Move to Jagran APP

देशभर में गजराज की हुईं दर्दनाक मौतें, करंट से 100 और ट्रेन की चपेट में आने से 15 हाथियों की गई जान

सरकारी प्रयासों के बावजूद देश में हाथियों की मौत के मामलों में कमी नहीं आ रही है। यह खुलासा जानवरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे शहर निवासी समाजसेवी रंजन तोमर की आरटीआई में सामने आया है। उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी थी। मंत्रालय की ओर से हाथियों के संबंधी में जानकारी उपलब्ध कराई गई है।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 15 Apr 2024 09:30 PM (IST)
Hero Image
करंट से 100 और ट्रेन की चपेट में आने से 15 हाथियों की गई जान।
जागरण संवाददाता, नोएडा। सरकारी प्रयासों के बावजूद देश में हाथियों की मौत के मामलों में कमी नहीं आ रही है। यह खुलासा जानवरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे शहर निवासी समाजसेवी रंजन तोमर की आरटीआई में सामने आया है। उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी थी।

मंत्रालय की ओर से हाथियों के संबंधी में जानकारी उपलब्ध कराई गई है। रंजन ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में सरकार के नए प्रयासों के बावजूद करंट लगने से मरने वाले हाथियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्ष 2019-20 में 76 हाथी इस कारण से मारे गए थे।

हथियों की मौत के आंकड़े

2020-21 में यह संख्या घटकर 65 रही, जबकि 2021-22 में 57, लेकिन 2022-23 में यह बढ़कर 100 होना चिंताजनक है। इसमें सबसे ज़्यादा हाथी ओडिशा, आसाम, तमिलनाडु और कर्नाटक में हुई है। वहीं ट्रेन हादसों में भी हाथियों की मौत में कमी नहीं आई है। 2018-19 में 19, 2019-20 में 14 , 2020-21 में 12, 2021-22 में 15 और 2022-23 में फिर 15 हाथियों की मौत हुई।

सरकार ने किए यह प्रयास

  • सरकार प्रोजेक्ट टाइगर एवं एलीफैंट के तहत राज्य सरकारों को संरक्षण हेतु दे रही आर्थिक पैकेज।
  • मंत्रालय द्वारा राज्यों एवं बिजली कंपनियों को करंट से बचाव हेतु जारी उपायों की एडवाइजरी।
  • पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय हादसों को रोकने के लिए कर रहे बैठक।
  • अन्य मंत्रालय, राष्ट्रिय राजमार्ग प्राधिकरण, विश्व बैंक आदि ने हाथियों को होने वाली क्षति संबंधी पुस्तिका भी की प्रकाशित।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।