Moradabad में जला नहीं सुलगता रहा रावण का पुतला, डीजल छिड़ककर हुआ रावण दहन
Ravana Dahan 2022 दसवां घाट पर गुरुवार को दशहरा मेले का आयोजन बारिश ने फीका कर दिया। शाम को सात बजे से दस बजे तक बूंदाबांदी के कारण रावण का पुतला भीग गया। जिसे जलाने के लिए डीजल का इंतजाम किया गया।
By Tej Prakash SainiEdited By: Samanvay PandeyUpdated: Fri, 07 Oct 2022 12:50 PM (IST)
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। Ravana Dahan 2022 : दसवां घाट पर गुरुवार को दशहरा मेले का आयोजन बारिश ने फीका कर दिया। शाम को सात बजे से दस बजे तक बूंदाबांदी के कारण रावण का पुतला भीग गया। जिसे जलाने के लिए डीजल का इंतजाम किया गया। दस बजे रावण के पुतले में आग लगाई। लेकिन,पुतला भीगने के कारण सुलग-सुलग कर जला।
पुतले में लगे पटाखे भी सील गए
पुतले में लगे पटाखे भी सील गए थे। पटाखे भी कम फूटे। बारिश के कारण मेले में भीड़ भी कम हो गई। रात को दस बजे बारिश के रुकने पर रावण का पुतला दहन किया गया। इससे पूर्व राम-रावण का युद्ध हुआ। जिसमें रावण की नाभि में अमृत होने का राज विभीषण श्री राम को बताते हैं।
नाभि में तीर मारते ही धरती पर गिरा रावण
नाभि में तीर मारते ही अमृत सूखने से रावण धरती पर गिर गया। इस तरह अहंकारी रावण का अंत हुआ। मंचन में इस दौरान प्रभु श्री राम के जयकारे लगे। दसवां घाट के लिए 40 फीट का रावण का पुतला बनाया गया था। दोपहर से दसवां घाट पर मेले में दुकानें सज गई थीं।बारिश ने मेले का मजा किया किरकिरा
शाम को बारिश होने से मेले का आनंद किरकिरा हो गया। व्यवस्था में अध्यक्ष यथार्थ किशोर, संरक्षक छत्रपाल सिंह सैनी एडवोकेट, आदितय वीर शास्त्री, इंद्रजीत शर्मा, चंद्र प्रकाश गुप्ता, राजेश वाल्मीकि, धर्मेंद यादव, रवि सैनी समेत अन्य मौजूद रहे।
लाइनपार की रामलीला में विभीषण का राजतिलक
लाइनपार की रामलीला में लंका में विभीषण का राज तिलक का मंचन किया गया। प्रभु श्री राम के हाथों रावण का वध होने के बाद विभीषण का राजतिलक करने लक्ष्मण जाते हैं और उनको लंका का राजा घोषित करते हैं। तत्पश्चात सीता को अशोक वाटिका से प्रभु श्री राम के पास वापस लौटने के मंचन ने दर्शकों को भावुक कर दिया।सीता की अग्नि परीक्षा
सीता के लंका से लौटने के बाद उन्हें अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा। इसके बाद प्रभु श्री राम अयोध्या के लिए प्रस्थान करते हैं। श्री राम बोले कि 14 वर्ष का वनवास पूरा हो चुका है। अगर एक दिन भी अयोध्या वापस लौटने में देरी हुई तो भरत अपने प्राण त्याग देगा।
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