कौन है यह मुस्लिम महिला, जो आधी रात को सुनसान सड़क पर चला रही ई-रिक्शा, बोली- UP में योगी सरकार है तो डर कैसा
मुरादाबाद शहर में रहने वाली नाजमा कहती हैं मेहनत से बड़ा कोई कर्म नहीं है। बेसहारा महिलाएं मांगने के बजाए मेहनत की राह चुनें। नाजमा हिम्मत के साथ मुश्किलों का सामना कर आगे बढ़ी हैं। वह रात में ई-रिक्शा चलाती हैं। दो बच्चों की परवरिश करने के बाद उनकी शादी भी कर चुकी हैं। अब नाजमा सफलता की डगर नाप रही हैं।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Thu, 12 Oct 2023 05:10 PM (IST)
लवलीन यादव, मुरादाबाद। आधी रात, सुनसान सड़क। शरीर पर बुर्का, हाथ में ई-रिक्शा का हैंडल। यह जज्बा उस नाजमा अंसारी का है, जो पति के इंतकाल के बाद भी टूटी नहीं। हिम्मत के साथ मुश्किलों से लड़ीं। मर्दों की तरह ई-रिक्शा चलाया। गाढ़ी कमाई से दो बच्चों का निकाह कर दिया। अब एक ही तमन्ना है, ई-रिक्शा चलाकर डेढ़ लाख जोड़ लें और उमरा कर आएं। नाजमा रात में ई-रिक्शा चलाने का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देती हैं। कहती हैं, जब योगी सरकार है, तो डर कैसा।
पति की मौत के बाद नाजमा पर आ गई जिम्मेदारी
शहर की रहने वाली 50 वर्षीय नाजमा के पति किश्वर अंसारी की 2010 में मृत्यु हो गई। उनकी चाय की दुकान बंद हुई और घर में आर्थिक दिक्कत शुरू। एक बेटा और एक बेटी की जिम्मेदारी घरेलू महिला नाजमा पर ही आ गई। पति के बीमा के क्लेम के 4.35 लाख रुपये मिले। इस रकम के तीन लाख रुपये 2015 में बेटी की शादी में खर्च कर दिए। बेटे को पढ़ाया और इस वर्ष फरवरी में उसकी शादी कर दी।
उम्र के साथ सुई में धागा डालने में भी होने लगी दिक्कत
परिवार में अनबन होने पर नाजमा अलग रहने लगी। उम्र के साथ सुई में धागा डालने में भी दिक्कत होने लगी। लिहाजा बीमा की बची राशि से ई- रिक्शा खरीद लिया। नमाज पढ़ने, घरेलू काम करने के साथ उन्होंने ई-रिक्शा चलाने का शेड्यूल तय कर रखा है। वह सुबह नौ से दोपहर एक बजे, शाम छह से रात आठ बजे, इसके बाद नौ से रात दो बजे तक ई-रिक्शा चलाती हैं।यह भी पढ़ें, नए सत्र से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और पावर पढ़ेंगे स्कूलों के छात्र, पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू होगी पढ़ाई रात में उन्हें सवारियां ले जाने पर डर नहीं लगता। उन्हें पुलिसकर्मी भी भलीभांति जान गए हैं। रात में ई-रिक्शा चलाने के बारे में नाजमा का कहना है कि प्रदेश में योगी सरकार होने की वजह से कानून व्यवस्था ठीक है। रात में बेखौफ गली मोहल्लों में भी ई रिक्शा ले जाती हैं। योगी जी की सख्ती का ही असर है कि गुंडे दिखाई ही नहीं देते हैं।
इसे भी पढ़ें, Moradabad News: मछली पकड़ रहे चार लोगों के जाल में फंसी पॉलिथीन, निकालकर देखा तो भरे हुए थे पांच सौ के नोट वह बताती हैं कि उनकी ममेरी बहन उमरा करके आई है। वह भी इसके लिए रुपये जोड़ रही हैं। रोजाना पांच-छह सौ रुपये की आय हो जाती है। डेढ़ लाख रुपये एकत्र कर वह उमरा करने जाएंगी। मेहनत से बड़ा कोई कर्म नहीं है। बेसहारा महिलाएं, मांगने के बजाए मेहनत की राह चुनें। आत्मसम्मान बरकरार रहता है।
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