HIV in Noida Jail: नोएडा की जेल में 14 बंदियों को एड्स, विभाग चुप्पी साधे बैठा
स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगाए गए स्वास्थ्य शिविर में 14 बंदी एचआईवी संक्रमित (HIV Positive) मिले हैं। इनके अलावा जेल में टीबी के 36 हेपेटाइटिस बी और सी के भी मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बंदियों का इलाज शुरू करा दिया है। जेल में इनमें 2600 से अधिक बंदियों की स्क्रीनिंग हुई। सभी को दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मोहम्मद बिलाल, नोएडा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगाए गए स्वास्थ्य शिविर में 14 बंदी एचआईवी संक्रमित (HIV Positive) मिले हैं। इनके अलावा जेल में टीबी के 36 हेपेटाइटिस बी और सी के भी मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बंदियों का इलाज शुरू करा दिया है।
उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी के निर्देश पर 12 से 18 दिसंबर तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला लुक्सर जेल में स्क्रीनिंग शिविर का आयोजन किया जाना था, लेकिन शिविर का आयोजन 21 दिसंबर तक हुआ। इनमें 2600 से अधिक बंदियों की स्क्रीनिंग हुई।
इनमें सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (एसटीडी), इम्यूनो डिफीशिएंसी वायरस (एचआईवी), टीबी (क्षय रोग) और हेपेटाइटिस की जांच की गई। जांच के दौरान जेल में बंद 14 बंदी एचआईवी पॉजिटिव मिले है। इसी तरह 36 टीबी के मरीज भी मिले हैं। हेपेटाइटिस के भी मरीज मिले हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जेल में संक्रमित मिले बंदियों का इलाज शुरू करा दिया गया है। जिले जेल में तैनात चिकित्सीय स्टाफ की मांग के आधार पर दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही है। चिकित्सकों को जेल में मिले बंदियों की निगरानी करने और पूरा उपचार देने के निर्देश दिए गए हैं।
पूर्व में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए गए स्क्रीनिंग अभियान के दौरान 26 बंदी में एचआईवी की पुष्टि हुई थी। हालांकि विभाग की ओर से जेल में बंदियों की गई स्क्रीनिंग का डाटा तैयार नहीं किया जा सका है, जिससे शासन की ओर से विभाग को फटकार लगाई है।
क्यों सामने आए एचआईवी के मामले विभाग मौन?
जेल से इतने एचआईवी के मामले सामने क्यों आ रहे हैं इसकी वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है। जिला अस्पताल के डॉक्टर बताते हैं कि एचआईवी के कई कारण हो सकते हैं। यह ऐसा वायरस जो शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता यानी इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है। इसी वायरस से एड्स फैलता है। एचआईवी शरीर में कई तरीकों से घुस सकता है
पहला, असुरक्षित यौन संबंध से, दूसरा खून से और तीसरा एचआईवी पॉजिटिव मां से बच्चे को या फिर संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया गया इंजेक्शन अगर कोई अन्य व्यक्ति इस्तेमाल करे तो। कई लोगों में एचआईवी के लक्षण नहीं दिखते हैं। कुछ लोगों में दो, पांच या 10 साल बाद पता चलता है कि उनके शरीर में यह वायरस है।
एचआईवी शरीर की इम्युनिटी पर हमला करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले सेल्स को खाने लगता है। इससे शरीर में सीडी4 का काउंट कम होने लगता है। यह एक तरह का प्रोटीन होता है। शरीर में सीडी-4 प्रोटीन की संख्या 500 से ज्यादा होनी चाहिए। अगर यह संख्या घटकर 200 से कम हो जाए तब एचआईवी इंफेक्शन को एड्स कहा जाता है।
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