Move to Jagran APP

संभल का जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद, जानिए क्या है सदियों पुराना इतिहास?

उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर का विवाद सदियों पुराना है। इतिहास में उल्लेख है कि मुगल काल में बाबर के सेनापति ने श्री हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कराया था और फिर उस पर कब्जा करके मस्जिद के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। वर्तमान में यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधीन है।

By Jagran News Edited By: Sakshi Gupta Updated: Mon, 25 Nov 2024 10:01 PM (IST)
Hero Image
मंदिर और मस्जिद का इतिहास वर्षों पुराना है। (तस्वीर जागरण)
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर का विवाद वर्षों से चला आ रहा है। इसका इतिहास में भी उल्लेख है। इसी वर्ष प्रकाशित मंडलीय गजेटियर में बताया गया कि अबुल फजल द्वारा रचित 'आइन-ए-अकबरी' में संभल में भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिर का उल्लेख है। संभल में पुराने शहर के मध्य में स्थित विशाल टीले (कोट अर्थात किला) पर भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर होने का प्रमाण है। यहीं हरिहर मंदिर था।

एचआर नेविल ने मुरादाबाद गजेटियर (1911) में लिखा है कि मंदिर अब अस्तित्व में नहीं है। इसका स्थान एक मस्जिद ने ले लिया है। इसमें महत्वपूर्ण अभिलेख हैं, जिसके अनुसार मस्जिद का निर्माण हदू बेग ने बाबर के आदेश पर कराया था। हालांकि, मस्जिद बाबर के समय से पूर्व की प्रतीत होती है। मस्जिद के पश्चिमी छोर पर स्थित ढलानदार विशाल बुर्ज जौनपुर की इमारतों का स्मरण कराते हैं।

गजेटियर के मुताबिक, मस्जिद के दक्षिणी प्रखंड में मौजूद अभिलेख के अनुसार, रुस्तम खान दखिनी ने 1657 ई. में मस्जिद की मरम्मत करवाई। ऐसा ही अन्य अभिलेख उत्तरी प्रखंड में सैयद कुतुब (1626) के बारे में है। दो अभिलेख 1845 ई. के लगभग मस्जिद की मरम्मत का जिक्र करते हैं।

इसे भी पढ़ें- हिंसा से सहम गया है संभल: चौकन्नी निगाहों से माहौल एकदम शांत, करोड़ों का कारोबार हुआ चौपट; संदिग्धों पर कड़ी नजर | 10 बड़ी बातें

बाबर के सेनापति ने मंदिर को आंशिक रूप से कराया था ध्वस्त

19 नवंबर, 2024 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दायर वाद में 26 बिंदुओं में संभल की भौगोलिक व ऐतिहासिक तथ्यों के साथ बाबरनामा की डायरी का भी उल्लेख है। लिखा गया है कि बाबरनामा की डायरी के पेज संख्या 687 पर उल्लेख है कि बाबर जुलाई 1529 में संभल आया था। बाबर के सेनापति ने उसके कहने पर श्री हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कराया, फिर उस पर कब्जा करके मस्जिद के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधीन है। वाद में कहा गया है कि एएसआइ ने अपनी वैधानिक जिम्मेदारी का पालन नहीं किया, क्योंकि उक्त संपत्ति में जनता के प्रवेश के लिए कोई प्रविधान नहीं किया गया है। श्री हरिहर मंदिर भगवान कल्कि को समर्पित है। यह सदियों पुराना है। जिसे एक समिति, ''जामी मस्जिद समिति संभल'' द्वारा अवैध रूप से उपयोग किया जा रहा है।

इमारत को 22 दिसंबर, 1920 को प्राचीन स्मारकों के संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उपधारा (3) के तहत अधिसूचित किया गया था, इसलिए श्री हरिहर मंदिर दायर वाद में दावा किया गया है कि संभल का पुराना शहर महिष्मत नदी के किनारे रुहेलखंड के केंद्र में स्थित है। सतयुग में इसे 'सब्रित' या 'सब्रत' और 'सम्बलेश्वर' के नाम से जाना जाता था। त्रेतायुग में इसे महदगिरी, द्वापर में पगला और कलियुग में इसे संभल के नाम से जाना जाता है।संस्कृत में इसे 'संभल-ग्राम' कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन काल में भगवान विष्णु और भगवान शिव का एक अद्वितीय 'विग्रह' प्रकट हुआ था और इसी कारण इसे 'श्री हरिहर' मंदिर कहा जाता है।

इसे भी पढ़ें- Sambhal Violence Updates: जामा मस्जिद के सदर जफर अली समेत 20 से अधिक हिरासत में, सपा सांसद पर FIR; संभल में अलर्ट

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।