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पश्चिमी यूपी की तीन विधानसभा सीटों पर रालोद की नजर, दो पर फंस सकता है पेंच; BJP भी लगा रही दांव

UP Assembly By Election उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। हालांकि अभी तक चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा नहीं की लेकिन पहले से ही पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। पश्चिमी यूपी की तीन सीटों पर रालोद की नजर है। इसमें दो सीटों पर दांव फंस सकता है भाजपा भी इन सीटों पर अपना दावा कर सकती है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 18 Jul 2024 10:09 AM (IST)
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व रालोद मुखिया जयंत चौधरी (फाइल फोटो)

संजय रुस्तगी, मुरादाबाद। (UP Assembly By Election) लोकसभा चुनाव के बाद रिक्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चार विधानसभा सीटों पर चुनावी बिसात बिछने लगी है। राजनीतिक दलों के नेतृत्व के पास दावेदार आवेदन कर रहे हैं।

प्रदेश सरकार के मंत्री भी इन सीटों पर भाजपा की तैयारियों को परख रहे हैं। चार सीटों में तीन राजग के पास थी, सिर्फ कुंदरकी सीट ही सपा के पास थी। उपचुनाव में भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की तीन सीटों पर निगाह लगी है। पार्टी इनपर दावेदारी की तैयारी कर रही है। इनमें दो पर पेच फंस सकता है।

लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई नौ सीटें

राज्य में लोकसभा चुनाव के बाद नौ विधानसभा सीटें रिक्त हुई हैं। यहां से 2022 में निर्वाचित विधायक अब सांसद बन गए हैं। इनमें चार सीट मीरापुर (रालोद), गाजियाबाद सदर (भाजपा), खैर (भाजपा) और कुंदरकी(सपा) पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं।

हालांकि, अभी निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक दलों में इसके लिए तैयारियां तेजी से चल रही हैं। भाजपा और सपा में आवेदन भी लिए जा रहे हैं। एक-एक सीट पर एक-एक पार्टी में 12 से अधिक दावेदार सामने आए हैं।

लोकसभा चुनाव में मिली दो सीटों में शत प्रतिशत जीत दर्ज करने से उत्साहित रालोद उपचुनाव में दमदारी दिखाना चाहता है। पार्टी मीरापुर, खैर और कुंदरकी सीट पर दावेदारी करने की तैयारी कर रही है।

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी के अनुसार

अभी यह कहना मुश्किल है, रालोद कौन सी सीट पर लड़ेगा कौन सी पर नहीं। हमारा जोर खुद लड़ने और न लड़ने से अधिक एनडीए की जीत पर है। मीरापुर से हमारे विधायक चंदन चौहान सांसद बने हैं। चुनाव नजदीक आने पर भाजपा के साथ बैठक होगी। जिसमें प्रत्याशी उतारने के बारे में मंथन किया जाएगा। जो भी निर्णय होगा, सार्वजनिक किया जाएगा।

मीरापुर सीट पर फंसा पेंच

मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट से 2022 में रालोद से विधायक बने चंदन चौहान बिजनौर से अपनी पार्टी से ही सांसद बने हैं। लिहाजा, रालोद इस सीट को अपना मानकर दावेदारी कर रही है।

उनका तर्क है कि इस सीट पर गुर्जर मत काफी हैं, रालोद जाटों के साथ इन्हें भी साथ रखना चाहती है। बिजनौर से सांसद रहे एक नेता इसके लिए जोर आजमाइश करते भी बताए जा रहे हैं। इसके विपरीत भाजपा खुद यहां से लड़कर और जीतकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सकारात्मक संदेश देना चाहती है। इसके अलावा अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट से विधायक अनूप वाल्मीकि इस बार हाथरस से भाजपा सांसद बने हैं।

सुरक्षित होने के बाद भी खैर पर जाट मतदाता काफी संख्या में है। खैर और इससे सटी इगलास कभी रालोद की परंपरागत सीटें मानी जाती थीं। लेकिन, भाजपा लगातार दो बार यहां से जीतने के कारण मुश्किल से रालोद को सीट देने को राजी होगी।

संभल पर भाजपा की नजर

संभल लोकसभा क्षेत्र की कुंदरकी सीट वैसे मुरादाबाद जिले का हिस्सा है। 1993 के बाद भाजपा यहां से जीत नहीं सकी है। इसके पीछे बड़ा कारण मुस्लिम मतों की बहुतायत है। 2022 में यहां से विधायक बने सपा के जियाउर्रहमान बर्क संभल से सांसद बन चुके हैं। रालोद यहां स्वार फार्मूला अपनाना चाहती है।

रामपुर जिले की स्वार सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने यह सीट अपनी सहयोगी अपना दल को दिया था और पार्टी ने यहां से मुस्लिम प्रत्याशी को चुनाव में उतारा था। वह जीत भी गए।

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