इलाहाबाद HC ने ग्रेनो प्राधिकरण को दिया करीब 47 करोड़ रुपये भुगतान का आदेश, 20 साल पुराना है मामला
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले से जोरदार झटका दिया है। दरअसल 20 साल पहले ग्रेनो ने 240 कर्मचारियों माली और सफाईकर्मियों को नौकरी से हटा दिया था। जिसको लेकर अब कोर्ट को फैसला प्राधिकरण के खिलाफ आया है। कोर्ट ने अपने फैसले में फिर से नौकरी पर रखने के साथ ही 46 करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। करीब 20 वर्ष पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) से नौकरी से हटाए गए 240 कर्मचारियों माली व सफाईकर्मी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को बड़ा झटका दिया है। प्राधिकरण की याचिकाओं को खारिज करते हुए 46 करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर को 90 दिन में आदेश का पालन सुनिश्चित कराने को कहा है। साथ बी कार्य पर बहाल करने का भी आदेश दिया है। ग्रेटर नोएडा माली व सफाई कामगार यूनियन के बैनर तले कर्मी कानून लडा़ई लड़ रहे थे।
प्राधिकरण ने साल 2003 में 240 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया
यूनियन के महामंत्री रामकिशन सिंह व मंत्री टीकम सिंह ने बताया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण के खिलाफ व नियमितीकरण के लिए कर्मचारियों ने 1998 से सीटू के नेतृत्व में आवाज उठाना शुरू किया था। प्राधिकरण ने वर्ष 2003 में 240 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया था।इसके विरोध में कर्मचारी कोर्ट चले गए थे। 24 साल की लंबी लड़ाई के बाद 16 अक्टूबर को इलाहबाद हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के हक में आदेश दिया है। श्रम न्यायालय द्वारा कर्मचारियों के पक्ष में किए गए अवार्ड के खिलाफ प्राधिकरण द्वारा दायर की गई सभी 20 याचिकाओं को खारिज करते हुए कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय दिया है।
90 दिन के भीतर आदेश का हो पालन-कोर्ट
कोर्ट ने जिलाधिकारी आदेश दिया है कि 90 दिन के भीतर आदेश का पालन सुनिश्चित कराते हुए प्राधिकरण से धनराशि वसूलकर कर्मचारियों को भुगतान कराया जाए। साथ ही विवाद से संबंधित सभी श्रमिकों को क्षतिपूर्ति सहित सेवा के पुराने क्रम में कार्य पर बहाल कराया जाए।
फाइल फोटो
दरअसल मामले में श्रम विभाग द्वारा चार जनवरी 2024 को 46 करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपये की वसूली प्रमाण पत्र जारी कर जिलाधिकारी से प्राधिकरण से वसूल कर कर्मचारियों को भुगतान करने का अनुरोध किया था। अवार्ड का पालन करने से बचने के लिए प्राधिकरण ने हाई कोर्ट में 20 रिट याचिकाएं दाखिल की थीं।
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