Ramotsav in Noida: जो ऊपर से कुछ दिख रहे हैं, वो अंदर जाकर देखें तो कुछ और दिखेंगे- सुधांशु त्रिवेदी
जिन्हें आप ऊपर से देख रहे हैं उनके अंदर झांककर देखेंगे तो वे कुछ और दिखाई देंगे। जैसे कि श्रीराम जन्मभूमि की जमीन के सर्वे में पता चला था कि ऊपर मस्जिद और नीचे मंदिर के खंभे हैं। रावण भी माता सीता का अपहरण करने साधु का वेश बदलकर आया। माता सीता उन्हें साधु मानकर लक्ष्मण रेखा पार कर बाहर आ गई और उनका अपहरण हो गया।
अवनीश मिश्र, ग्रेटर नोएडा। जिन्हें आप ऊपर से देख रहे हैं उनके अंदर झांककर देखेंगे तो वे कुछ और दिखाई देंगे। जैसे कि श्रीराम जन्मभूमि की जमीन के सर्वे में पता चला था कि ऊपर मस्जिद और नीचे मंदिर के खंभे हैं। रावण भी माता सीता का अपहरण करने साधु का वेश बदलकर आया। माता सीता उन्हें साधु मानकर लक्ष्मण रेखा पार कर बाहर आ गई और उनका अपहरण हो गया। युवा पीढ़ी खासकर बेटियों को यह बात समझनी होगी। यह बातें दैनिक जागरण के श्रीरामोत्सव कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने दैनिक जागरण द्वारा ग्रेटर नोएडा के जीएल बजाज इंस्टीट्यूट में आयोजित रामोत्सव में कहीं।
ग्रेटर नोएडा स्थित जीएल बजाज कॉलेज में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित श्रीरामोत्सव कार्यक्रम के दौरान जय श्रीराम का नारा लगाते छात्र-छात्राएं।
उन्होंने कहा कि संयोग बहुत अच्छे घटित हो रहे हैं। सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ गया है।सौभाग्य का सूर्य भी उत्तरायण की तरफ बढ़ रहा है। भारत का सूर्य भी आगे बढ़ रहा है। श्रीराम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि 30 वर्ष पहले की बात है। जब वह छात्र थे। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन चल रहा था। अप्रैल 1987 में अयोध्या में रैली हुई।
बालक के रूप में उस रैली में शामिल हुआ। उसके बाद शिला पूजन का आयोजन हुआ। चार छात्रावासों में शिला पूजन कराने की जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने कहा कि मन में राम रमे और प्राण में सीता। भगवान राम और भारतीय समाज की संवदेना का समन्वय हुआ। जन-जन में राम राम रमे, प्राण-प्राण में सीता हैं। यदि राम नहीं सांसों में तो प्राणों का घर रीता है।नर नाहर श्री पुरुषोत्तम का मंदिर भव्य बनाएंगे।
सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे। उन्होंने समाजवादी पार्टी सरकार का नाम लिए बगैर कहा कि उस समय शासन में बैठे लोगों ने ऐसे ही नहीं कहा था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। 29 व 30 अक्टूबर 1990 को लखनऊ की सभी उड़ानें रद थीं। निजी वाहनों पर रोक थी। लखनऊ से अयोध्या तक जगह-जगह बैरियर लगे थे। विवादित ढांचे के चारों ओर 12 फीट ऊंचे कंटीले तार बांधे गए थे।
गांव-गांव पगडंडियों से होकर रामभक्त अयोध्या पहुंचे। 30 अक्टूबर 1990 को यूपी रोडवेज की बस आई जो पीएसी को लाने-ले जाने के लिए होती थी। साधु-बाबा उसमें चढ़ गए। वह बस वहां पहुंच गई जहां कंटीले तार से बैरियर लगाए गए थे। खिड़कियों से निकलकर लोग बस की छत से होकर कंटीले तार को फांद कर अंदर गए। गेट का ताला तोड़ दिया। इसकी खीज निकालने के लिए दो नवंबर 1990 को अयोध्या में भजन कर रहे कारसेवकों पर गोलियां चलवा दीं। अब वह कहते हैं कि हमारा आमंत्रण कब आएगा? यह वक्त का बदलाव है।
सेक्युलर का सही अर्थ नहीं बताते
