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UP Crime : फिल्म देखकर जुर्म की दुनिया में आए- Insta पर बनाई ट्रिपल 888 गैंग- ऑनलाइन बेचते तमंचे; एक दिन का मुनाफा 5 हजार

ट्रिपल एट तमंचा गैंग में 20 से 30 साल तक के युवा शामिल हैं। रियासत से तमंचा होलसेल रेट पर लेने के बाद यह क्वालिटी बताकर आगे सप्लाई कर देते थे। इसमें इन्हें तीन से पांच हजार रुपये एक दिन में बच जाते थे। एक माह में अगर 20 तमंचे भी बेच दिए तो 60 हजार रुपये की कमाई हो जाती थी। इसका लालच ही युवाओं को जोड़ रहा था।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sat, 07 Sep 2024 08:49 PM (IST)
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पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। फिल्म ... वंस ओपन टाइम इन मुंबई का प्रसिद्ध डायलाॅग है ... मैं उन चीजों की तस्करी करता हूं जिसकी इजाजत सरकार नहीं देती। खुद की गैंग बनाकर कमाई करने का कुछ युवकों ने इंटरनेट मीडिया पर ट्रिपल 888 ग्रुप बनाकर किया।

सोशल मीडिया पर चल रहा था कारोबार

तमंचा फैक्ट्री से बल्क में तमंचे खरीदे फिर युवाओं को मोटे मुनाफे का लालच देकर बिकवा दिए। शनिवार को मझोला पुलिस ने ऐसे ही एक गैंग के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिसमें एक 50 वर्षीय तो बाकी 20-30 साल की उम्र के युवा शामिल हैं। इनके पास से पुलिस ने बड़ी संख्या में बने-अधबने तमंचे समेत उपकरण भी बरामद किये हैं।

फिल्में देखकर बनाई गैंग

पुलिस अधीक्षक नगर कुमार रणविजय सिंह ने बताया कि सतेंद्र प्राइवेट यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहा है। परिवार में भी कुछ खास कारोबार भी नहीं है। फिल्में देखकर गैंग बनाकर दबंगई करने का शौक उसे जरायम की दुनिया में काफी दूर तक ले आया। इसके लिए उसने इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया और ट्रिपल 888 गैंग बना डाली। अंधे के नाम से मशहूर रियासत से दुष्यंत, समीर, साहिल के माध्यम से संपर्क किया।

खुद भी तमंचों से रहते थे लैस

प्लान के अनुसार तय किया कि तमंचे (अवैध असलाह) रियासत के साथ मिलकर बनाए जाएंगे। इसके बाद नमूने के लिए एक-एक तमंचा सभी लोग अंटी में लगाकर रखते थे। जिससे ग्राहक को दिखाकर सौदा हाथों हाथ कर लिया जाए। तमंचों की बिक्री धड़ल्ले से शुरू हो गई।

कमाई हुई तो पहनने लगे ब्रांडेड कपड़े-जूते

आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही हर दिन ब्रांडेड कपड़े, जूते आदि बदलने से लोगों की निगाह में भी चढ़ने लगे। किसी ने कुछ बोल दिया ताे उसे तमंचा दिखाकर इशारा कर दिया कि यहां से निकल लो... नहीं तो फिर काम खराब हो जाएगा। इतना देखने के बाद हर कोई पिंड काटकर निकल जाता था। इंटरनेट मीडिया की इंस्टाग्राम आइडी पर युवाओं को जोड़ने का क्रम भी जारी रहा। नंबर लेने के बाद उनसे बातचीत भी शुरू हो जाती थी।

 यह हुए गिरफ्तार

लाकड़ी फाजलपुर के 50 वर्षीय रियासत पुत्र अल्लाहबख्श, चामुंडा के पास पुराना लाकड़ी फाजलपुर के 20 वर्षीय साहिल पुत्र आबिद हुसैन, लाइनपार केजीके कालेज विकास नगर के 30 वर्षीय दुष्यंत पुत्र राजेंद्र सिंह, बिलारी के अहरोला मल्लपुर के 23 वर्षीय अमन पुत्र देवेंद्र, रामपुर सैफनी जटपुरा के 23 वर्षीय सतेंद्र पुत्र सुरेंद्र को गिरफ्तार किया गया है।

रियासत बना रहा 18 साल की उम्र से तमंचे

मुरादाबाद ही नहीं आसपास के मंडलों में भी अंधे के तमंचे मशहूर हैं। हालांकि अंधे की मौत हो चुकी है। उसका छोटा भाई रियासत भी 50 साल का हो चुका है। वह अपने भाई अंधे के साथ 18 साल की उम्र से तमंचे बना रहा था। 315 बोर का तमंचा 12 हजार से 15 हजार रुपये, 315 बोर का तमंचा स्टील में 15 से 17 हजार रुपये के बीच बेचे जा रहे थे।

प्राइवेट यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहा गैंग लीडर सतेंद्र

सतेंद्र मुरादाबाद की प्राइवेट यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहा है। यह यूनिवर्सिटी के अन्य छात्रों को लुभावने सपने दिखाकर तमंचे बेचता है। इसके अलावा उन्हें मोटे कमिशन का लालच देकर भी गैंग में शामिल करता है।

फैक्ट्री से यह सामग्री हुई बरामद

20 देसी तमंचे, जिनमें तीन 12 बोर, 17 तमंचे 315 बोर, 30 अधबने देसी तमंचे व बैरल, 73 अदद वैल्डिंग राड डिब्बी, एक ड्रिल मशीन, दो ग्लाइंडर मशीन, 70 फायरिंग पिन, 25 तमंचे बनाने में इस्तेमाल होने वाली स्प्रिंग, कारतूस बनाने वाली डाई, एक खैरात मशीन, एक पेंट करने वाली स्प्रे, लोहे की चाप व चाप में प्रयोग होने वाली डिजाईनदार कटी लकड़ी, एक ब्लोअर भट्टी, दो 12 बोर के कारतूस, दाे 315 बोर के कारतूस, एक कारतूस 32 बोर, तीन खोखे 315 बोर कारतूस, एक खोखा 32 बोर कारतूस, शस्त्र बनाने की सामग्री एवं उपकरण बरामद हुए हैं।

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