तीन पीढ़ियां, साझी छत, साझा चूल्हा
मुजफ्फरनगर, रोहिताश्व कुमार वर्मा।
बदलते परिवेश में आज भौतिक सुख के लिए संयुक्त परिवार विघटित होकर एकल परिवार में बदल रहे हैं, जिसके चलते रिश्तों के मोती एक कड़ी में पिरोना बहुत की मुश्किल है। सच तो ये है कि संयुक्त परिवारों के बिखरने से एकल परिवारों का चलन आम हो चला है, लेकिन भोपा क्षेत्र के करहेड़ा गांव में दादा से पोते तक तीन पीढ़ियां एक ही छत के नीचे रहकर एक ही चूल्हे पर बना खाना खाते हैं। यह परिवार जहां लोगों के लिए मिसाल बना है वहीं समाज के लिए प्रेरणादायी है। रीति-रिवाज, परस्पर एकता, समन्वय और सामंजस्य का भाव बिखेरने वाला यह संयुक्त परिवार उन एकल परिवारों के लिए नसीहत है जो मामूली बात पर हंसी-खुशी और सामंजस्य ताक पर रख देते हैं।
पंडितजी संभाले हैं परिवार की डोर
करहेड़ा गांव में पंडित सुरेश चंद शर्मा का परिवार लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है। दादा से पोते तक आज भी एक छत के नीचे रहते हैं। परिवार में पत्नी सौभाग्यवती देवी के अलावा चार बेटे प्रमोद शर्मा, सुबोध उर्फ बिट़्टू, पंकज शर्मा, नीरज शर्मा, चार पुत्रवधू बबली, अनीता, अर्चना, दीपा, पांच पोते सुलभ, हर्षित, आरव, माधव, पर्जन्य, तीन पोती श्वेता, नेहा व अनन्या एक चूल्हे पर बना खाना खाते हैं। बताते हैं कि परिवार का कोई भी सदस्य यदि बाजार से फल खरीद कर लाता है तो उसे घर की बड़ी अम्मा सौभाग्यवती देवी को देते हैं फिर वह ही सभी सदस्यों बराबर फल वितरित करती हैं।
बेटे लेते हैं मशविरा, दो पोतियों की कर दी शादी
बुजुर्ग पंडित सुरेश चंद शर्मा बताते हैं कि उनके चारों बेटे आज भी हर कार्य में उनसे मशविरा लेते हैं। रोजाना शाम को परिवार के सभी सदस्य चटाई पर ही बैठकर खाना खाते हैं। दो पोतियों श्वेता शर्मा व नेहा शर्मा की शादी कर दी है। घर में प्रत्येक रविवार को पकवान व खीर जरूर बनती है। परिवार की सुख-समृद्धि के लिए समय-समय पर घर में हवन-यज्ञ एवं भगवान श्रीसत्यनारायण की कथा का भी आयोजन होता रहता है। किसी भी समाज का केंद्र परिवार ही होता है। परिवार की हर उम्र के लोगों को सुकून पहुंचाता है।
दिल्ली से आकर परिवार संग मनाते हैं जन्मदिन
घर की बुजु्र्ग अम्मा सौभाग्यवती शर्मा बताती हैं कि छोटा बेटा नीरज दिल्ली में कम्प्यूटर जाब वर्क करने लगा है, लेकिन बच्चों का जन्मदिन गांव में घर पर आकर ही एक साथ मनाते हैं।