यूपी में होटलों के नाम बदलने पर छिड़ी राजनीतिक बहस, ओवैसी ने की हिटलर से तुलना तो पुलिस ने भी दे दिया जवाब
प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री एवं कई संतों द्वारा मांग उठाने पर होटलों के नाम बदले गए तो दिल्ली मुस्लिम आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाया है। उन्होंने इसे हिटलर के जर्मनी में जुडेनबायकाट की संज्ञा दी है। इस पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी जवाब देते हुए इस निर्णय का कारण बताया।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। कांवड़ यात्रा मार्ग पर देवी देवताओं के नाम से संचालित होटल और ढाबों के नाम बदलवाने से राजनीतिक बहस छिड़ गई है। प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री एवं कई संतों द्वारा मांग उठाने पर होटलों के नाम बदले गए, तो दिल्ली मुस्लिम आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाया है। उन्होंने इसे हिटलर के जर्मनी में जुडेनबायकाट की संज्ञा दी है।
बता दें कि बघरा स्थित आश्रम के महंत यशवीर महाराज ने यह मुद्दा उठाया था कि मुस्लिम समाज के लोग देवी देवताओं के नाम से संचालित करते हैं। इस दशा में कांवड़ियों के भ्रमित होने पर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका रहती है।
वहीं, समीक्षा बैठक में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने भी कहा था कि दुकानों के नाम उनके संचालक के नाम पर ही होने चाहिए। यति नरसिंहानंद गिरि ने भी यही मांग उठाई थी।
एसएसपी ने की थी नाम बदलने की अपील
पिछले दिनों पुलिस ने कांवड़ मार्ग और दिल्ली दून हाईवे पर चेकिंग कराई थी। एसएसपी अभिषेक सिंह ने अपील की थी कि अपने होटल का नाम बदल लें और वहां काम करने वाले लोगों का नाम प्रदर्शित करें।
एसएसपी का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर अपने अकाउंट से इसको लेकर पोस्ट डाली है।
उसमें लिखा कि अब हर खाने वाली दुकान या ठेले मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से किसी मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले, इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथेड कहा जाता था, और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबायकाट था।
पुलिस ने दिया पोस्ट का जवाब
सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पोस्ट पर मुजफ्फरनगर पुलिस ने भी जवाब दिया है, जिसमें कहा गया है कि श्रावण कांवड़ यात्रा के दौरान सीमावर्ती राज्यों से पश्चिम उत्तर प्रदेश से होते हुए लाखों कांवड़िए हरिद्वार से जल लेकर मुजफ्फरनगर से होकर जाते है।
कांवड़िए अपने खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके है, जहां कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार अपनी दुकानों के नाम इस तरह रखते हैं, जिससे कांवड़िए भ्रमित हो जाते हैं और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाती है।
इस प्रकार की पुनरावृत्ति को रोकने और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए होटल, ढाबे और खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वह स्वेच्छा से अपने मालिक और दुकान पर काम करने वालों का नाम प्रदर्शित करें। इस आदेश का आशय किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं है। यह व्यवस्था पूर्व में प्रचलित है।