निधन 30 पहले हो गया था। तब विकास रस्तोगी को झब्बू का नाला निवासी इकबाल वारसी ने राखी बांधना शुरू की।
इस भाई-बहन के रिश्ते तो विकास व इकबाल वारसी अभी तक निभाते आ रहे हैं। विकास रस्तोगी कहते हैं कि पिछले साल इकबाल वारसी अपने बेटे से मिलने इंग्लैंड गई थीं। जब रक्षाबंधन करीब आया तो वह राखी बांधने के लिए इंग्लैंड से वापस आ गई थीं।
विनोद अग्रवाल को 27 साल से राखी बांध रहीं शीरीगुल
गुईयां बाग निवासी एवं वार्ड 59 की पार्षद शीरीगुल महापौर विनोद अग्रवाल को 27 साल से राखी बांधती आ रही हैं। दोनों में राजनीतिक उठापटक सुनने को भले मिलती हो लेकिन, दोनों में भाई बहन जैसा पवित्र रिश्ता है। शीरीगुल कहती हैं कि जब उनके पति डा. अथहर अली का इंतकाल हुआ था। तब भाई की तरह दुख में मेरा साथ दिया।
एक बार मेरे बेटे का ऑपरेशन हुआ था, तब विनोद अग्रवाल पांच घंटे तक अस्पताल में खड़े रहे थे। कहती हैं कि वह अब महापौर हैं और में पार्षद हूं। मेरे वार्ड में भी उतना विकास कार्य कराते हैं, जितना दूसरों के वार्डों में।
राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में हुई खटपट, लेकिन प्यार है बरकरार
कई बार उनसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते खटपट भी हुई है। लेकिन, भाई-बहन का रिश्ता बरकरार है। कहती हैं मेरे पति भाजपा में थे और विनोद अग्रवाल का परिवार भाजपा से जुड़ा हुआ था। उनके निधन के बाद मैं भी भाजपा में रही। लेकिन, बाद में सपा ज्वाइन कर ली। संघ से मेरे पति के अच्छे रिश्ते थे।
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