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'तीन हजार दो, बिना जांच सर्टिफिकेट लो'; नोएडा में वाहनों की फिटनेस के नाम पर चल रहा फर्जीवाड़ा

गौतमबुद्ध नगर में 1.20 लाख व्यावसायिक वाहन है। आठ वर्ष तक इनकी दो-दो वर्ष पर व इसके बाद प्रति वर्ष फिटनेस करानी अनिवार्य है। इसके लिए 944 रुपये सरकारी शुल्क भी तय है। खामियों व फिटनेस परीक्षण में अनफिट होने पर वाहन स्वामी इन दलालों के पास पहुंचते हैं। वह विभागीय मिलीभगत से फिटनेस करा देते हैं। परिवहन विभाग के अनुसार जिले में प्रतिदिन 50 वाहनों की फिटनेस होती है।

By Ajay Chauhan Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 18 Aug 2024 12:15 PM (IST)
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एआरटीओ कार्यालय के पीछे फिटनेस परीक्षण केंद्र होती वाहन की जांच। फोटो- जागरण
अजय चौहान, नोएडा। परिवहन विभाग में वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट के नाम पर खुलेआम खेल चल रहा है। दलाल डंके की चोट पर तीन हजार रुपये में हर तरह के ऑटो और चार से पांच हजार रुपये में बस का फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने का दावा कर रहे हैं। विभाग में कागजी कार्रवाई से लेकर फिटनेस में पास कराने तक की सारी जिम्मेदारी ले रहे हैं।

दैनिक जागरण संवाददाता ने सेक्टर-33 स्थित उपसंभागीय परिवहन कार्यालय के पीछे बने फिटनेस जांच केंद्र पर दो दिन तक व्यवस्था की पड़ताल की तो पूरा खेल सामने आया। दलाल ने फिटनेस कराने से लेकर विभाग में जाने वाले सुविधा शुल्क का भी हिसाब गिनाया। ऐसे में विभाग के अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है।

संवाददाता व दलाल के बीच संवाद

  • संवाददाता - भैया, एक मिनट सुनो।
  • दलाल - क्या होना है आपका ?
  • संवाददाता - हमारे तीन ऑटो चलते हैं। उनकी फिटनेस होनी है।
  • दलाल - तीन हजार रुपये फिटनेस का है। सारी सिरदर्दी मेरी है। आप गाड़ी लेकर आओ और ले जाओ। तीन हजार रुपये प्रति ऑटो लेंगे।
  • संवाददाता - जो दूसरे काम होने हैं। वो भी इसमें ही रहेगा।
  • दलाल - हां, सब हो जाएगा। पट्टी लगाने, फोटो खिंचाने और नंबर लगाने का सब काम मेरा रहेगा।
  • संवाददाता - अंदर कोई दिक्कत नहीं आएगी।
  • दलाल - नहीं, कोई दिक्कत नहीं होगी। आप केवल पेपर ले आना।
  • संवाददाता - पेपर क्या लाने होंगे।
  • दलाल - इंश्योरेंस, प्रदूषण और सारे कागज ले आना।
  • संवाददाता - भैया, कुछ कम कर दो। कुछ ज्यादा है।
  • दलाल - सर, तीन हजार रुपये जाते हैं। उसमें स्टीकर, गाड़ी नंबर और फोटो, फीस की सारी टेंशन मेरी होती है।
  • संवाददाता - अरे तो अंदर से कुछ कम करा दो भाई। जो अंदर लेते हैं।
  • दलाल - अंदर वाले ही तो कम नहीं करते हैं। अंदर वाले कम कर देते तो फिर हम कर देते। उनका तो फिक्स है।
  • संवाददाता - अंदर कितना जाता है।
  • दलाल - आठ सौ रुपये एक जाता है और छह सौ रुपये एक जाता है।
  • संवाददाता - मतलब आरआइ साहब को आठ सौ रुपये जाता होगा।
  • दलाल - हां, और दो सौ रुपये फाइल का जाता है ऊपर। फाइल निकलती है।
  • संवाददाता - फाइल निकालने का दो सौ रुपये जाता है। वह बाबू लेते होंगे।
  • दलाल - वो फाइल निकालने का अलग है। ये आठ सौ अलग है। छह रुपये वो ऑनलाइन के लिए जो फोटो खिंचा जाता है। उसका जाता है।
  • संवाददाता - फोटो तो आरआइ साहब खींचते होंगे या आप ही खींच देते हैं।
  • दलाल - नहीं, आरआइ साहब चेक करते हैं। उनका लड़का फोटो खींचता है।
  • संवाददाता - 25 सौ कर दीजिए।
  • दलाल - न, नहीं होगा।

पहली बार मेरे संज्ञान में ऐसा मामला आया है। अभी लखनऊ जा रहा हूं। दो दिन बाद नोएडा आकर जांच करूंगा।

- पीके सिंह, आरटीओ प्रशासन गाजियाबाद संभाग

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