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Noida News: तीन लाख छात्रों की पौने तीन करोड़ रुपये फीस करनी होगी एडजस्ट, 100 स्कूलों पर लग चुका है जुर्माना

अभिभावकों का कहना हैं कि जिन स्कूलों के खिलाफ दंड लगाया गया। उनके नाम सार्वजनिक किये जाए। इसके साथ ही दंड की राशि जमा करने वाले स्कूलों के नाम भी अभिभावकों को बताए जाए। हाई कोर्ट के आदेश आने के बाद 50 स्कूलों ने ही छात्रों की फीस समायोजित की थी। जबकि 300 से अधिक स्कूलों ने कोर्ट के आदेश को नहीं माना था।

By Ankur TripathiEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sat, 14 Oct 2023 10:12 AM (IST)
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Noida: तीन लाख छात्रों की पौने तीन करोड़ रुपये फीस करनी होगी एडजस्ट
अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर लगी रोक हटा दी है, जिसमें निजी स्कूलों को कोरोना काल यानी 2020-21 सत्र के दौरान ली गई स्कूल फीस का 15 फीसदी समायोजित या भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

जिले में कितने स्कूल हो रहे संचालित?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद से जिले के अभिभावकों में खुशी की लहर है। अभिभावकों ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की हैं कि जल्द कोर्ट के आदेश का पालन कराया जाए, जिससे अभिभावकों को राहत मिल सके। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 350 से अधिक स्कूल संचालित हो रहे है।

हाई कोर्ट के आदेश आने के बाद 50 स्कूलों ने ही छात्रों की फीस समायोजित की थी। जबकि 300 से अधिक स्कूलों ने कोर्ट के आदेश को नहीं माना था। 300 स्कूलों में पढ़ाई कर रहे करीब तीन लाख छात्रों की पौने तीन करोड़ रुपये फीस समायोजित व वापस करनी होगी।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में संचालित हो रहे कई स्कूलों में 15 हजार से अधिक महीने की फीस है। वहीं कई स्कूलों में फीस आठ से नौ हजार रुपये फीस ली जा रही है।

हर साल कितने रुपये जमा कर रहे अभिभावक? 

एक अभिभावक हर साल करीब 80 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये फीस जमा कर रहे है। अभिभावक राकेश कुमार का कहना हैं कि जिला प्रशासन को स्कूलों से कोर्ट का आदेश का पालन कराना चाहिए। पालन नहीं करने वाले स्कूलों पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

अभिभावक गौरी सिंह ने बताया कि जिले के निजी स्कूल कमाई का अड्डा बन गए है। वह कापी- किताब से लेकर कई शुल्क लगा कर अभिभावकों को लूट रहे है। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) को स्कूलों को पत्र जारी करके अभिभावकों को जल्द से जल्द राहत दिलानी चाहिए।

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100 स्कूलों पर लग चुका है जुर्माना

जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने हाई कोर्ट का आदेश नहीं मनाने वाले 100 से अधिक स्कूलों के ऊपर एक एक लाख रुपये दंड लगाया था। आरोपित दंड की धनराशि जमा न करने वाले चार स्कूलों के खिलाफ आरसी वसूली की भी कार्रवाई की गई थी।

अभिभावकों का कहना हैं कि प्रशासन की कार्रवाई केवल दिखावे के लिए की गई थी,जिन स्कूलों के खिलाफ दंड लगाया गया। उनके नाम सार्वजनिक किये जाए। इसके साथ ही दंड की राशि जमा करने वाले स्कूलों के नाम भी अभिभावकों को बताए जाए।

कुछ स्कूलों ने की फीस समायोजित

दंड लगने के बाद कुछ स्कूलों ने 15 प्रतिशत फीस समायोजित की,लेकिन जिले के अधिकतर स्कूलों ने न तो फीस समायोजित की और न ही स्कूल छोड़ चुके बच्चों की फीस वापस की। वहीं कुछ स्कूलों ने जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) को अवगत कराया हैं कि उन्होंने छात्रों से फीस नहीं ली थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम इसका स्वागत करते है। उम्मीद है कि प्रशासन इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन कराएगा। यदि एक हफ्ते के अंदर सभी स्कूलों ने इसका अनुपालन नहीं किया तो हम सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे।

- सुखपाल सिंह तूर,संस्थापक एनसीआर पेरेंट्स एसोसिएशन

सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को कोई राहत नहीं दी है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को ढुलमुल रवैया छोड़कर निजी स्कूलों के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए फीस वापसी सुनिश्चित करानी चाहिए। करीब 100 स्कूलों पर जुर्माने और वसूली की लिस्ट सार्वजनिक करते हुए जुर्माना जमा न करने वालों पर पुन: जुर्माना लगाना चाहिए।

- मनीष कुमार, अभिभावक

50 से अधिक स्कूलों ने फीस समायोजित करने की जानकारी दी है। कोर्ट के आदेश की कापी अभी मिली नहीं है। कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। स्कूलों से शत प्रतिशत फीस वापस या समायोजित कराई जाएगी।

- डॉ. धर्मवीर सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक

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