Sanskarshala 2022: बुजुर्गों को तकनीकी ज्ञान व गैजेट्स की जानकारी जरूरी, आज की पीढ़ी से होगा जुड़ाव
आज की तकनीकी पीढ़ी से दूर होने के बजाय उनसे बेहतर संवाद करते हुए जुड़ पाएंगे। दैनिक जीवन व घरेलू देखभाल संबंधी जरूरतों पर आत्मनिर्भर बनने के लिए बच्चों की ओर या किसी देखभाल करने वाले की ओर आशापूर्ण नजरों से नहीं देखना पड़ेगा।
By Jagran NewsEdited By: Vivek BajpaiUpdated: Fri, 04 Nov 2022 04:58 PM (IST)
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। कुंदरकी के मदन स्वरूप इंटर कालेज हरियाना के प्रधानाचार्य रविंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि विज्ञान के युग में तकनीकी राष्ट्र के विकास में एक आवश्यक अंग बनता जा रहा है। आज के समय में बुजुर्गों व अभिभावकों को भी तकनीकी ज्ञान होना बेहद जरूरी है, ताकि बड़ों के तकनीकी ज्ञान के अभाव में बच्चे उनसे दूर ना हों। डिजिटल दौर में तकनीकी ज्ञान की जरूरत अभिभावकों व बुजुर्गों के लिए चुनौती के रूप में सामने आई है। नई तकनीक को अपनाए बिना नहीं रहा जा सकता।
नई तकनीक के नफा-नुकसान का प्रभावी सह-अस्तित्व के बारे में समाज में विमर्श करना होगा। इस सबके लिए अभिभावकों व बुजुर्गों को तकनीकी ज्ञान व गैजेट्स की मूलभूत जानकारी होना जरूरी होगा। उन्हें आराम करने की उम्र में एक छात्र की तरह सीखना ही पड़ेगा। अन्यथा संस्कार विहीन तकनीकी ज्ञान व गैजेट्स आने वाली पीढ़िय़ों को इंसान से मशीन में बदलने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।तकनीकी ज्ञान के साझा होने से हमारे अभिभावकों व बुजुर्गों को मौसम, खेल, स्वास्थ्य, बैंक लेन-देन, बिलों का भुगतान, खरीददारी, समाचार व शिक्षा संबंधी जानकारी को अपनी जरूरत के अनुसार प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आज की तकनीकी पीढ़ी से दूर होने के बजाय उनसे बेहतर संवाद करते हुए जुड़ पाएंगे। दैनिक जीवन व घरेलू देखभाल संबंधी जरूरतों पर आत्मनिर्भर बनने के लिए बच्चों की ओर या किसी देखभाल करने वाले की ओर आशापूर्ण नजरों से नहीं देखना पड़ेगा।
नई टेक्नोलाजी मानसिक व शारीरिक संपन्नता बढ़ाएगी। ज्ञान व स्मरण कौशल संबंधी जरूरतों में सुधार होगा। अभिभावकों व बुजुर्गों को परिवार और दोस्तों से इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जुड़े रहने में मददगार होगा। जिससे वह ज्यादा क्रियाशील रहते हुए समाज में अधिक योगदान कर सकेंगे। इंटरनेट पर कार्य के दौरान पासवर्ड प्रबंधन एप से बिना उन्हें याद रखे उपयोग करना, सुरक्षा संबंधी नीति को समझना, प्रबंधन करना जैसे तकनीकी ज्ञान से सीखने का प्रारंभ किया जा सकता है।
मौसम, खेल, स्वास्थ्य, बैंक लेन-देन, बिलों का भुगतान, खरीददारी, समाचार व शिक्षा संबंधी जानकारी किस प्रकार वेबसाइट पर देखी जाए, उसका उपयोग किया जाए, इसकी जानकारी बुजुर्गों से साझा करनी चाहिए। अभिभावक व बुजुर्ग अपने ज्ञान व अनुभव को तकनीकी तौर पर पीछे रहने के चलते साझा करने से छूट जाए तो आने वाली पीढ़िय़ों के पास तकनीकी तो रहेगी, लेकिन विरासत के जीवन मूल्यों के संस्कार के बीज प्रस्फुटित नहीं हो पाएंगे। यह किसी भी समाज या राष्ट्र के लिए हितकर नहीं होगा।
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