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमें सेक्युलर-सेक्युलर समझाया जा रहा है। सेक्युलर का मतलब धर्म निरपेक्ष नहीं होता है। इसका मतलब डिक्शनरी में भौतिकवादी या अध्यात्म विरोधी है लेकिन धर्मनिरपेक्ष कहकर इस देश को धर्म से अलग करने का प्रयास किया गया। यह सरासर गलत है। संसद में लोकसभा स्पीकर के पीछे धर्म चक्र बना है।
विकास की बात भी करिए और मंदिर की भी। जब राम मंदिर आंदोलन चला उस समय की सरकार क्या कर रही थी। बेरोजगारी प्रचंड पर थी। कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि तब वह लोग बेरोजगारी और आर्थिक विकास की बात नहीं करते थे। उसे विवादित ढांचा की बजाय मस्जिद कहा और राजनीति की। उन्होंने कहा कि अगर सोमनाथ मंदिर का समाधान हो सकता था तो श्रीराम मंदिर का भी समाधान भी हो सकता था लेकिन उस समय की सरकारों ने ऐसा नहीं होने दिया।
विश्व गुरु की ओर बढ़ रहा भारत
उन्होंने कहा कि एक शब्द लेफ्ट लिबरल है, जो लेफ्ट है वह कभी लिबरल हो नहीं सकता। उन्होंने विकास और धर्म को एक धुरी के दो पहिए बताए। उदाहरण देते हुए कहा कि जब विवादित ढांचा गिरा तो सरकारी सोना गिरवीं रखा था। अब भव्य श्रीराम मंदिर बन रहा है तो ग्रोथ रेट तेजी से बढ़ रहा है। अब 620 मीलियन डालर की ग्रोथ है। विश्व में इन्फ्रास्ट्रक्चर में हम नंबर वन हैं। चांद के अछूते कोने पर पहुंच गए।
लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं का मार्ग प्रशस्त किया गया है। अंग्रेजों के जमाने के नियम, एक्ट, इंडियन पैनल कोर्ट समाप्त हो रहे हैं। भारतीय न्याय संहिता बनी है। अगले पांच साल में बहुत कुछ होने जा रहा है। कोई भी आपराधिक मामला होगा तो निर्णय तीन साल में आएगा। इस वजह से भारत का प्राण धर्म है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अमृत काल की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि इस अमृत काल के पांच संकल्प हैं। देश को विकसित राष्ट्र बनाना है। गुलामी की मानसिकता के प्रभाव से हर तरह से मुक्त होना है। अपनी विरासत पर हमको गर्व करना है तो आप देखिए की गुलामी की उस मानसिकता से बाहर आने की व्यवस्था हर प्रकार से बन रही है। हमारे सामने स्वर्णिम भविष्य और गौरवशाली इतिहास है।
माता-पिता व गुरु की राय पर चलें
किशोरों और युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल के बच्चे ब्रेकअप की बात करते हैं लेकिन ब्रेकअप हो जाए तो प्रेम नहीं हो सकता।प्रेम होगा तो सांसों से ब्रेक होगा, प्रेम से नहीं। उन्होंने रामायण के किरदारों से युवा पीढ़ी को अच्छे व बुरे लोगों की पहचान करने का तरीका बताते हुए कहा कि सीता माता का हरण करने रावण भी साधु बनकर आया था इसलिए किशोरियों व युवतियों को रावण की पहचान होनी चाहिए। इसी तरह किशोरों व युवकों को सूर्पनखा की पहचान करना आना चाहिए। इसके लिए माता-पिता और गुरुओं का मार्गदर्शन लेना होगा।
संकल्प हो रहा पूरा
युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छी तरीके से समझ लीजिए कि भारत में एक बड़ा बदलाव आया है। भगवान श्रीराम का मंदिर उस बड़े बदलाव का प्रतीक है। प्रभु श्रीराम ऐसे हैं जिसे पूरा विश्व मानता है। इंडोनेशिया में हमारे देश से ज्यादा रामलीलाएं होती हैं। इंडोनेशिया से लेकर हांडुरस तक भगवान राम का वह प्रभाव है। हमारी संस्कृति का प्रभाव है। इसे सकारात्मक लेने की जरूरत है। यही हमें विश्व गुरु के पद पर स्थापित करेगा।