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दिल्ली-देहरादून हाइवे हादसा: कहीं अवैध कट तो कहीं डिवाइडर खत्म... हर कदम पर है खतरा; जानें क्या होते हैं हाइवे के मानक

दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग-58 की सरपट यात्रा पर हर कदम पर खतरा है। कहीं अवैध कट हैं तो कहीं डिवाइर खत्म हो चुका है। दिन और रात के समय हाईवे से गुजरना जान का जोखिम उठाने जैसा है। दिखावे के लिए स्पीड मीटर लगाए गए हैं जिन्हें चालू तक नहीं किया गया है। सीसीटीवी से वाहनों के आवागमन पर नजर रखी जा रही है लेकिन व्यवस्था के नाम खिलवाड़ दिखता है।

By Dilshad AliEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Tue, 14 Nov 2023 07:49 PM (IST)
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दिल्ली देहरादून नेशनल हाइवे की ये कहानी...
जागरण संवाददाता, खतौली। दिल्ली देहरादून हाईवे पर रामपुर तिराहा के निकट ट्रक में पीछे से कार की भीषण टक्कर हो गई। हादसे में कार सवार छह दोस्तों की मौत हो गई। इनमें पांच युवक दिल्ली के रहने वाले थे, जबकि एक मेरठ था।

सभी दोस्त सियाज कार में सवार होकर हरिद्वार घूमने जा रहे थे। यह हादसा मंगलवार को तड़के लगभग चार बजे थाना छपार क्षेत्र में रामपुर तिराहा के निकट हुआ। यहां से सहारनपुर और देवबंद की तरफ जाने के लिए कट है।

मुजफ्फरनगर से माल वाहक 22 टायरा ट्रक हरिद्वार की तरफ जा रहा था। तभी पीछे से आई सियाज कार की ट्रक में पीछे टक्कर हो गई। कार तेज रफ्तार में थी, इसकी वजह से आधे से ज्यादा कार ट्रक के नीचे घुस गई।

मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा के निकट हादसे में क्षतिग्रस्त कार। जागरण

दिल्ली-देहरादूव हाइवे पर हर कदम पर खतरा

दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग-58 की सरपट यात्रा पर हर कदम पर खतरा है। कहीं अवैध कट हैं, तो कहीं डिवाइर खत्म हो चुका है। दिन और रात के समय हाईवे से गुजरना जान का जोखिम उठाने जैसा है।

दिखावे के लिए स्पीड मीटर लगाए गए हैं, जिन्हें चालू तक नहीं किया गया है। सीसीटीवी से वाहनों के आवागमन पर नजर रखी जा रही है, लेकिन व्यवस्था के नाम खिलवाड़ दिखता है।

हाईवे पर पथ प्रकाश से लेकर सड़क किनारे पर रेलिंग, डिवाइडर आदि व्यवस्था करने की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की है।

मुजफ्फरनगर जनपद में हाईवे पर यात्रा दादरी गांव निकलते ही आरंभ होती है। इसके बाद दादरी, भायंगी और भंगेला पहला स्पाट हैं, लेकिन यहां सपाट डिवाइडर तो बना है, मगर यहां पर्याप्त रूप से पेड़-पौधें नहीं लगे है।

भंगेला फ्लाइओवर से भैंसी कट लगभग 9 किलोमीटर की दूरी में अनेक स्थानों पर डिवाइडर तक नहीं है। भैंसी अंडरपास से नावला कट तक डिवाइडर है, जो सपाटनुमा है। यहां लगभग छह से सात मीटर से अधिक खाली भूमि पड़ी है, जिस स्थान पर पौधें तो लगे हैं, उनकी पर्याप्त रूप से कटाई तक नहीं है।

ऐसी ही हालत मुजफ्फरनगर में बाईपास पर है। बागोवाली, रथैड़ी, नसीरपुर आदि तमाम गांवों के आसपास कट हैं, जहां से ट्रैक्टर ट्राली समेत अन्य वाहन हाईवे पर आ जाते हैं।

खतौली से लेकर मंसूरपुर, संधावली, छपार, पुरकाजी बाइपास तक बड़ी संख्या में हाईवे पर अवैध कट भी हैं। यहां से वाहन रांग साइड दौड़ते हैं। हाईवे पर होटल, ढ़ाबों के सामने कट हैं। दर्जनों स्थानों पर अवैध कट हैं। कहने को पुलिस बूथ बना है, जिस पर सिपाही नाम की चिड़िया तक नहीं बैठती है।

हाइवे पर डिवाइडर के मानक

  • इंडियन रोड कांग्रेस (आइआरसी) के अनुसार नेशनल हाईवे पर सड़क के बीच डिवाडर की चौड़ाई कम से पांच मीटर रखनी होगी।
  • हाईवे के बीच में 5 या 6 मीटर चौड़ा सपाट डिवाइडर बनाकर उस पर पौधों का लगाना अनिवार्य है।
  • हाईवे पर डिवाइडर पर लगे पौधों से एक-दूसरे वाहन के चालकों की आंखों पर लाइट नहीं पड़ती है।
  • देहात या जंगल से गुजरने वाले हाईवे के डिवाडर की चौड़ाई छह मीटर होगी, जो सपाट रहता है।
  • शहर क्षेत्र में भूमि की कम उपलब्धता पर डिवाइडर 1.5 मीटर चौड़ाई होगी।

मरने वाले सभी युवा

नौकरी हादसे में मरने वाले सभी युवा हैं। इनमें किसी की उम्र 23 तो किसी की 25 है। हादसे के बाद पुलिस ने मृतकों के बारे में जानकारी जुटाई। पता चला कि कुणाल शर्मा कपड़ों की दुकान पर नौकरी करता था, जबकि शिवम त्यागी बजाज फाइनेंस कंपनी में नौकरी करता था। पारस शर्मा दिल्ली में बीबीए की पढ़ाई कर रहा था। धीरज, अमन और विशाल बेरोजगार बताए गए हैं।

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