Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर, दुकानों से हटी नेम प्लेट, संगम ढाबा बन गया था सलीम भोजनालय

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल ढाबों और दुकानों पर संचालक के नाम लिखे जाने के प्रदेश सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। प्रदेश सरकार के आदेश के विरुद्ध एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इसके संबंध में जैसे ही न्यूज चैनल और इंटरनेट मीडिया पर जानकारी प्रसारित हुई तो कुछ स्थानों पर लोगों ने बोर्ड हटाने शुरू कर दिए हैं।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 22 Jul 2024 08:17 PM (IST)
Hero Image
मुजफ्फरनगर: न्यू हीरा और न्यू बाबा स्वीट्स की दुकान पर एक दिन पहले तक लगा था नाम वाला बोर्ड। जागरण

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के विरुद्ध एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। सोमवार को उस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। 

मुजफ्फरनगर के बघरा स्थित आश्रम के महंत यशवीर महाराज ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर मुस्लिमों द्वारा देवी-देवताओं के नाम से होटल, ढाबे और खान-पान की दुकानें संचालित किए जाने का आरोप लगाया था। 

बीते वर्ष भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था और इस बार गत 24 जून को जिला पंचायत सभागार में अधिकारियों के साथ मीटिंग में स्पष्ट कहा था कि ऐसी दुकानों पर उनके संचालकों के नाम बड़े बड़े अक्षरों में लिखा होना चाहिए।

बोर्ड लगने पर बना राजनीतिक मुद्दा 

प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने भी मीटिंग में कहा था कि मुस्लिमों की दुकानें देवी-देवताओं के नाम पर नहीं चलनी चाहिए। इसके बाद एसएसपी के निर्देश पर जैसे ही दुकानों पर संचालक, कारीगरों के नाम वाले बोर्ड लगने आरंभ हुए, तो यह राजनीतिक मुद्दा बन गया। 

सांसद असदुद्दीन ओवैसी से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी समेत सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने इसकी आलोचना की थी। उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा था कि कांवड़ यात्रियों की आस्था और शुचिता के लिए यह व्यवस्था जरूरी है। 

इसके बाद एडीजी, डीआईजी समेत तमाम आला अधिकारियों ने पुलिस की टीमें लगाकर कांवड़ मार्ग पर सत्यापन कराया और दुकानों पर संचालकों के नाम लिखवाए गए थे।

मुजफ्फरनगर में मीनाक्षी चौक के निकट ठेले पर फल बेचने वालों ने भी अपने नाम के बोर्ड लगा दिए थे। इसके अलावा रुड़की रोड पर चंद्रा सिनेमा के सामने मिठाई विक्रेताओं के यहां भी ऐसे बोर्ड नजर आने लगे थे। 

रुड़की रोड पर ही 25 साल से संगम ढाबा संचालित करने वाले सलीम अहमद ने सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय का बोर्ड लगा दिया था और खाद्य सुरक्षा विभाग में अपने पंजीकरण में भी यही नाम करा लिया था।

सोमवार को जैसे ही इंटरनेट मीडिया पर यह जानकारी प्रसारित हुई कि प्रदेश सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। इसके चलते मीनाक्षी चौक के निकट फल की ठेली लगाने वाले आरिफ और पान का खोखा लगाने वाले ने अपने नाम वाले बोर्ड हटा दिए हैं।

यह भी पढ़ें: 'एक नई ‘नाम-पट्टिका’ पर लिखा जाए...', नेम प्लेट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद अखिलेश का रिएक्शन

यह भी पढ़ें: 'दुकान मालिकों को नाम बताने की जरूरत नहीं', नेमप्लेट विवाद पर यूपी सरकार को झटका; SC ने फैसले पर लगाई रोक

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।