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World Haritage Day : श्रीराम दरबार ने मानस कथा को दिया संगीत का आकार Muzzaffarnagar News

चौथी पीढ़ी तक शास्त्रीय संगीत और श्रीराम कथा की कला को पहुंचाय है। साथ ही शर्मा बंधुओं ने पुत्रों के नाम भी वाद्य यंत्र और संगीत पर रखें हैं।

By Prem BhattEdited By: Updated: Fri, 17 Apr 2020 09:22 PM (IST)
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World Haritage Day : श्रीराम दरबार ने मानस कथा को दिया संगीत का आकार Muzzaffarnagar News

मुजफ्फरनगर, [दिलशाद सैफी]। सिसौली की धरती से भारतीय किसान यूनियन की शक्ल में किसान आंदोलन की ज्वाला प्रज्ज्वलित हुई। उसी आबोहवा से निकली भजन गायन की धारा समूचे विश्व को भक्तिभाव से सराबोर कर रही है। रामचरित मानस को संगीतबद्ध कर विश्वव्यापी बनाने में सिसौली के शर्मा बंधुओं का योगदान स्वर्ण अक्षरों में लिखा है।

मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली कस्बा में श्रीराम कथा को सुरों में पिरोने वाले मोती भी जन्मे हैं। जनपद के शर्मा बंधुओं ने देश-दुनिया में छाप छोड़ी है। इनका परिवार श्रीराम दरबार के नाम से जाना जाता है। परिवार की रग-रग में संगीत और श्रीराम बसते हैं। शर्मा बंधुओं का अनुराग देखिए, सुरमयी विरासत को बनाए रखने के लिए अपने एक-एक पुत्रों का नाम वाद्य यंत्रों और संगीतमयी शब्दों के आधार पर रखा है। संगीत रूपी तरुवर की छाया अब चौथी पीढ़ी तक पहुंच गई है। बेटों के साथ ही विवाहित बेटियों ने भी अपनी धरोहर को बरकरार रखने का प्रण लिया है। हालांकि 22 लोगों का संयुक्त परिवार कुछ साल पहले महाकाल की नगरी उज्जैन में बस गया है।

...और जब तेरी शरण में आया मेरे राम

शर्मा बंधुओं ने एक फिल्म में गीत गाया। ये गीत आज भी याद आ जाता है तो कद्रदान बरबस ही गुनगुनाने हुए सुधबुध सी खो बैठता है। वर्ष 1970 में आई फिल्म थी परिणय। गीत के बोल थे, सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया। इस गीत ने शर्मा बंधुओं और मुजफ्फरनगर को देश-दुनिया में नई पहचान दी। इसे संगीत में ढालने और पिरोने वाले पंडित गोपाल (82), शुकदेव शर्मा (76), कौशलेंद्र शर्मा (71) और राघवेंद्र शर्मा (64) हैं। चारों भाइयों को यह कला अपने पिता पंडित रामानंद शर्मा से विरासत में मिली।

भजन के साथ शास्त्रीय संगीत का तालमेल

कथा, भजन संध्या की विरासत को तीसरी पीढ़ी भी खूब रोशन कर रही है। पंडित गोपाल शर्मा के पुत्र अंजुल शर्मा, सुखदेव के पुत्र सारंग शर्मा, कौशलेंद्र शर्मा के बेटे अवधेंदू शर्मा और राघवेंद्र के पुत्र गौरांग शर्मा ने प्रतिभा और कला की छाप छोड़ी है। अंजुल सुरमयी विरासत को शास्त्रीय तौर-तरीकों से भजन संध्या, सुंदरकांड पाठ, श्रीराम कथा के जरिए विरासत को कायम रखने और उसका प्रचार-प्रचार कर रहे हैं। सारंग व अवधेंदु शर्मा ने शास्त्रीय कला को वर्तमान परिवेश में ढाला है। यह दोनों मिलकर उज्जैन में ही म्यूजिक एकेडमी चलाकर युवाओं को गिटार, की-बोर्ड संगीत और गायन सिखा रहे हैं। चौथे गौरांग पुणे की आइटी में कार्य करते हैं, लेकिन संगीत से दिली लगाव है।

अंजुल की बेटियों ने भी रखा कदम

परिवार में सबसे बड़े पुत्र अंजुल की बेटियां नवधा आदि ने सुंदरकांड पाठ, भजन गायकी में अमिट छाप छोड़ रही हैं।