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कुंदरकी में अपने ही गढ़ में हार गई सपा, 31 साल बाद जीती भाजपा, SP को क्यों नहीं पड़े वोट? आ गई सबसे बड़ी वजह सामने

Kundarki Upchunav 2024 बता दें कि काउंटिंग का 22वां चक्र पूरा हो चुका है। यहां भाजपा के रामवीर सिंह को 128275 वोट मिले हैं। वहीं सपा के मोहम्मद रिजवान को 14987 वोट मिले हैं। जबकि रफत उल्ला 775 को वोट मिले हैं। अब 22वें राउंड के बाद रामवीर सिंह की बढ़त 113388 हो गई है। सपा कुंदरकी सीट पर लोगों का भरोसा जीतने में नाकाम रही।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sat, 23 Nov 2024 03:43 PM (IST)
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22वें राउंड में भाजपा के रामवीर सिंह को रिकॉर्ड बढ़त।
जागरण संवाददाता कुंदरकी (मुरादाबाद)। कुंदरकी सीट को भाजपा के लिए सबसे मुश्किल सीट माना जा रहा था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि पिछले कई सालों से यहां सपा का ही परचम लहरा रहा था। लेकिन अब भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए जीत हासिल कर ली है। कुंदरकी उपचुनाव में भाजपा के रामवीर सिंह ने 1,43,192 से चुनाव जीत लिया है। 

रामवीर पर भाजपा ने चौथी बार लगाया था दांव 

कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने रामवीर सिंह पर चौथी बार दांव लगाया था। भाजपर ने उन्हें कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार प्रत्याशी बनाया था। एक बार देहात विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, तीनों बार वह विधानसभा पहुंचने में नाकामयाब रहे हैं। अब उनपर 31 साल से चला आ रहा भाजपा की हार का सूखा समाप्त करने की चुनौती थी। 31 साल बाद रामवीर सिंह इस सूखे को खत्म करने में कामयाब रहे। 

सपा को इस वजह से भी नहीं मिले वोट

कुंदरकी सीट सपा की पुरानी सीट रही है। यहां से सपा पिछले 31 साल से जीतते हुए आ रही थी। भाजपा ने 31 साल बाद हार का सूखा खत्म किया है। बता दें कि कुंदरकी में मुस्लिम वोर्टस निर्णायक थे। भाजपा ने शुरु से ही इन निर्णायक वोटर्स को साधने का काम किया। याद रहे कि रामवीर सिंह मुस्लिमों की सभा में टोपी तक लगाकर पहुंच गए थे। इसका यह असर हुआ कि निर्णायक वोटर्स में भाजपा सेंध लगाने में काफी सफल रही। सीएम योगी ने जीत के बाद सभी जीतने वाले प्रत्याशियों को जीत की बधाई दी है। सीएम योगी ने कहा है कि यह जीत पीएम मोदी की कुशल रणनीति और भाजपा के सुशासन पर जनता की मुहर है। 

भाजपा युवा मोर्चा से की थी राजनीति की शुरुआत

रामवीर सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा में युवा मोर्चा से की थी। सबसे पहने उन्हें भाजपा युवा मोर्चा में मंडल उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। वह इससे पहले कुछ समय के लिए सीजनल अमीन भी रहे। भाजपा के किसान मोर्चा में पहले जिला और फिर महानगर महामंत्री का दायित्व संभाला।

वर्ष 2000 में उन्हें जिला कार्यकारिणी में सदस्य बनाया गया तो 2003 में जिला महामंत्री बने। 2005 में पहली बार जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि उनकी पत्नी संतोष देवी वर्ष 2000 में मूंढापांडे से ब्लाक प्रमुख का चुनाव जीती थीं।

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