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निठारी केस में CBI ने दिखाई बड़ी लापरवाही! सुरेंद्र कोली के कबूलनामे की असली चिप HC में कभी नहीं हुई पेश

निठारी कांड मामले की इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक आडियो और वीडियो क्लिप पेश की गई। जांच एजेंसी सीबीआई की तरफ से दावा किया गया कि यह वह क्लिप है जो की सुरेंद्र कोली ने घटना के बाद मजिस्ट्रेट के सामने कबूलनामा किया था। हालांकि हाई कोर्ट में सुरेंद्र कोली के कबूलनामे की आडियो-वीडियो क्लिप टिक नहीं सकी।

By Praveen SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Wed, 18 Oct 2023 11:01 PM (IST)
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निठारी कांड मामले की इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक आडियो और वीडियो क्लिप पेश की गई।

प्रवीण विक्रम सिंह, ग्रेटर नोएडा। निठारी कांड मामले की इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक आडियो और वीडियो क्लिप पेश की गई। जांच एजेंसी सीबीआई की तरफ से दावा किया गया कि यह वह क्लिप है जो की सुरेंद्र कोली ने घटना के बाद मजिस्ट्रेट के सामने कबूलनामा किया था।

हालांकि, हाई कोर्ट में सुरेंद्र कोली के कबूलनामे की ऑडियो-वीडियो क्लिप टिक नहीं सकी। हैरानी की बात यह रही कि हाई कोर्ट में सीबीआई आडियो-वीडियो कबूलनामे की असली चिप पेश नहीं कर पाई। हाई कोर्ट ने कहा कि जिस कैमरे से रिकॉर्डिंग की गई है उसकी असली चिप कभी हाई कोर्ट में नहीं आई।

सुरेंद्र कोली के नहीं कराए थे हस्ताक्षर

दरअसल, डुप्लीकेट चिप को पेश कर दावा किया गया कि यह कोली का कबूलनामा है। यह सीबीआई की लापरवाही रही है। कबूलनामा दस्तावेज पर सुरेंद्र कोली का हस्ताक्षर भी नहीं मिला, जो कि जांच के दौरान कराया जाना था। ऐसे में यह कैसे मान लिया जाए कि यह कबूलनामा उसी का है और उसकी मर्जी से क्लिप बनाई गई है।

बिना कोली के हस्ताक्षर के रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करना लापरवाही की श्रेणी में माना गया है। हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत किसी भी आरोपित का आडियो वीडियो कबूलनामे के लिखित दस्तावेज पर हस्ताक्षर होना जरूरी है।

दरअसल, सीआरपीसी की धारा 164 के तहत किसी भी आरोपित का आडियो वीडियो रिकार्ड करना नियमों का उल्लंघन है। सीआरपीसी की धारा 164 इसकी अनुमति नहीं देती है। इसके बाद भी जांच एजेंसी ने इसको अपनाया।

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कोर्ट ने यह भी कहा कि कथन से यह भी स्पष्ट नहीं है कि आडियो वीडियो रिकार्डिंग के दौरान कोली को कानूनी सहायता प्रदान की गई। कोली के कबूलनामे में कहा गया कि उसने इंसान के शरीर के कटे हुए अंगों का एक पालीथिन बैग में डालकर पंधेर की कोठी के पीछे गैलरी में फेंक दिए। यदि ऐसा होता तो एक ही तरह के पालीथिन बैग का ढेर वहां लग जाना चाहिए था, जबकि ऐसा नहीं हुआ है।

इस संदेह का लाभ कोली को मिला। कबूलनामे में यह भी कहा गया कि पालीथिन के बैग को जमीन में गहराई से दबाया गया। इसके विपरीत जांच एजेंसी ने जो सबूत लिस्ट हाई कोर्ट में पेश की उसमें कहा गया कि खोपड़ी व हड्डियां जमीन में गाड़ दी गई थी, एक भी पूरा शव नहीं मिला। सबूत व कबूलनामा अलग-अलग पाया गया।

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आज होगी रिहाई

गौतमबुद्धनगर के लुकसर गांव स्थित जिला जेल में बंद मोनिंदर पंधेर की रिहाई आज यानी बृहस्पतिवार को होगी। कोर्ट से उसकी रिहाई से संबंधित एक परवाना बुधवार को जिला जेल पहुंच गया है जबकि दूसरा परवाना बृहस्पतिवार को पहुंचने की उम्मीद है। रिहाई के दौरान जेल के आस-पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहेंगे।

बिहार के मामले का हुआ जिक्र

निठारी कांड मामले में 308 पन्ने का फैसला सुनाते दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि मुन्ना पांडेय बनाम बिहार राज्य के इसी साल आए फैसले में न्यायिक प्रक्रिया का कुशल संचालन दिखा। हाई कोर्ट ने अमेरिकी लेखक और राजनीतिक विशेषज्ञ हैरी ब्राउन के कथन का उदाहरण दिया। कहा कि किसी भी साक्ष्य का सम्मान तभी होता है, जब विचारण निष्पक्ष हो।

रिपोर्ट इनपुट- प्रवीण विक्रम सिंह

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