कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल-ढाबा संचालकों की पहचान उजागर करने का मामला पहुंचा मानवाधिकार आयोग, TMC सांसद ने की शिकायत
देशभर में विरोध के बावजूद कांवड़ मार्ग पर खानपान की दुकानों पर मालिक और वहां काम करने वालों का नाम लिखने के फैसले पर सहारनपुर परिक्षेत्र के डीआइजी अजय साहनी अडिग हैं। उनका कहना है कि परिक्षेत्र के तीनों जिले सहारनपुर शामली और मुजफ्फरनगर के कप्तान को निर्देशित किया गया है कि वे कांवड़ मार्ग पर खानपान की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखवाना सुनिश्चित करें।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल और ढाबा संचालकों की पहचान उजागर करने का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने एनएचआरसी के रजिस्ट्रार (ला) जोगेंद्र सिंह को शिकायतपत्र भेजा है। उसमें कहा है कि मुजफ्फरनगर पुलिस की मंशा ठीक नहीं है और यह आदेश अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के साथ भेदभाव करता है। उनका यह पत्र इंटरनेट मीडिया पर भी प्रसारित हुआ है।
साकेत गोखले ने पत्र में उन्होंने लिखा है कि पुलिस का यह आदेश यदि यात्रियों को किसी भी प्रकार के भोजन संबंधी भ्रम से बचने में मदद करना है, जिससे वे परहेज करते हैं, तो पेश किए जाने वाले व्यंजनों की सूची वाला एक स्पष्ट बोर्ड पर्याप्त होगा।होटल या ढाबे पर मांसाहारी या शाकाहारी भोजन ही परोसा जाता है, यह लिखने से भी यात्रियों को स्पष्ट जानकारी मिल सकती है। उन्होंने लिखा है कि यह बेहद शरारती और गैरकानूनी आदेश केवल अल्पसंख्यक समुदाय के विक्रेताओं को अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर करने के लिए जारी किया गया है। ताकि किसी प्रतिष्ठान को एक मुस्लिम द्वारा स्वामित्व/संचालन के रूप में पहचाना जा सके। जबकि कानून के तहत प्रतिष्ठान में मालिक और कर्मचारियों का नाम प्रदर्शित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। ग्राहक को भी विक्रेता या रेस्तरां मालिक के धर्म या जाति के बारे में कोई चिंता नहीं होनी चाहिए।
यह भी पढ़ें: यूपी में होटलों के नाम बदलने पर छिड़ी राजनीतिक बहस, ओवैसी ने की हिटलर से तुलना तो पुलिस ने भी दे दिया जवाब
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।