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Shri Ramotsav In Noida: जब मीडिया संशय में था, तब दैनिक जागरण का स्पष्ट उद्देश्य था मंदिर निर्माण

श्रीरामोत्सव में दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि 1989-90 में अयोध्या में जब प्रत्यक्ष गतिविधियां आरंभ हुईं उस समय दैनिक जागरण समाचार पत्र ने उत्तरदायित्व का निर्वहन किया। आज एक शब्द सबके राम बार-बार आ रहा है स्लोगन हो गया है। श्रीरामोत्सव की थीम भी सबके राम है। इसे लेकर प्रधान संपादक का कहना था कि हम उन राम के उपासक हैं जो सबके हैं।

By Dharmendra Kumar Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Tue, 16 Jan 2024 11:08 PM (IST)
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श्रीरामोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी। जागरण
आदित्य त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। 1942 में जिस परिवार ने दैनिक जागरण की स्थापना कि वह राष्ट्रीयता से ओतप्रोत था, उसमें राष्ट्रवाद था। संस्कृत, हिंदी और भारतीयता के प्रति एक सौजन्यपूर्ण आग्रह था। उस परिवार के गुणसूत्र में यह तत्व कूट-कूट कर भरे थे, उसी का परिणाम था कि राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ के पहले चरण 1985-86 में जब मीडिया संशय में था कि वह इस मुहिम में किस प्रकार की भूमिका का निर्वहन करे।

दैनिक जागरण का एक मात्र उद्देश्य मंदिर का निर्माण 

तब पहले दिन से ही दैनिक जागरण ने एक स्पष्ट मंतव्य, उद्देश्य, संकल्प लेकर अपने योगदान को परिभाषित कर दिया था कि हमारा एक मात्र उद्देश्य अयोध्या में, अयोध्या धाम में, अयोध्या जी में भगवान श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण है और होना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की दुविधा नहीं है। यह बातें मंगलवार को श्रीरामोत्सव में दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने कहीं।

उन दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान दैनिक जागरण के प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन और लखनऊ यूनिट के स्थानीय संपादक विनोद शुक्ल थे। अयोध्या लखनऊ यूनिट के जिलों में था और मैं भी उस यूनिट का हिस्सा था। उस समय दैनिक जागरण में जो कवरेज था, उसमें प्रधान संपादक की दृष्टि और स्थानीय संपादक की स़ृष्टि थी, उनका मिशन था।

1989-90 की गतिविधियों का किया जिक्र

1989-90 में अयोध्या में जब प्रत्यक्ष गतिविधियां आरंभ हुईं, उस समय दैनिक जागरण समाचार पत्र ने उत्तरदायित्व का निर्वहन किया। आज एक शब्द सबके राम बार-बार आ रहा है, स्लोगन हो गया है। श्रीरामोत्सव की थीम भी सबके राम है। इसे लेकर प्रधान संपादक का कहना था कि हम उन राम के उपासक हैं, जो सबके हैं।

सबके राम दो दृृष्टि से होते हैं, एक राम वो हैं जो महर्षि वाल्मिकी के हैं, जो दशरथ के पुत्र हैं। एक राम वो हैं जो गोस्वामी तुलसीदास के हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं। प्रधान संपादक की द़ृष्टि में राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ दैनिक जागरण के लिए एक यज्ञ, अनुष्ठान था न कि प्रचार प्रसार का कोई प्रक्रम।

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