सूख गए राजवाहों के हलक, सिचाई को तरसे किसान
गंगनहर का जलस्तर कम हो गया है जिससे रजवाहों में पानी का प्रवाह बंद कर दिया गया है। इससे किसान चितित हैं। सिचाई नहीं होने से गन्ना हरा चारा की फसल को पानी नहीं मिल रहा है। खेतों का पलेवा नहीं होने से बुवाई कार्य भी प्रभावित हो रहा है। किसानों ने रजवाहों में पानी छोड़ने की मांग की है। किसानों का कहना है कि दो माह से ठीक से पानी आपूर्ति नहीं हो रही है। टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं सिचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। गंगनहर का जलस्तर कम हो गया है, जिससे रजवाहों में पानी का प्रवाह बंद कर दिया गया है। इससे किसान चितित हैं। सिचाई नहीं होने से गन्ना, हरा चारा की फसल को पानी नहीं मिल रहा है। खेतों का पलेवा नहीं होने से बुवाई कार्य भी प्रभावित हो रहा है। किसानों ने रजवाहों में पानी छोड़ने की मांग की है। किसानों का कहना है कि दो माह से ठीक से पानी आपूर्ति नहीं हो रही है। टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं सिचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं।
कोरोना संक्रमण का असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। किसान-मजदूर प्रभावित हैं। किसान महामारी से जूझते हुए खेती कार्य में लगे हुए हैं। जिले में काफी बड़े कृषि भू-भाग पर गंगनहर के पानी से खेतों की सिचाई होती है। गंगनहर से पानी रजवाहों में जाता है और वहां से माइनरों व नाली के माध्यम से खेतों में जाता है। गर्मी से सीजन चल रहा है। लू के चलते कृषि वैज्ञानिक खेतों में जल्दी-जल्दी सिचाई करने का सुझाव दे रहे हैं, लेकिन किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल नहीं मिल रहा है। उत्तराखंड के मोहम्मपुर से निकलने वाले रजवाहों से पर्याप्त पानी किसानों को नहीं मिल रहा है। दरअसल, गंगनहर से रजवाहों में आधे पानी की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है, जिससे टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। गांव सीकरी, रहमतपुर, भोपा, बेलड़ा, अथाई समेत दर्जनों गांवों के किसान फसलों की सिचाई के लिए परेशान है।