ग्रेटर नोएडा के इस कॉलेज में बिना गुरुजी चल रही जीव, रसायन विज्ञान और कॉमर्स की कक्षाएं, स्टूडेंट्स को सता रहा परीक्षा का डर
शासन की ओर से भले ही दावे किए जा रहे हो कि शिक्षा के क्षेत्र में क्रातिंकारी बदलाव हो रहे हैं लेकिन उनके दावों की पोल कॉलेज में प्रवक्ताओं की नियुक्ति नहीं होने से खुल रही है। मायावती के शासन काल में सुविधाओं के लेंस रहने वाला कॉलेज कई सालों से अपनी बदहाली से जूझ रहा है। यहां पर्याप्त टीचर न होने से छात्राओं को परेशानी हो रही है।
By Ankur TripathiEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 18 Dec 2023 01:24 PM (IST)
अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। यूपी बोर्ड की 22 फरवरी से परीक्षा शुरू हो रही है। परीक्षा के नजदीक आते ही सोनिया(बदला हुआ नाम) को डर लगने लगा है। रसायन व जीव विज्ञान के कई ऐसे टापिक अभी तक क्लियर नहीं हो पाए है,जिनसे परीक्षा में करीब 20 अंकों के सवाल पूछे जाएंगे।
यह हाल केवल सोनिया का ही नहीं बल्कि कॉलेज की करीब 200 से अधिक छात्राओं का है। कुमारी मायावती बालिका राजकीय इंटर कॉलेज में सात साल से जीव, रसायन विज्ञान और कॉमर्स के प्रवक्ता नहीं होने से छात्राओं को हर साल संघर्ष करना पड़ रहा है।
कई सालों से बदहाली से जूझ रहा कॉलेज
शासन की ओर से भले ही दावे किए जा रहे हो कि शिक्षा के क्षेत्र में क्रातिंकारी बदलाव हो रहे हैं, लेकिन उनके दावों की पोल कॉलेज में प्रवक्ताओं की नियुक्ति नहीं होने से खुल रही है। मायावती के शासन काल में सुविधाओं के लेंस रहने वाला कॉलेज कई सालों से अपनी बदहाली से जूझ रहा है।कॉलेज की ओर से इन विषयों को पढ़ाने के लिए निजी शिक्षकों को रखा गया है, लेकिन वह भी अपनी शर्तों के अनुसार पढ़ाने आते है। कभी दो घंटे तो किसी दिन आधे घंटे की क्लास लेकर चले जाते है।
12 हजार रुपये में कोई भी निजी शिक्षक रुकने को तैयार नहीं है। शिक्षकों के नहीं होने के कारण छात्राओं के कई टापिक के संदेह दूर नहीं हो पा रहे है। कॉलेज में 11वीं और 12 वीं में करीब 200 से अधिक छात्राओं का नामांकन हैं। यही हाल कामर्स की छात्राओं का भी है।
आर्थिक रुप से कमजोर छात्राओं के अभिभावक उन्हें किसी प्रकार कॉलेज में पढ़ा रहे है। वहां भी शिक्षकों की कमी होने से उन्हें शिक्षा मिलने में परेशानी हो रही है। ग्रामीण परिक्षेत्र से आने वाली छात्राओं के अभिभावकों की हैसियत कोचिंग में रुपये देने की नहीं है।
उन्हें उम्मीद होती है कि कॉलेज में ही उनकी सभी परेशानी दूर हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है,जिससे अभिभावक भी बहुत चिंतत है।
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