इस बार सपा ने खेला मुस्लिम कार्ड-RLD में मंथन; इतिहास दे रहा बड़ा हिंट, समझिए मीरापुर विधानसभा सीट का गणित
मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस सीट के इतिहास और भूगोल को ध्यान में रखकर राजनीतिक दल प्रत्याशी चयन में जुटे हैं। सपा ने मुस्लिम कार्ड खेला है वहीं रालोद मंथन कर रहा है। पहली बार आजाद समाज पार्टी भी इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
संजीव तोमर, मुजफ्फरनगर।
मीरापुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव की रणभेरी बज गई है। राजनीतिक दलों इस सीट के इतिहास और भूगोल को ध्यान में रखकर प्रत्याशी का चयन करने में जुटे हैं। सपा ने जहां मुस्लिम कार्ड खेला है, वहीं रालोद मंथन कर रहा है। पहली बार आजाद समाज पार्टी भी इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी में है। कांग्रेस और भाजपा इस बार गठबंधन धर्म निभाने की भूमिका में है।
कांग्रेस ने सपा और भाजपा ने रालोद के लिए सीट छोड़ दी है। इस सीट का राजनीतिक इतिहास दर्शाता है कि यहां का वोटर किसी एक राजनीतिक दल के साथ लंबे समय तक नहीं रहा। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और सपा से यहां से विधायक बने हैं।
मीरापुर विधानसभा सीट का भू-भाग काफी विस्तृत और विविधतापूर्ण है।
तीर्थनगरी शुकतीर्थ इसी विधानसभा का हिस्सा
महाभारत कालीन तीर्थनगरी शुकतीर्थ इसी विधानसभा का हिस्सा है। हैदरपुर वेटलैंड समेत सबसे अधिक वन्य अभ्यारण क्षेत्र इसी विधानसभा क्षेत्र में है। जनपद की एकमात्र सहकारी चीनी मिल मोरना इसी क्षेत्र में है। परिसीमन में दो बार इस सीट का भूगाेल बदला है।
आजादी के बाद वर्ष 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट का नाम मुजफ्फरनगर पूर्वी जानसठ उत्तरी था। वर्ष 1967 में इसका नाम मोरना विधानसभा कर दिया गया। इसके बार परिसीमन में वर्ष 2012 में मीरापुर सीट बनी। इस सीट में जानसठ और मारना ब्लाक शामिल हैं।
यहां के वोटरों ने विभिन्न राजनीतिक दलों और बिरादरी के प्रत्याशियों को विधायक सभा भेजा है।
इस सीट पर तीन बार कांग्रेस, तीन बार भाजपा, तीन बार रालोद, दो बार बसपा और एक बार सपा ने जीत दर्ज की है। इसके साथ ही मुस्लिम, पाल, सैनी, गुर्जर, त्यागी बिरादरी के प्रत्याशियों को विजयश्री मिली है। इस बार इस सीट पर कुल मतदाता 3.23 लाख है, जिसमें 1.71 लाख पुरुष और 1.52 लाख महिला वोटर हैं।