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Moradabad District Hospital में गंभीर मरीजों का नहीं होता इलाज, सिर्फ मिलती है हायर सेंटर रेफर की पर्ची

Moradabad District Hospital News मुरादाबाद जिला अस्पताल में वेंटीलेटर इमरजेंसी कक्ष और डाक्टर और स्टाफ की पूरी व्यवस्था है। लेकिन गंभीर मरीज आने पर फौरन ही रेफर की पर्ची थमाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Wed, 31 Aug 2022 05:04 PM (IST)
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Moradabad District Hospital News : वेंटीलेटर, इमरजेंसी सेवाओं के बाद भी मरीज को उपचार नहीं।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। Moradabad District Hospital News : मुरादाबाद जिला अस्पताल में वेंटीलेटर, इमरजेंसी कक्ष और डाक्टर और स्टाफ की पूरी व्यवस्था है। लेकिन, गंभीर मरीज आने पर फौरन ही रेफर की पर्ची थमाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। क्योंकि मरीज के तीमारदारों को इतना घबरा दिया जाता है कि वह प्राइवेट अस्पताल में ले जाने को मजबूर हो जाते हैं।

शनिवार की दोपहर जिला अस्पताल की इमरजेंसी कक्ष में डा. मनोज यादव ने आजाद नगर के रहने वाले 19 वर्षीय कलीम को भर्ती किया। उस समय उसकी प्लेटलेट्स तकरीबन 32 हजार थीं। शरीर में कमजोरी होने की वजह से उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। उसे भर्ती करके वार्ड में भेज दिया गया।

दोपहर डेढ़ बजे से साढ़े तीन बजे तक मरीज को उपचार नहीं मिल पाया। तीमारदार ने फार्मासिस्ट निश्चल भटनागर से जाकर शिकायत की तो उसे उपचार देना शुरू किया गया। भर्ती होने के दो घंटे बाद मरीज को उपचार मिल पाया। शाम की विजिट पर फिजिशियन डा. रामकिशोर वार्ड में पहुंचे तो उन्होंने एक यूनिट होल ब्लड मरीज को चढ़वा दिया।

रविवार को जांच कराने पर पता चला कि प्लेटलेट्स कम हो गई। सोमवार की दोपहर में मात्र 10 हजार प्लेट्लेट्स रह गईं। रिपोर्ट देखने के बाद डाक्टर ने भी हाथ खड़े कर दिए। इसके साथ ही उन्होंने स्वजन को बहुत गंभीर बात बताने के साथ ही उन्हें मेरठ मेडिकल कालेज रेफर का पर्चा थमा दिया।

इसी बीच युवक को मुंह से खून भी आ गया। खून देखकर स्वजन घबरा गए। उन्होंने चिकित्सक से संपर्क किया तो बताया गया कि मरीज कोमा में भी जा सकता है। इसलिए इसे जितनी जल्दी हो सके यहां से किसी अच्छे अस्पताल ले जाइये। इतना सुनने के बाद स्वजन मरीज को लेकर कांठ रोड के प्राइवेट अस्पताल में ले गए।

जहां उसे जनरल वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू किया गया। उसकी हालत अब स्थिर है। सवाल यह है कि जब तमाम उपकरण और फिजिशियन जिला अस्पताल में मौजूद हैं तो उसके बाद भी मरीज को उपचार क्यों नहीं दिया गया। हायर सेंटर क्यों रेफर कर दिया गया।

हर एक की कट रही मेडिकल कालेज रेफर की पर्ची

आजाद नगर का रहने वाला कलीम ही अकेला नहीं है। गंभीर हालत में मरीज आ गया तो उसे मेरठ मेडिकल कालेज का रेफर पर्चा बनाकर थमा दिया जाता है। यह एक या दो के साथ नहीं बल्कि हर गंभीर मरीज के साथ हो रहा है। मरीज के तीमारदार इतना सुनने के बाद परेशान हो जाते हैं। लेकिन, अस्पताल प्रबंधन को इससे कोई मतलब नहीं है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार ने बताया कि मरीज की हालत गंभीर थी। उसके मुंह से खून भी आया था। इस वजह से उसे रेफर किया गया होगा। बाकी फिजिशियन से जानकारी करने के बाद पूरी बात पता चलेगी कि मरीज की हालत कैसी थी। किस वजह से रेफर किया गया।

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