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Noida: पुराना है बिल्डर और बिजली निगम का गठजोड़, करोड़ों रुपये का ऐसे करते हैं खेल

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बिल्डर और बिजली निगम का पुराना गठजोड़ है। खासकर अस्थायी कनेक्शन की आड़ में लंबे समय से नोएडा जोन में खेल चल रहा है। इससे पहले भी बड़ी कार्रवाई हो चुकी है। बिल्डरों से सांठगांठ कर निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा चुका है।

By GeetarjunEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 11:14 PM (IST)
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पुराना है बिल्डर और बिजली निगम का गठजोड़, करोड़ों रुपये का ऐसे करते हैं खेल।

नोएडा [अजय चौहान]। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बिल्डर और बिजली निगम का पुराना गठजोड़ है। खासकर अस्थायी कनेक्शन की आड़ में, लंबे समय से नोएडा जोन में खेल चल रहा है। इससे पहले भी बड़ी कार्रवाई हो चुकी है। बिल्डरों से सांठगांठ कर निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने को लेकर शासन से सितंबर 2021 में 23 इंजीनियरों को दूसरे डिस्काम में भेजा गया था।

बाद में इस मामले में अधिशासी अभियंता प्रभात कुमार सिंह, उपखंड अधिकारी चंद्रवीर, अवर अभियंता विशाल शर्मा को बर्खास्त कर 13 कर्मिकों पर दंडात्मक कार्रवाई की गई थी। 2021 में ही ग्रेटर नोएडा में गौर संस बिल्डर को 5200 केवीए का बिजली कनेक्शन देने में निगम को 8.36 करोड़ का राजस्व नुकसान पहुंचाने के मामले में तत्कालीन अधीक्षण अभियंता राना, ग्रेटर नोएडा खंड के तत्कालीन अधिशासी अभियंता लाल सिंह राकेश और उपखंड अधिकारी अजय कुमार को बर्खास्त किया गया, जबकि पांच अधिकारियों का एक वर्ष तक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश हुए थे।

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200 उपभोक्ताओं को दिए थे अस्थायी कनेक्शन

निगम की ओर से कराई गई अस्थायी कनेक्शन की जांच में जिले में आठ से 10 वर्ष पुराने अस्थायी कनेक्शन चलने की बात सामने आई थी। बिल्डरों समेत 200 से अधिक उपभोक्ताओं को अस्थायी कनेक्शन देकर निगम को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया था। रिपोर्ट में सेक्टर-168, सेक्टर-94 और सेक्टर-153 में स्थित कई निर्माणाधीन भवनों का उल्लेख भी किया गया था। इसके बाद भी स्थानीय अधिकारी नहीं चेते।

मार्च में दिए गए थे नोटिस भी बेअसर

अस्थायी कनेक्शन की जांच में नोएडा जोन में बड़ी अनियमितता सामने आने के बाद मार्च में निगम ने आनन-फानन बिल्डरों को नोटिस जारी किए थे। सभी को अस्थायी कनेक्शन को स्थायी करने को कहा था, लेकिन हिलसन सोसायटी का मामला सामने आने के बाद साफ है कि कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति के लिए की गई थी।

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ऐसे चलता है अस्थायी कनेक्शन का खेल

बिल्डर द्वारा निर्माण कराने के लिए अस्थायी कनेक्शन लिया जाता है। काम पूरा हो जाने बाद उसे स्थायी कराना होता है। उसके बाद ही घरेलू आपूर्ति हो सकती है। स्थायी कनेक्शन के लिए सोसायटी की कुल रिहायश के अनुसार अधिक क्षमता का कनेक्शन लेना होता है। इसके लिए बड़ा ट्रांसफार्मर या सब स्टेशन बनवाना पड़ता है।

इसका खर्च बिल्डर को ही उठाना पड़ता है। बिल्डर अधिकारियों से सांठगांठ कर अस्थायी कनेक्शन पर ही निवासियों को आपूर्ति शुरू कर देते हैं। इससे अस्थायी कनेक्शन में आने वाला खर्च बच जाता है। साथ ही अस्थायी कनेक्शन का टैरिफ अधिक होने से निवासियों को महंगी दरों पर बिजली मिलती है।