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Noida News: दक्षिण एशियाई देशों से संबंधों को मजबूती देंगे बौद्ध भित्ति चित्र

राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान के शोधार्थी भारत और थाईलैंड की भित्ति चित्रों पर काम कर रहे हैं। इससे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से भारत के संबंध मजबूत होंगे। बुधवार को एशिया के बौद्ध भित्ति चित्रों का भारत से संबंध विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया।

By Ajay ChauhanEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 29 Sep 2022 10:54 AM (IST)
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Noida News: दक्षिण एशियाई देशों से संबंधों को मजबूती देंगे बौद्ध भित्ति चित्र
नोएडा, जागरण संवाददाता। भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म पर बने भित्ति चित्र भारत को पूरे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ते हैं। कला-संस्कृति के साथ सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। भारत सरकार पूरे क्षेत्र के बौद्ध भित्ति चित्रों को संजोने के लिए द्विपक्षीय शोध को बढ़ावा दे रही है। संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान (एनएमआइ) दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध भित्ति चित्रों की परंपरा और निरंतरता पर शोध कर रहा है।

एनएमआइ की निदेशक डा. अनुपा पांडेय ने बताया कि बौद्ध भित्ति चित्र पर बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ है। भारत के चित्रों पर जापानी लोग काफी काम कर रहे हैं। उनकी तकनीक भी समृद्ध है। भारतीयों को भी उनके साथ काम करना चाहिए।

इसी को देखते हुए एनएमआइ इस क्षेत्र में शोध कर रहा है। यह दक्षिण एशियाई देशों में भारत के प्रति मैत्रीपूर्ण भावना पैदा करेगा, जो भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। हाल में पश्चिम में भी बौद्ध धर्म को लेकर रुचि बढ़ रही है। इससे भारत के लिए यह और महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

चीन व म्यांमार से लद्दाख व अजंता के चित्र

एनएमआइ परिसर में बुधवार को एशिया के बौद्ध भित्ति चित्रों का भारत से संबंध विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें शामिल जापानी शोधार्थियों ने लद्दाख और अजंता के भित्ति चित्रों की चीन और म्यांमार से समानता पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। क्योटो सिटी विश्वविद्यालय आफ आर्ट की एसोसिएट प्रोफेसर शोगाकी मसाको ने भित्ति चित्रों को सहेजने के लिए जापानी स्टाइल के चित्रों के रिप्रोडक्शन के विविध पहलुओं पर जानकारी दी।

नेशनल म्यूजियम आफ एथ्नालोजी जापान के एसोसिएट प्रोफेसर सुमोरी कौरू ने चीन और लद्धाख के भित्ति चित्रों की समानता के विभिन्न साक्ष्य प्रस्तुत किए। टोक्यो यूनिवर्सिटी आफ फारेन स्टडीज के तेराई जुनिचि ने म्यांमार और लद्दाख के चित्रों की समानता बताई। इसमें शाक्यमुनि के जीवन पर आधारित चित्रों का विश्लेषण किया।

मेकांग-गंगा सहयोग की अहम भूमिका

एनएमआइ की कला इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डा. सविता कुमारी ने बताया कि विदेश मंत्रालय मेकांग-गंगा सहयोग पर काम कर रहा है। इसमें भारत, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम संयुक्त रूप से पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा, परिवहन व संचार को लेकर काम करेंगे। दोनों ही नदियों का ऐतिहासिक महत्व है। हमने इसको लेकर विदेश मंत्रालय को पत्र भेजा है, जिससे हम अपने प्रोजेक्ट के साथ ही इस पर भी काम कर सकें।

भारत पर विशाल विरासत को संजोने की जिम्मेदारी : सुमोरी कौरू

जापानी शोधार्थी सुमोरी कौरू ने बताया कि बौद्ध भित्ति चित्र पुरातन इतिहास व कला के महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। भारत में अन्य देशों की तुलना में इनकी विशाल विरासत है। ऐसे में भारत पर संरक्षण की जिम्मेदारी भी अधिक है। इसमें अभी और काम होना चाहिए।

यह पूरे विश्व के लिए अनमोल धरोहर है। पहले मूल स्वरूप के संरक्षण को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। अगर जरूरत पड़ती है तो पुनरुत्पादन पर भी काम किया जाए। दोनों देश साथ भी काम कर सकते हैं। पूर्व में अजंता की गुफा पर भी भारत-जापान काम कर चुके हैं।

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