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निठारी कांड: कैसे बरी हो गए सुरेंद्र कोली व मोनिंदर पंढेर? जानिए हाईकोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

निठारी कांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद जांच एजेंसी के अलावा फोरेंसिक टीम की कलई खुल गई है। इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद हर किसी के जहन में यही सवाल है कि यदि पंढेर व कोली 19 बच्चों की हत्या के मामले में दोषी नहीं है तो आखिर किसने बच्चों की हत्या की। आखिर कातिल कौन है?

By Praveen SinghEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Wed, 18 Oct 2023 03:37 PM (IST)
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किस आधार पर बरी हो गए सुरेंद्र कोली व मोनिंदर पंढेर

जागरण संवाददाता, नोएडा। निठारी कांड मामले में कोर्ट ने 308 पन्ने का जो आदेश सुनाया है, उसमें कई तथ्य ऐसे हैं, जिससे जांच एजेंसी के अलावा फोरेंसिक टीम की कलई खुल गई है। आदेश में कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कभी कोई हत्या मकान नंबर डी पांच (पंढेर की कोठी) के अंदर हुई हो।

यदि सुरेंद्र कोली ने वास्तव में हत्या की है और घर के अंदर 16 टुकड़ों में बंटी लाशें थीं तो वहां किसी ना किसी सामान पर कुछ खून के धब्बे जरूर होते। खून के धब्बे घर के अलावा उसके कपड़ों पर भी मिलने चाहिए थे। इसके अलावा, इंसानी खाल या उसके कुछ कटे फटे टुकड़े, मांस और हड्डियां अवश्य कोठी के बाथरूम या किसी कमरे के हिस्से से जरूर मिलती।

कोठी से नहीं मिले सबूत

एक्सपर्ट की एक टीम एफएसएल आगरा ने मकान की जांच की थी। सीबीआई ने एम्स के विशेषज्ञों की एक टीम भी गठित की, जिन्होंने पंढेर की कोठी की गहराई से जांच की और सैंपल लिए। दोनों की जांच में कोठी से ना ही किसी दूसरे इंसान से जुड़े कोई सबूत मिले और ना ही खून से सने कपड़े, न कोई खून का धब्बा कहीं मिला।

सुरेंद्र कोली ने पुलिस के सामने जो कबूलनामा किया था, उसमें कहा था कि वह शव को कई घंटे तक बाथरूम में रखता था, लेकिन जांच में इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी। इन्हीं सब तथ्यों के चलते इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मोनिंदर पंढेर व सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया है। दोनों को पूर्व में सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद ने फांसी की सजा सुनाई थी।

19 बच्चों का कातिल कौन?

इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद हर किसी के जेहन में यही सवाल है कि यदि पंढेर व कोली 19 बच्चों की हत्या के मामले में दोषी नहीं है तो आखिर किसने बच्चों की हत्या की। आखिर कातिल कौन है। दरअसल, इलाहाबाद हाइकोर्ट ने निठारी कांड की जांच को लेकर ऐसे सवाल उठाए है जो कि पुलिस व जांच एजेंसी के लिए अध्यन करने योग्य है।

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कहा गया है कि जिस तरह से जांच एजेंसियों ने छोटी से छोटी और बेहद ही बेसिक गलतियों को दोहराया है, उसे जानकर लगेगा कि आखिर देश में जांच का स्तर क्या है। फोरेंसिक जांच में आज भी देश कितना पीछे है। यदि कोई आरोपित बयान देता है तो उससे जुड़े साक्ष्य और सबूत जुटाने में हमारी देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी कितनी विशेषज्ञ है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सिफारिश भी नहीं मानी

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा है कि घटना के बाद मानव अंगों के व्यापार होने के शक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सरकार द्वारा जांच एजेंसी से सिफारिश की गई थी। जांच एजेंसी ने इसको पूरी तरह से दरकिनार कर दिया था। हाइकोर्ट ने कहा कि निठारी में एक के बाद एक हत्या होती गई, पुलिस व जांच एजेंसी द्वारा असली कातिल का पता लगाने के बजाय जनता के विश्वास का हनन किया गया। शुरू से ही मामले की जांच सही दिशा में नहीं की गई।

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कोली को लेकर दिखाई संवेदना

हाइकोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने अंग व्यापार की संगठित गतिविधि पर काम करने के बजाय घर के एक गरीब नौकर को राक्षस बनाकर फंसाने का आसान रास्ता चुना। यदि गंभीर पहलू पर जांच एजेंसी ने ध्यान केंद्रित किया होता तो परिणाम कुछ और होता।

पंढेर ने जेल में कहा आ गया सच सामने

गौतमबुद्धनगर की लुक्सर जेल में बंद मोनिंद पंढेर को समाचार के माध्यम से पता चला कि उसको निठारी कांड में दोषमुक्त करार दिया गया है। वह रिहाई के आदेश का इंतजार कर रहा है। जेल में पंढेर ने कहा है कि आखिर सच आ ही गया सामने। हालांकि, उसके व्यवहार में कोई खास बदलाव नहीं आया है। वह शांत रूप से अपने बैरक में रहा। उसने मंगलवार को जेल के अधिकारियों से पूछा कि रिहाई का आदेश आया या नहीं।

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