Move to Jagran APP

गार्डेनिया समूह मामले में प्राधिकरण को गौतमबुद्धनगर कमर्शियल कोर्ट से झटका, समन जारी

गौतमबुद्धनगर कमर्शियल कोर्ट ने गार्डेनिया समूह मामले में जवाब दाखिल करने के लिए प्राधिकरण को समन भी जारी किया। अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। सेक्टर-75 इको सिटी के लिए छह लाख वर्ग मीटर जमीन एम्स मैक्स गार्डेनिया डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड है। 31 दिसंबर 2023 तक 1717.29 करोड़ रुपये बकाया था। डेवलपर लगभग 14 सालों से विकास कार्य कर रहा है।

By Kundan Tiwari Edited By: Abhishek Tiwari Published: Thu, 04 Jul 2024 08:14 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 08:14 AM (IST)
अदालत ने प्राधिकरण द्वारा 60000 वर्ग मीटर कामर्शियल भूमि को रद्द करना अव्यवहारिक बताया।

जागरण संवाददाता, नोएडा। गौतमबुद्धनगर कमर्शियल कोर्ट ने गार्डेनिया समूह के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। प्राधिकरण ने बकाया नहीं देने पर डेवलपर का भूमि आवंटन आंशिक रूप से रद कर दिया था। बिना बिकी इनवेंट्री को जब्त कर लिया था।

अदालत ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से कंपनी को अपूर्णीय क्षति होगी। जीबी नगर कमर्शियल कोर्ट के पीठासीन अधिकारी इंदर प्रीत सिंह जोश ने अपने आदेश में नोएडा प्राधिकरण को डेवलपर की संपत्ति को कब्जा मुक्त करने और सुनवाई की अगली तारीख तक नीलामी, डे टू डे कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा पैदा करने से रोक दिया है।

12 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। सेक्टर-75 इको सिटी में डेवलपर द्वारा कुल छह लाख वर्ग मीटर जमीन में से 60 हजार वर्ग मीटर जमीन पर कमर्शियल निर्माणाधीन अनसोल्ड ब्लाक है। इसकी लीज डीड निरस्त कर यहां ब्लाक ए, बी, सी एंड डी को अटैच करने का निर्णय लिया गया था।

प्राधिकरण के खाते में जमा किए थे एक करोड़ रुपये

इसकी नीलामी करने का आदेश दिया था। इसके बाद डेवलपर ने प्राधिकरण की कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी, जिसमें कहा कि उसने मई माह में अमिताभ कांत की सिफारिश के तहत प्राधिकरण को सहमति दे दी थी। साथ ही प्राधिकरण के खाते में एक करोड़ रुपये भी जमा किए थे।

अदालत ने पाया कि प्राधिकरण द्वारा 60000 वर्ग मीटर कामर्शियल भूमि को रद्द करना अव्यवहारिक है। डेवलपर को छह लाख वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी, जो संयुक्त संपत्ति थी। साथ ही इस संबंध में चार लीज डीड किए गए थे। जिनकी माप 330474.67, 23916, 209 668.87 और 35940.46 वर्ग मीटर है।

अदालत ने आदेश में कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि कोई भी लीज डीड 60,000 वर्गमीटर के लिए नहीं है। उपरोक्त चार लीज डीड में से 10 प्रतिशत कामर्शियल निर्माण के लिए है। इसलिए भूमि को रद करना अव्यवहारिक है।

14 सालों से विकास कार्य कर रहा है डेवलपर

अदालत के आदेश में कहा कि डेवलपर लगभग 14 सालों से विकास कार्य कर रहा है और उनके द्वारा काफी निवेश किया गया है। जहां तक अपूर्णीय क्षति का सवाल है, इस संबंध में कहा कि डेवलपर ने लगभग 470 आवंटियों के पक्ष में लीज डीड की है। इसके अलावा वादी एक निजी कंपनी है, जिसकी अपनी विश्वसनीयता है।

वादी ने बहुत अधिक निवेश किया है और संपत्ति पर निर्माण किया है। कई अन्य कंपनियों का भी वादी की संपत्ति पर अधिकार है। ऐसे में अगर उनका प्रोजेक्ट रद होता है तो तीसरे पक्ष के मुकदमे की पूरी संभावना है। इससे उनकी कंपनी की विश्वसनीयता को अपूर्णीय क्षति होगी और वित्तीय नुकसान भी होगा।

प्राधिकरण की कार्रवाई पर जीबी नगर कामर्शियल कोर्ट ने रोक लगाई है। आदेश को प्राधिकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देगा। विधि विभाग से विचार विमर्श किया जा रहा है।

-वंदना त्रिपाठी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.