Nithari Kand: पुलिस की नाकामी...बेटी के अफसर बनने का सपना, बच्ची की मौत वाले दिन की मां ने सुनाई कहानी
Nithari Kand निठारी कांड मामले में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित परिवार में एक महिला नीलम 25 सितंबर 2006 की घटना का जिक्र करते हुए कहती हैं कि आज पुलिस की नाकामी से मेरी बच्ची को न्याय नहीं मिला है। वह आगे कहती हैं कि मेरी बेटी पुलिस अफसर बनकर लोगों को न्याय दिलाने की बात कहती थी।
By MOHD BilalEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Mon, 16 Oct 2023 07:08 PM (IST)
मोहम्मद बिलाल, नोएडा। मेरी बेटी पढ़ने में होशियार थी। वह बड़े होकर पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को न्याय दिलाने की बात कहती थी, लेकिन आज पुलिस की नाकामी से मेरी बच्ची को न्याय नहीं मिला है। हम गरीब लोग हैं क्या कर सकते हैं, अब तो सिर्फ भगवान ही न्याय करेगा।
यह शब्द निठारी कांड मामले में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित परिवार के हैं। सेक्टर-30 स्थित पुराने घर को छोड़कर पांच साल पहले सेक्टर-122 में रहने के लिए पहुंची नीलम की उम्र अब 46 साल हो चुकी है।
2006 की घटना का किया जिक्र
25 सितंबर 2006 की घटना का जिक्र करते हुए बताती है कि सुबह बेटी आरती (8) और बड़ा बेटा निठारी के पास एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई के लिए गए थे। आइकार्ड बनाए जाने के कारण स्कूल में जल्दी छुट्टी होने के कारण दोनों बच्चे दोपहर 12 बजे घर आ गए थे।फिर बेटी निठारी गांव में रहने वाली एक सहेली के घर जाने की बात कहकर गई थी। शाम चार बजे तक वह वापस नहीं लौटी तो तलाश की। तब नवरात्र होने के कारण आसपास की रामलीला मेले में भी उसकी खोज की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। घटना के वक्त तब एक घर में चालक के रूप में काम करने वाले पति दुर्गाप्रसाद मालिक के बेटे को लेने गए थे।
24 घंटे बाद पुलिसकर्मी ने आने को कहा
पति वापस घर आए तो रात करीब 11 बजे निठारी चौकी पर बेटी के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पहुंचे। यहां मौजूद महिला पुलिसकर्मी ने कहा कि 24 घंटे बाद आए। अगले दिन पुलिस की ओर से रिपोर्ट तो दर्ज कर ली गई, लेकिन बेटी को ढूंढने के कोई प्रयास नहीं किए गए।कपड़े और चप्पल देख उड़ गए थे होश
घटना के तीन माह बाद दिसबंर में सूचना आई कि निठारी के पास नाले में कंकाल मिले हैं। पुलिस ने पूछताछ के लिए सेक्टर-20 स्थित कोतवाली बुलाया था। जहां बच्ची की गुलाबी रंग की टॉप, नीले रंग की जींस व हवाई चप्पल दिखाई गई। जिससे देखकर यह समझ आ गया कि उनकी बेटी की हत्या हुई है।
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इसके बाद डीएनए टेस्ट के लिए पति और बेटे का नमूना लिया गया। रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई। घटना के बाद बयान देने के लिए वह और पति कई कई बार गाजियाबाद स्थित सीबीआई कोर्ट गए। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने पांच लाख रुपये व 26 गज का प्लाट सेक्टर-122 में दिया था।
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