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925 Crores के फर्जी बिल बनाकर डकार गए 135 करोड़, इंटर पास निकला मास्टर माइंड; मुजफ्फरनगर पुलिस ने किया खुलासा

Muzaffanagar News 135 करोड़ की जीएसटी चोरी का बड़ा खुलासा मुजफ्फरनगर पुलिस ने किया है। इस मामले में साइबर थाना में केस दर्ज हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह ने 48 फर्जी कंपनियां बना रखी थीं। ये गिरोह देशभर में दूसरी कंपनियों को फर्जी बिल देते थे। पकड़े लोगों में एक आरोपित बीटेक पास है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 25 Sep 2024 07:57 AM (IST)
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मुजफ्फरनगर पुलिस लाइन में पकडे गये आरोपितों के बारे में जानकारी देते एसएसपी अभिषेक सिंह। जागरण

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। Muzaffarnagar News: फर्जी कंपनियों के नाम से बिल बनाकर जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह का पुलिस ने राजफाश किया है। गिरोह ने पांच साल में 48 फर्जी कंपनियां बनाकर 925 करोड़ के फर्जी बिल काटे और 135 करोड़ की जीएसटी चोरी कर ली।

पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। फर्जी बिल बनाने में कमीशन की रकम हवाला के जरिये लिया जाता था।

साइबर क्राइम पुलिस थाना में दर्ज हुआ था केस

एसएसपी अभिषेक सिंह के अनुसार रतनपुरी थाना क्षेत्र के अश्विनी ने गत दो सितंबर को साइबर क्राइम पुलिस थाना में मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि कुछ लोगों ने उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि कागजात से फर्जी कंपनी बना ली और फर्जी बिल बनाकर जीएसटी चोरी की है। 248 करोड़ की जीएसटी चोरी का मुकदमा दर्ज हुआ था।

सात आरोपित किए गिरफ्तार

एसएसपी ने बताया, कि जांच के बाद मंगलवार को जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह में शामिल सात आरोपित तस्लीम, जुनैद, आस मोहम्मद, सेठी, आसिफ, मोइन व अजीम को गिरफ्तार कर लिया। तस्लीम का भाई वहादत फरार है।

इंटर पास है मास्टरमाइंड

एसएसपी ने बताया, इंटर पास तस्लीम गिरोह का मास्टरमाइंड है। यह गिरोह गिरोह बेरोजगार युवकों को नौकरी का लालच देकर उनसे कागजात लेता था और बीटेक पास आरोपित अजीम युवकों की फर्जी केवाईसी कराकर उनके नाम से जीएसटी में फर्म पंजीकृत करा लेता था। इसके बाद यह गिरोह पूरे देश में स्क्रैप और कबाड़ का काम करने वाले ऐसे व्यापारियों की तलाश करता था, जिनके पास जीएसटी नंबर नहीं होता था।

ऐसे कारोबारियों को फर्जी कंपनी का बिल देकर जीएसटी चोरी करते थे। जीएसटी का बिल देने में कमीशन की रकम कंपनी के खाते में न लेकर हवाला के माध्यम से ली जाती थी, जिसमें सेठी की अहम भूमिका थी।

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हवाला से ली रकम

दिसंबर 2023 से सितंबर 2024 तक यह गिरोह हवाला के माध्यम से एक करोड़ 90 लाख रुपये ले चुका है। इसके साक्ष्य सेठी के मोबाइल में मिले हैं। आरोपित अजीम विदेशी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों से भी जुड़ा है। यह गिरोह फर्जी आधार व फर्जी पते पर सिम खरीदता था। 

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