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World Earth Day 2022 : ई-कचरा जलाने से जमीन रही बंजर, पर्यावरण बचाना है तो इस पर लगानी होगी रोक

World Earth Day 2022 पृथ्वी का श्रंगार पर्यावरण हैं। इस पर्यावरण में पेड़-पौधे जल और मिट्टी का संरक्षण करना ही हमारे जीवन का सार है। वहीं पृथ्वी पर सभी जीव जंतुओं के सरंक्षण को पृथ्वी का दोहन रोकना की जरूरत है। पेड़ों का कटान रोकने को जागरूकता जरूरी है।

By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Fri, 22 Apr 2022 07:57 AM (IST)
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World Earth Day 2022 : पृथ्वी को ई कचरा सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है।
मुरादाबाद, जेएनएन। World Earth Day 2022 : पृथ्वी का श्रंगार पर्यावरण हैं। इस पर्यावरण में पेड़-पौधे, जल और मिट्टी का संरक्षण करना ही हमारे जीवन का सार है। वहीं पृथ्वी पर सभी जीव जंतुओं के सरंक्षण को पृथ्वी का दोहन रोकना की जरूरत है। वैश्विक जलवायु संकट, पेड़ों का कटान रोकने को जागरूकता बहुत जरूरी है। जिससे प्रदूषण की समस्या दिनों दिन बढ़ी है। मुरादाबाद की बात करें तो पृथ्वी को ई कचरा सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है।

दिल्ली के सीलमपुर से मुरादाबाद ई कचरा लाकर जलाने से प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। जिससे मुरादाबाद में मिट्टी के अंदर कई धातुओं के तत्व मिलने का प्रमाण शोध में मिल चुका है। यह तत्व बारिश में रामगंगा में जा रहे हैं, इसको जलाने से उतने बीच की पृथ्वी भी बंजर हो रही है। लालबाग, भोजपुर, बरबलान, नवाबपुरा के अलावा रामगंगा के पार ई कचरा जलाया जाता है। ई कचरा में कापर, सोना, चांदी जैसी धातु निकालने का धंधा अवैध रूप से चल रहा है।

पुलिस ने इसकी रोकथाम के प्रयास तो किए लेकिन अभी तक इससे पूरी तरह मुक्ति नहीं मिली। पेड़ों को कटान रोकने से काफी हद तक ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित किया जा सकता है। पौधों से ही जैविक पद्धति को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे रासायनिक खाद की बजाए फसलें जैविक खाद से उगाई जाएंगी तो बीमारियां भी कम होंगी। पृथ्वी दिवस पर धरा को बचाने का संकल्प लेना चाहिए।

क्यों मनाते हैं पृथ्वी दिवसः हर साल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इसका कारण पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है। भारत समेत विश्व के तमाम देशों में इसको मनाते हैं। इस दिवस की शुरुआत अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी।

खास बातें

-ई कचरा को वैज्ञानिक तरीके जलाने को प्लांट लगाया जाए।

-पृथ्वी को बचाने को स्कूलों में बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना जरूरी।

-अपने जन्म दिन पर एक पौधा लगाने व रक्षा करने से प्रकृति को समझेंगे।

-औषद्यीय पौधे लगाने को व्यापाक स्तर पर अभियान की जरूरत।

-जल संरक्षण के लिए तालाब खोदने की जरूरत।

-वर्षा का जल संरक्षण करने की जरूरत।

सदाबहार है सिल्वर आक पौधाः सिल्वर आक पौधा सदाबहार है। आस्ट्रेलिया के साथ-साथ यह पौधा भारत में पहाड़ी क्षेत्रों में देखने को मिलता है। लेकिन, यहां इनकी संख्या कम है। खासियत यह है कि पत्तियां कभी नहीं गिरतीं। ठंड में भी इस पेड़ की वृद्धि होती है और ज्यादा कार्बनडाई आक्साइड को ग्रहण करके पर्यावरण को शुद्ध बनाने में सहायक है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञः वनस्पति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डा. अनामिका त्रिपाठी ने बताया कि पृथ्वी को बचाने के लिए हर स्तर पर प्रयास होने चाहिए। मुरादाबाद में ई कचरा पृथ्वी को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। वेस्ट अफ्रीका का देश घाना में पर्यावरण पर हुई संगोष्ठी में ई कचरा का मुद्दा उठाया था। घाना जैसे छोटे से देश में करीब सात किमी के एरिया में ई-कचरा जलाने को डंपिंग ग्राउंड शहर की आबादी से बाहर है। मुरादाबाद में घरों के भीतर जलता है। इसको रोकने के प्रयास तो हुए लेकिन, अभी सफलता नहीं मिल रही है।

पर्यावरणविद राम सिंह बिष्ट का कहना है कि पृथ्वी का अनादर करेंगे तो इसका बुरा असर हर जीव जंतु पर पड़ेगा। पृथ्वी का श्रंगार बनाए रखने को पेड़, जल, मिट्टी को बचाना होगा। प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर रोक लगानी होगी। मुरादाबाद में पीतल उद्योग की वजह से प्रदूषण पानी, हवा और धरती तीनों को प्रभावित कर रहा है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने से ही प्रदूषण की रोकथाम हो सकती है।

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