'तारीख पर तारीख नहीं, इंसाफ चाहिए...', ग्रेटर नोएडा में बिल्डर और रेरा के बीच चक्करघिन्नी बना सेना का जवान
मूलरूप से आजमगढ़ के रहने वाले प्रवीण कुमार राय ने बताया कि वह एयरफोर्स में सार्जेंट के पद पर कार्यरत है। फ्लैट बुकिंग के दौरान बिल्डर ने तीन साल में परियोजना का निर्माण कार्य पूरा कर फ्लैट पर कब्जा देने का वादा किया था लेकिन तय समय में कब्जा नहीं मिला। थक हारकर पीड़ित ने वर्ष 2020 में यूपी रेरा का दरवाजा खटखटाया।
अजब सिंह भाटी, ग्रेटर नोएडा। पिछले नौ साल से धक्के खा रहा हूं। आदेश की कॉपी लेने आया था, लेकिन फिर से मामले में सुनवाई को तारीख लगा दी। सेना में जवान हूं। इतना समय नहीं की रोज धक्के खाता रहूं। तारीख नहीं इंसाफ चाहिए।
आजमगढ़ के रहने वाले प्रवीण कुमार राय ने जब उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण(यूपी रेरा ) अधिकारियों व कर्मचारियों के सामने तर्क-वितर्क किया तो अधिकारी बगले झांकने लगे।
हो चुका है फ्लैट की कीमत का 40 प्रतिशत भुगतान
मूलरूप से आजमगढ़ के रहने वाले प्रवीण कुमार राय ने बताया कि वह एयरफोर्स में सार्जेंट के पद पर कार्यरत है। उन्होंने वर्ष 2014 में सेक्टर 10 स्थित स्काईटेक कलर्स एवेन्यू बिल्डर परियोजना में फ्लैट खरीदा था, बिल्डर को फ्लैट की कीमत का 40 प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है।
फ्लैट बुकिंग के दौरान बिल्डर ने तीन साल में परियोजना का निर्माण कार्य पूरा कर फ्लैट पर कब्जा देने का वादा किया था, लेकिन तय समय में कब्जा नहीं मिला। थक हारकर पीड़ित ने वर्ष 2020 में यूपी रेरा का दरवाजा खटखटाया। पीठ दो में करीब दो साल मामले की सुनवाई चली।
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नहीं हो सकी बिल्डर से धनराशि की रिकवरी
तत्कालीन पीठ सदस्य बलविंदर कुमार ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए रिकवरी सर्टिफिकेट का आदेश जारी कर दिया। प्रवीण ने बताया कि पिछले एक साल से वसूली की मांग को लेकर प्रशासन के चक्कर काटता रहा, लेकिन बिल्डर से धनराशि की रिकवरी नहीं हो सकी।
नवंबर 2022 को बिल्डर ने रेरा में दोबारा पुन: सुनवाई की अपील की, पीड़ित का दावा है कि तीन बार सुनवाई होने के बाद रेरा ने बिल्डर की अपील नाै मार्च 2023 को खारिज कर दिया, लेकिन बिल्डर उसके बाद भी मनमर्जी पर उतारू है। पीड़ित का आरोप है कि थक हाकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
मांगी थी आदेश की कॉपी, मिली तारीख
हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखने के लिए जब वह रेरा कार्यालय आदेश की कॉपी लेने गए तब आरोप है कि रेरा कर्मचारियों ने आदेश की कॉपी के बजाय मामले में फिर से सुनवाई की तारीख निर्धारित कर दी। जबकि वर्चुअल सुनवाई में बिल्डर की शिकायत को ही खारिज कर दिया था। पीड़ित का आरोप है कि पिछले चार साल से बिल्डर व रेरा के बीच चक्करघिन्नी बने हुए हैं। रेरा ने उनके साथ धोखा किया है।
वहीं रेरा अधिकारियों का कहना है कि उनका हमेशा प्रयास बिल्डर परियोजनाओं में फंसे खरीदारों की शिकायतों का समाधान कराना होता है। बिल्डर व शिकायतकर्ता के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश कराई जा रही है, ताकि दोनों के बीच सुलह-समझौता करा मामले का निपटारा कराया जा सके।