Move to Jagran APP

हवा ही नहीं दिल्ली-एनसीआर में नदियां भी हुईं जहरीली, छठ पूजा में तीन दिन बाकी; आचमन लायक जल नहीं, बेदी लायक नहीं घाट

यमुना नदी छठ के दौरान व्रतियाें के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र होती है। हजारों छठव्रती जल में खड़े होकर सूर्य उपासना करते हैं। इस समय यमुना और हरनंदी दोनों के जल और किनारों की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां छठव्रती आचमन कर सकें। जिन श्रद्धालुओं को जल में खड़े होकर व्रत पारण करना है उनके लिए स्थिति अच्छी नजर नहीं आ रही है।

By Lokesh ChauhanEdited By: Pooja TripathiUpdated: Tue, 14 Nov 2023 02:29 PM (IST)
Hero Image
मैली यमुना, सफाई की आस : यमुना के जल पर तैरते गंदगी के झाग और किनारों पर फैला कूड़ा।
लोकेश चौहान, नोएडा। हरनंदी और यमुना, दोनों ही छठ के दौरान व्रतियाें के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र होती है। दोनों स्थानों पर हजारों छठव्रती जल में खड़े होकर सूर्य उपासना करते हैं।

इस समय यमुना और हरनंदी दोनों के जल और किनारों की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां छठव्रती आचमन कर सकें। जिन श्रद्धालुओं को जल में खड़े होकर व्रत पारण करना है, उनके लिए स्थिति अच्छी नजर नहीं आ रही है।

तीन दिन शेष और तैयारियां...

छठ व्रत शुरू होने में तीन दिन शेष हैं, लेकिन अब तक जिले से गुजरने वाली दोनों नदियों के किनारे प्रशासन की तरफ से अब तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे छठ व्रतियों को किसी प्रकार की कोई सुविधा मिल सके।

16-17 नवंबर में बेदी बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। जिससे नदी किनारे पूजा का स्थान सुनिश्चित किया जा सके।

17 नवंबर को होगी छठ की शुरुआत

36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू होगा। 18 नवंबर को खरना की पूजा से होगी। 19 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा।

20 नवंबर को उदीयमान भास्कर को अर्ध्य देने के बाद बेदी पर पूजा कर व्रत पारण किया जाएगा। व्रत शुरू किए जाने से पहले घाट बनाने के साथ वहां बेदी बनाने का कार्य किया जाता है। जिस करने के लिए श्रद्धालुओं ने स्वयं ही नदी किनारे सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है।

कई स्थानों पर शुरू हुआ कृत्रिम घाट बनाने का कार्य

शहर में कई स्थानों पर कृत्रिम घाट बनाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन इसमें अब तक प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है। श्रद्धालुओं का मानना है कि नदी किनारे घाट बनाने के साथ बेदी बनाकर वहां पूजा करना बेहतर होता है।

बहते हुए पानी में खड़े होकर व्रत पारण करने का अपना महत्व है। हालांकि प्रशासन को इस दिशा में अपने कार्य समय रहते शुरू किए जाने चाहिए, जिससे समय पर घाट की सफाई होने के साथ श्रद्धालुओं को बेदी बनाने और पूजा करने की सुविधा मिल सके।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।