जयंत के इस दांव ने बढ़ाई सपा की टेंशन, चंद्रशेखर को घेरने के लिए खेला दलित कार्ड; पश्चिमी यूपी की 14 सीटों पर निशाना
Lok Sabha Election 2024। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से उधार मिले जाटव समाज के अनिल कुमार ने राज्यसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी का साथ देकर निष्ठा दिखाई और पार्टी ने कैबिनेट मंत्री का रिटर्न गिफ्ट देते हुए एक तीर से कई निशानों को साधा। चंद्रशेखर की तरह अनिल कुमार भी मूलत सहारनपुर के रहने वाले हैं।
आनंद प्रकाश, मुजफ्फरनगर। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से उधार मिले जाटव समाज के अनिल कुमार ने राज्यसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) का साथ देकर निष्ठा दिखाई और पार्टी ने कैबिनेट मंत्री का रिटर्न गिफ्ट देते हुए एक तीर से कई निशानों को साधा।
नगीना सीट से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की तैयारी में जुटे दलित चेहरा चंद्रशेखर को घेरने एवं बिजनौर में चंदन चौहान को जिताने के लिए दलित वोटों को साथ लाने के लिए जयन्त ने तीन बार के विधायक अनिल कुमार पर दांव चला है।
चंद्रशेखर की तरह अनिल कुमार भी मूलत: सहारनपुर के रहने वाले हैं। पहले अच्छे दोस्त रहे जयंत और चंद्रशेखर चुनावी समर में अब आमने सामने हैं। खतौली विधानसभा उपचुनाव में भी चंद्रशेखर ने रालोद प्रत्याशी के पक्ष में खूब प्रचार किया था।
चर्चा किसी और की, किस्मत अनिल की खुली
रालोद कोटे से योगी सरकार में मंत्री बनने के लिए विधायक राजपाल बालियान और अशरफ अली का नाम चर्चा में था, लेकिन छोटे चौधरी ने जातीय समीकरण साधते हुए दलित कार्ड चल दिया। इस निर्णय के जरिए रालोद ने सबको साथ लेकर चलने का संदेश भी दिया।
योगी सरकार में दूसरा जाटव मंत्री
सीएम योगी की टीम में संभल से मंत्री बनाई गईं गुलाबो देवी धोबी समाज की हैं। पश्चिम क्षेत्र की 14 सीटों में से कोई जाटव मंत्रिमंडल में नहीं है जबकि प्रशासनिक दृष्ट से पश्चिम उत्तर प्रदेश की 27 संसदीय सीटों की बात करें आगरा से जाटव समाज की बेबीरानी मौर्य कैबिनेट मंत्री हैं।
अलीगढ़ से अनूप वाल्मीकि, जबकि मेरठ के हस्तिनापुर से दिनेश खटीक भी दलित कोटे से मंत्री हैं, लेकिन पश्चिम क्षेत्र में जाटव समाज का प्रतिनिधित्व नहीं था। जयंत ने रालोद की जमीनी पकड़ बढ़ाने एवं एनडीए को ताकत देने के लिए जाटव चेहरा अनिल को कैबिनेट मंत्री बनवाया। इस बहाने रालोद जहां बिजनौर में चंदन चौहान की रणनीति को धार देगा, वहीं नगीना में भाजपा प्रत्याशी ओमकुमार के लिए भी दलित वोटों की गठरी कसेगा।
राजनीतिक सफर
अनिल कुमार वर्ष 2007 में चरथावल (सुरक्षित) सीट से बसपा के टिकट पर पहला चुनाव लड़कर सदन पहुंचे। वर्ष 2012 में पुरकाजी से बसपा के टिकट पर फिर विधायक बन गए। 2017 में भाजपा प्रत्याशी से हार गए। इसके बाद अनिल सपा में शामिल हुए। लेकिन वर्ष 2022 में सपाई रहते हुए पुरकाजी सीट से रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़कर तीसरी बार विधायक बने।
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