UP Byelection : नेताओं में टिकट को लेकर जोरआजमाइश, कल हो सकती है घोषणा- सभी कार्यकर्ता लगा रहे पूरा जोर
दावे ही भले ही किए जा रहे हों लेकिन उनके पास कोई प्रमुख नाम नहीं आया है। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान मुकाबला भाजपा और सपा के प्रत्याशियों में ही होना है। इसलिए राजनीति में रुचि रखने वालों की निगाह भाजपा- सपा के टिकट पर भी है। समाजवादी पार्टी से टिकट की लाइन में कई कद्दावर नेता हैं।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में टिकट पाने के लिए भाजपा और सपा के नेताओं में जोर आजमाइश चल रही है। दोनों ही दलों के दावेदार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक टिकट पाने की पैरवी करा रहे हैं लेकिन, टिकट अभी तक किसी का फाइनल नहीं हुआ है। दोनों प्रमुख दलों में टिकट को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। उधर, बहुजन समाज पार्टी को भी किसी दमदार प्रत्याशी की तलाश है।
टिकट की लाइन में कई कद्दावर नेता
दावे ही भले ही किए जा रहे हों, लेकिन उनके पास कोई प्रमुख नाम नहीं आया है। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान मुकाबला भाजपा और सपा के प्रत्याशियों में ही होना है। इसलिए राजनीति में रुचि रखने वालों की निगाह भाजपा- सपा के टिकट पर भी है। समाजवादी पार्टी से टिकट की लाइन में कई कद्दावर नेता हैं। सभी अपनी पार्टी में सपा मुखिया के करीबी माने जाने वाले नेताओं से टिकट पाने के लिए पैरवी करा रहे हैं। इसके लिए उनकी टीमें दिल्ली और लखनऊ के चक्कर लगा रही हैं।
भाजपा नेता भी लगा रहे पूरा जोर
प्रमुख दावेदारों की एक-एक टीम दिल्ली और लखनऊ में कैंप कर रही है। शुक्रवार को सपा मुखिया की लोकेशन लेकर दावेदारों के करीबी उन्हें अपडेट करते रहे। बताया जा रहा है कि जैसे ही अखिलेश यादव ने मुंबई के लिए उड़ान भरी फोन आ गया। यह भी पता लग गया कि वह शनिवार को चार बजे तक वापस आएंगे। इसी तरह दिल्ली की टीम भी नेताओं की लोकेशन लेकर अपडेट कर रही हैं।
भाजपा के दावेदारों ने भी इसी तरह से अपनी टीमें बड़े नेताओं के आसपास लगा दी हैं। संगठन के उच्च पदों पर बैठे नेताओं से पैरवी कराई जा रही है। हालांकि, अभी तक किसी का टिकट पक्का नहीं है। बताया जा रहा है कि 20 अक्टूबर तक भाजपा और सपा के टिकट की घोषणा हो सकती है। इसके बाद प्रत्याशियों को नामांकन कराने के लिए पांच दिन का समय मिलेगा।
किसी का संगठन में पकड़ का दावा, कोई समीकरण के भरोसे
बड़े राजनीतिक दलों से टिकट पाने के कई मानक हैं। टिकट के दावेदारों में कुछ नेता संगठन में अपनी मजबूत पकड़ होने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि संगठन के भरोसे ही टिकट मिल जाएगा। कुछ नेता जनता के बीच मजबूत पकड़ और पुराने रिश्तों की दुहाई देकर टिकट मांग रहे हैं। वे टिकट के लिए पैरवी भी करा रहे हैं।
यह एक नहीं सभी प्रमुख दलों के नेताओं का हाल है। सपा के दावेदारों का भी यही हाल है। भाजपा के नेता भी इसी के आधार पर टिकट मांग रहे हैं। जातिगत समीकरण भी टिकट वितरण में महत्वपूर्ण आधार माना जा रहा है।