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गौतमबुद्ध नगर के चार परिषदीय स्कूलों पर लटक सकता है ताला, छात्र से अधिक है शिक्षकों की संख्या

गौतमबुद्ध नगर में परिषदीय स्कूलों को संवारा जा रहा है। भले ही स्कूलों का कायाकल्प हो रहा हो लेकिन यहां पर लगातार छात्रों की संख्या कम होती जा रही है। हाल ही में शासन की ओर से जनपद के 152 स्कूलों की सूची जारी की गई थी जिनमें 50 से कम छात्रों का नामांकन था। उनमें दनकौर जेवर और दादरी के ही 132 स्कूल शामिल थे।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Sat, 03 Aug 2024 04:29 PM (IST)
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गौतमबुद्ध नगर के चार परिषदीय स्कूलों पर लटक सकता है ताला।

अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले गौतमबुद्ध नगर के चार परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के कारण ताला लटक सकता है। यदि ऐसा होता है तो इनमें पढ़ने वाले बच्चों को नजदीक के स्कूल में स्थानांतरित किया जाएगा। इससे उन्हें दिक्कत होगी। शिक्षक अन्य स्कूल में समायोजित होंगे।

बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से परिषदीय स्कूलों को संवारा जा रहा है। भले ही स्कूलों का कायाकल्प हो रहा हो, लेकिन स्कूलों से लगातार छात्रों की संख्या कम होती जा रही है। हाल ही में शासन की ओर से जनपद के 152 स्कूलों की सूची जारी की गई थी, जिनमें 50 से कम छात्रों का नामांकन था। उनमें दनकौर, जेवर और दादरी के ही 132 स्कूल शामिल थे। दादरी ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल रोशनगढ़ी और प्राथमिक स्कूल नई बील में कई कक्षाओं में एक भी छात्र का नामांकन नहीं है। 

दोनों स्कूलों में दो-दो छात्रों का ही नामांकन है। दनकौर ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल बूढ़ा घरबरा और प्राथमिक स्कूल मिल्क खरेली भाव में भी छात्रों की संख्या 10 से कम है। चारों स्कूलों में शिक्षकों की संख्या तीन-तीन से अधिक है। नई शिक्षा नीति के तहत एक शिक्षक 30 छात्रों को पढ़ाएगा, लेकिन यहां छात्रों से अधिक शिक्षक तैनात हैं।

नामांकन बढ़ाने की नहीं बनी योजना

पिछले कई महीनों से स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो रही है। उसके बाद भी शिक्षा विभाग की ओर से होने कोई रणनीति नहीं बनाई गई। पिछले सत्र में शिक्षकों ने घर-घर जाकर अभिभावकों को परिषदीय स्कूलों में मिल रही सुविधाओं के बारे में अवगत कराया था,लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला। आउट आफ स्कूल छात्रों की गांव- गांव जाकर पहचान करनी थी। उस अभियान को भी गति नहीं मिल पाई।

आबादी नहीं होने का शिक्षक बता रहे कारण

छात्रों की संख्या कम होने का कारण शिक्षक आबादी नहीं होना बता रहे है। शिक्षकों का कहना है कि मजरा में दो तीन परिवार ही रहते हैं। जो संपन्न परिवार हैं। वह अपने बच्चों को परिषदीय स्कूलों में नहीं भेजना चाहते हैं। वहीं नई बील स्कूल ईस्टन परिफेरल के पास में है। जहां आए दिन हादसे होते हैं। हादसों के डर के कारण अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं।

प्राथमिक स्कूल नई बील को बील अकबरपुर में मर्ज करने का प्रस्ताव भेजा गया है। रोशनगढ़ी में आबादी कम होने के कारण छात्रों की संख्या कम हैं। - नरेंद्र श्रीवास्तव, खंड शिक्षा अधिकारी, दादरी

छात्रों की संख्या क्यों कम हो रही है? इसकी पड़ताल की जाएगी। उसके बाद आगे की योजना बनाकर शासन को भेजा जाएगा। - राहुल पंवार, बीएसए

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