सावधान! साइबर ठगों का नया पैतरा, आपके नाम पर सिम लेकर कर रहे मनी लॉन्ड्रिंग; जानें बचाव के उपाय
साइबर ठगों ने ठगी का नया हथकंडा अपनाया है। साइबर ठग आपके नाम पर सिम लेकर मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे हैं। शिकायतें साइबर क्राइम थाने में आ रही हैं। साइबर एक्सपर्ट की मानें तो साइबर अपराधी मनोवैज्ञानिक तरीके से हर चाल चल रहे हैं। जानिए कैसे हो रहे पढ़े-लिखे लोग ठगी का शिकार और क्या हैं इसके बचाव के उपाय।
मुनीश शर्मा, नोएडा। आपकी आईडी पर सिम लेकर मनी लॉन्ड्रिंग केस से संबंधित धनराशि का लेनदेन किया जा रहा है। ट्राई के पास जांच आने के चलते आपकी बात लखनऊ क्राइम ब्रांच से करवाई जा रही है। जांच में सहयोग करने और किसी को नहीं बताने पर बच सकते हैं। डरा कर जांच के नाम पर निजी जानकारी हासिल कर और फिर आरबीआई से खाता वैरीफाई कराने के नाम पर धनराशि हस्तांतरित की जा रही है। यह साइबर ठगों का अपराध करने का नया तरीका है। साइबर क्राइम थाने में इस तरह की शिकायत आ रही हैं। साइबर सेल ठगों की तलाश में जुटी है।
केस नंबर एक
ग्रेटर नोएडा कुलसेरा के प्रापर्टी डीलर सुरेंद्र सिंह को दो घंटे डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगों ने 92 हजार रुपये ठग लिए। साइबर ठगों ने पीड़ित के कागजातों से फर्जी खाता खोलकर बैंक फ्राड के 1.80 करोड़ रुपये का लेनदेन होना बताया।
केस नंबर दो
सेक्टर 77 स्थित प्रतीक विस्टरिया सोसायटी की प्रियंका को साइबर ठगों ने डिजीटल अरेस्ट कर 30 लाख रुपये की ठगी कर ली। पीड़िता को उनके मोबाइल नंबर का दुरुपयोग कर मनी लॉन्ड्रिंग की बात कहकर डराया। आरबीआइ से बैंक खाता वैरिफाई कराने के नाम पर धनराशि ट्रांसफर कराई।आखिर कैसे फंस रहे पढ़े लिखे लोग!
साइबर एक्सपर्ट की मानें तो साइबर अपराधी मनोवैज्ञानिक तरीके से हर चाल चल रहे हैं। किसी भी अनजान को फोन करने से पहले ठगों के पास यह जानकारी है कि वह व्यक्ति डिजिटल साक्षर है और उसका नाम क्या है। डिजिटल साक्षर व्यक्ति की निर्भरता ऑनलाइन यानि मोबाइल आदि पर ही है। ठग पहली चाल में ट्राईकर्मी बनकर फोन करते हैं। दो घंटे या शाम तक सिम बंद होने की बात कहते हैं।
सिम बंद होने की बात आते ही व्यक्ति के दिमाग में इधर-उधर चक्कर काटने जैसी परेशानी घूमने लगती है। फिर सिम बंद होने का कारण पूछता है तो उसके दस्तावेजों का दुरुपयोग कर सिम, बैंक खाते में मनी लॉन्ड्रिंग केस की धनराशि होने का बात कही जाती है। ठग काल को लखनऊ, दिल्ली या मुंबई क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर देता है। दूसरा ठग पुलिसकर्मी बनकर बात करता है।
वॉट्सऐप सीबीआई, रॉ जैसी जांच एजेंसी के पत्र यकीन दिलाने के लिए भेजता है। इसी के साथ गोपनीय संबंधी दिशा निर्देश भी भेज दिए जाते हैं। फिर पीड़ित को वीडियो कॉल के माध्यम से जोड़कर ठग उच्च अधिकारी जैसे डीसीपी, एसीपी, इंस्पेक्टर आदि बनकर बात करते हैं। व्यक्ति की नेचर के आधार पर साइबर ठग अधिकारी बनकर बात करते हैं। सहयोगी व्यवहार अपनाते हुए जांच में सहयोग करने की अपील करते हैं। केस के नाम पर ही आर्थिक से लेकर निजी जानकारी हासिल कर लेते हैं।
नोट: सभी मामले साइबर क्राइम थाने में दर्ज पांच लाख रुपये से ऊपर की ठगी के हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।धनराशि वैरिफाई के नाम पर पूरा खेल
ठग मनी लॉन्ड्रिंग केस होने के चलते आर्थिक स्थिति पर ही फोकस रखते हैं। विश्वास दिलाते हैं कि आप तभी बच सकते हैं। जब आपके मूल खाते में उससे कोई लेनदेन नहीं हुआ हो। व्यक्ति भी ठगों पर विश्वास कर लेता है। यहीं से शुरू होता है साइबर ठगों का पूरा खेल। साइबर ठग आरबीआइ के नाम पर फर्जी खाता भेजते हैं। इसमें ही आनलाइन या बैंक भेजकर पीड़ित से आरटीजीएस आदि करवाते हैं। 50 लाख से एक करोड़ या इससे ज्यादा धनराशि होने पर बैंक के पूछने पर पीड़ित की ओर से संपत्ति खरीदने की बात कहलवाई जाती है।परिवार और पुलिस को क्यों नहीं बता पाते?
पीड़ित व साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि पीड़ित को शुरुआती बातचीत में ही गोपनीयता बरतने पर जोर देना शुरू कर दिया जाता है। इसके पीछे लोकल पुलिस और सामाजिक प्रतिष्ठा खराब होने का डर दिखाया जाता है। मनोवैज्ञानिक रूप से एनसीआर का कोई व्यक्ति इन दो बातों से विशेष रूप से डरता है।चूंकि पुलिस खुद जांच एजेंसी हैं इसलिए पीड़ित का लोकल पुलिस की ओर ध्यान नहीं जाता है। परिवार को इसलिए नहीं बता पाता है क्योकि पहले ही ठग सावधान कर देते हैं। परिवार के किसी भी सदस्य को बताने पर उसका नाम भी केस में आएगा। व्यक्ति इसके चलते परिवार के सदस्यों से भी गोपनीयता रखता है। एसीपी साइबर सेल गौतमबुद्ध नगर विवेक रंजन राय ने बताया कि पीड़ितों की शिकायत पर मुकमदे दर्ज कराए जा रहे हैं। ठगों में शामिल आराेपितों को गिरफ्तार किया जा रहा है और ठगी की धनराशि को फ्रीज कराकर पीड़ितों को वापस भी कराया जा रहा है।वर्षवार साइबर ठगी के दर्ज मुकदमे
वर्ष | मुकदमे |
2020 | 14 |
2021 | 32 |
2022 | 49 |
2023 | 183 |
2024 | 100 |
इस तरह बरतें सतर्कता
- किसी कंपनी का हेल्पलाइन नंबर उसकी आधिकारिक वेबसाइट से लें।
- प्रतिबंधित वेबसाइट का उपयोग करने से बचें।
- इंटरनेट मीडिया अपुष्ट वीडियो में दिए मोबाइल नंबर पर काल करने से बचें।
- शेयर निवेश व आईपीओ प्रशिक्षण, वीडियो, वेब पेज लाइक कर मोटी कमाई होने के झांसे में न आएं।
- सरकारी विभाग के नाम से काल कर भुगतान करने से पहले पुष्ट करें।