Noida Traffic News: न कलर कोड, न रूट, न तय किराया तो क्यों न लगे ट्रैफिक; ऑटो की वजह से इन जगहों पर लगता है ज्यादा जाम
नोएडा में ऑटो के लिए कलर कोड रूट और तय किराया न होने से ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 19 हजार से अधिक ऑटो पंजीकृत हैं। इनमें लगभग दो हजार से अधिक ऑटो एनसीआर परमिट के हैं। ऑटो चालक अपनी मर्जी से किसी भी रूट पर वाहन दौड़ाने लगते हैं। ऑटो चालकों की मनमानी जाम और लोगों की समस्या का कारण बन रही है।
मोहम्मद बिलाल, नोएडा। औद्योगिक नगरी में ऑटो, टेंपो के कारण लगने वाले ट्रैफिक जाम को खत्म करने के लिए ट्रैफिक पुलिस लेकर परिवहन निगम तक खूब योजनाएं बनाई गई, लेकिन योजना पर धरातल पर काम नहीं होने के कारण लोगों को ट्रैफिक जाम से निजात नहीं मिल पा रही है। नतीजन जिले में चलने वाले ऑटो के लिए ना तो कोई कलर कोड व्यवस्था, ना रूट निर्धारित और ना किराया।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 19 हजार से अधिक ऑटो पंजीकृत हैं। इनमें लगभग दो हजार से अधिक ऑटो एनसीआर परमिट के हैं। तीन हजार ऑटो की फिटनेस खत्म है, लेकिन इनमें से भी अधिकतर ऑटो सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
2021 में बनी थी कलर कोड व्यवस्था लागू करने की योजना
करीब नौ साल पहले जिला प्रशासन ने बढ़ती ऑटो की संख्या के कारण नए परमिट जारी करने पर रोक लगा दी थी, जो कि अभी भी जारी है। ऑटो व्यवस्थित तरीके से रूट पर दौड़े इसके लिए ट्रैफिक पुलिस की ओर से फरवरी 2021 में कलर कोड व्यवस्था लागू करने की योजना बनाई गई थी।योजना के तहत शहर सेक्टर-62 से 15 के बीच चलने वाले ऑटो को सिटी परमिट, सेक्टर-37 से सूरजपुर के रूट के बीच चलने वाले ऑटो को ग्रेटर नोएडा परमिट व एनसीआर में चलने वाले ऑटो को एनसीआर परमिट दिए जाने थे। जिससे परमिट से अलग चलने वाले ऑटो की कलर कोड के हिसाब से पहचान कर कार्रवाई की जा सके, लेकिन योजना को दो साल बाद भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
ऐसे में ऑटो चालक अपनी मर्जी से किसी भी रूट पर वाहन दौड़ाने लगते हैं। ऑटो चालकों की मनमानी जाम और लोगों की समस्या का कारण बन रही है। अभी ज्यादा मुनाफे वाले रूट पर ऑटो की अधिक संख्या होने के कारण जाम लगता है।
ऑटो में नहीं होता है मीटर
शहर के औद्योगिक और आवासीय सेक्टरों को जोड़ने के लिए कई रूटों का निर्धारण किया गया था, लेकिन ऑटो चालकों की मनमानी ऐसी कि इन रूटों पर चलने के बजाए वे अपना रूट खुद ही तय कर निकलते हैं।
परमिट शर्त के अनुसार ऑटो में मीटर लगाना अनिवार्य है। चालक यदि मीटर नहीं लगाते हैं या मीटर से सवारी नहीं बैठाते हैं तो यह शर्त का उल्लंघन है। लेकिन शहर में विभिन्न रूट पर दौड़ रहे ऑटो में मीटर नहीं है।अभी शहर में सिटी बस का संचालन नहीं होने के कारण कई बार लोग ऑटो बुक करते हैं, लेकिन शहर ऑटो चालक मनमाना किराये वसूलते हैं। इससे सवारी और चालकों में बहसबाजी होती है।
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- मॉडल टाउन से गोल चक्कर वाया लेबर चौक, सेक्टर 12/22 व उद्योग मार्ग
- मॉडल टाउन से सेक्टर 37 वाया सेक्टर 71, होशियारपुर व सिटी सेंटर
- सेक्टर 37 से नोएडा फेस-दो वाया बरौला, सलारपुर व भंगेल होते हुए सूरजपुर
- सेक्टर 37 से सेक्टर 15 गोलचक्कर
यहां रहता है यातायात सबसे ज्यादा प्रभावित
माडल टाउन, मामूरा चौक, सेक्टर-59, जेएसएस तिराहा, लेबर चौक, सेक्टर-56, सेक्टर-12-22, मेट्रो अस्पताल, हरौला, नया बांस तिराहा, गोलचक्कर, सिटी सेंटर, सेक्टर-37, सेक्टर-71, अट्टा।कलर कोड के यह हैं फायदें
- जाम की समस्या कम होती।
- एक रूट पर ऑटो की संख्या निर्धारित होती।
- ज्यादा संख्या में ऑटो एक रूट पर नहीं दौड़ते।
- सवारी कलर के जरिये पहचान सकती है कि ऑटो कहां से कहां तक जाएगा।
- अन्य जिलों के ऑटो जिले में दौड़ने मिलने पर आसानी से पकड़े जा सकते थे।
अवैध तरीके से शहर में चलने वाले ऑटो पर समय-समय पर कार्रवाई होती है। बिना परमिट ऑटो के संचालक के अंकुश लगाने के लिए अभियान भी चलाया जा रहा है।
-अनिल कुमार, यादव, डीसीपी ट्रैफिक