Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

UP Board 10th Exam में प्रदेश की सेकेंड टॉपर संस्कृति ठाकुर की कहानी, मां के संघर्ष ने दिलाई सफलता

UP Board 10th Result Topper Success Story संस्कृति के साथ ये मां नीतू की भी परीक्षा थी। टयूशन पढ़ाया सिलाई की और प्राइवेट स्कूल में शिक्षण कार्य भी किया। संघर्ष की गाथा लिखने के पीछे सिर्फ एक ही सपना था कि बेटी टापर बने।

By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Mon, 20 Jun 2022 12:29 PM (IST)
Hero Image
UP Board 10th Result Topper Success Story : संस्कृति ने मां का सपना किया पूरा

मुरादाबाद, (तेजप्रकाश सैनी)। UP Board 10th Result Topper Success Story : संस्कृति के साथ ये मां नीतू की भी परीक्षा थी। टयूशन पढ़ाया, सिलाई की और प्राइवेट स्कूल में शिक्षण कार्य भी किया। संघर्ष की गाथा लिखने के पीछे सिर्फ एक ही सपना था कि बेटी टापर बने। शनिवार को जब हाईस्कूल की परीक्षा में संस्कृति ठाकुर ने प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया तो मां की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। बेटी ने भी अपनी सफलता का पूरा श्रेय मां को दिया और उनसे लिपटकर रो पड़ी।

मां को परिभाषित नहीं किया जा सकता है, लेकिन नीतू अपने संघर्ष से दूसरों के लिए भी मिसाल बन गई हैं। इस मां ने अपनी तीन बेटियों को पढ़ाने के लिए खुद प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया, ट्यूशन और सिलाई की। ससुराल में मानसिक तनाव झेलने के बाद भी वह अपनी राह से डिगी नहीं। वर्ष 2011 में पति की मृत्यु के बाद उनका संघर्ष जारी रहा।

बड़ी दोनों बेटियों को बहु शिक्षित कराने के बाद तीसरी बेटी संस्कृति के लिए टापर बनाने की ठानी। इसके लिए दोनों बड़़ी बेटियां भी मददगार बनीं। वह भी छोटी बहन को रोज पढ़ाती थीं। वर्ष 2018 में नीतू ने दूसरी शादी की, जीवन में खुशियां छा गईं। लेकिन संस्कृति को टापर बनाने के लिए प्रयासरत रहीं।

संस्कृति जिले की ही टापर नहीं, प्रदेश में भी हाईस्कूल में दूसरे स्थान पर रही है। नीतू सिंह बताती है कि उनकी पहली शादी 1999 में हुई थी. शादी के एक साल बाद ही पति को शराब पीने की लत लग गई. पति उनके साथ मारपीट करते थे। पति के जुल्मों को सहन करती रही। शराब की लत में परिवार बर्बाद हो गया।लिहाजा खुद काम करना शुरू किया। इस बीच पति को टीबी हो गया। वर्ष 2011 में उनकी मृत्यु हो गई।

पति की मृत्यु के बाद नहीं हारी हिम्मतः सुहाग मिटने के बाद भी नीतू ने हिम्मत नहीं हारी।बेटियों के लिए दिनरात मेहनत की। दिन में रामपुर स्थित एक स्कूल में पढ़ाने जातीं। घर पर ट्यूशन पढ़ातीं। रात में समय निकालकर सिलाई करतीं।बेटियों ने मां को समर्पण खाली नहीं जाने दिया। बड़ी बेटी सिमरन एक प्राइवेट कालेज से एमसीए कर रही है।

दूसरे नंबर की इशिका हिंदू महाविद्यालय से बीएससी फाइनल कर रही है। संस्कृति ने तो प्रदेश में नाम रोशन कर ही दिया है। उसका छात्राओं में प्रदेश में पहला स्थान है। 97.5 प्रतिशत अंक पाने वाली संस्कृति ने गणित में 99, हिंदी में 98, अंग्रेजी में 100, विज्ञान में 99, सोशल साइंस में 95 और ड्राइंग में 94 अंक प्राप्त किए हैं।

मां और शिक्षकों को दिया कामयाबी का श्रेयः संस्कृति ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय मां नीतू सिंह और सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के शिक्षकों को दिया है। इनकी प्रेरणा से ही वह यह स्थान हासिल कर सकी है। संस्कृति का कहना है कि पढ़ाई कभी तनाव के साथ नहीं करनी चाहिए। पढ़ाई से साथ जो मन आए उसे करना चाहिए, उसको डांस करने का शौक है।

जब मन होता है तो वह डांस भी करती है। स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वह हिस्सा लेती रहती है। स्वजन ने पढ़ाई के लिए कभी दबाव नहीं बनाया। उसने पढ़ाई के साथ लगातार रिवीजन किया। जिसमें शिक्षकों ने भी काफी मदद की। अगर कोई दिक्कत होती थी तो स्कूल से अध्यापकों से मिलकर उसको साल्व कर लेती थी।

आइएएस बनकर करना चाहती है देश की सेवाः संस्कृति ने कहा कि वह आइएएस बनकर लोगों की सेवा करना चाहती है। जिससे आम लोगों की दिक्कतों को दूर कर सके। खासकर महिलाओं को न्याय दिला सके। इसके लिए वह कड़ी मेहनत करेगी। फिलहाल उसका लक्ष्य इंटरमीडियट की परीक्षा में प्रदेश में पहला स्थान हासिल करना भी है। इसके बाद आइएएस के लिए पढ़ाई करेंगी।

मां बोली-बेटियों को देखकर नहीं हुई बेटे की चाहतः संस्कृति की मां नीतू सिंह का कहना है कि उन्हें बेटी पर गर्व है। उनकी बेटी ने जिले में ही नहीं प्रदेश में उनका नाम रोशन किया. उनकी बेटी जो इच्छा है। उसकी पढ़ाई में उनका पूरा सहयोग रहेगा।बेटियों की कामयाबी देखकर कभी बेटे की चाहत नहीं हुई। बेटियां अब बेटों से कम नहीं है। परिवार का ख्याल रखने के साथ पढ़ाई में ध्यान लगातीं हैं।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर