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Durga Puja 2022: मिट्टी के भगवान देते हैं इन्हें रोजी रोटी का दान

मांगीलाल बताते हैं कि बाजार से खरीदी गई 100 रुपए की चॉक मिट्टी से एक मूर्ति तैयार हो जाती है इसके अलावा इन मूर्तियों पर इस्तेमाल किए जाने वाले रंग भी मिट्टी के ही होते हैं जो ज्यादा महंगे नहीं पड़ते।

By ghanshyam pal nirmalEdited By: Prateek KumarUpdated: Sun, 25 Sep 2022 10:33 PM (IST)
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मिट्टी के भगवान देते हैं इन्हें रोजी रोटी का दान
बिलासपुर, जागरण संवाददाता। गौतमबुद्ध नगर जिले में बिलासपुर क्षेत्र के कई स्थानों पर आजकल सड़कों पर मिट्टी के भगवान बेचे जाने का धंधा जोरों पर है। इनको बेचकर दर्जनों परिवारों की रोजी रोटी चल रही है। इन परिवारों को भी भगवान बेचने का यह धंधा खूब रास आ रहा है। गरीब के बच्चे पल रहे हैं, इसलिए यह लोग मिट्टी की बनी इन मूर्तियों को ही अपना भगवान मानते हैं।

भगवान की मूर्ति बिकने से चमक रहा रोजगार

ग्रेटर नोएडा से चंद किलोमीटर की दूरी पर सड़क किनारे करीब दर्जनों लोग मिट्टी के भगवान बनाने का धंधा कर रहे हैं। चॉक मिट्टी से तैयार इन मूर्तियों को बनाने में कोई खास लागत भी नहीं आती है। लेकिन इससे हुई इनकम से इनके परिवारों को तीन वक्त का भोजन और इनके बच्चों को नजदीक के सरकारी स्कूल में शिक्षा जरूर मिल जाती है। राजस्थान के जिला पाली से आए गांव पंचायतन, गिरधरपुर, जानीपुरा, पतला खेड़ा, घंघौला, लडपुरा में ऐसे दर्जनों परिवारों को सड़क किनारे मिट्टी की मूर्तियां बनाकर बेचते आसानी से देखा जा सकता है।

पूरे साल बनाते हैं मूर्ति

मिट्टी से भगवान बनाने के धंधे में लगे मांगीलाल ( मूर्तिकार ) बताते हैं, मूर्ति बनाने का इनका यह व्यवसाय पूरे साल चलता रहता है। नवरात्रों में यह लोग देवी की मूर्तियां बनाकर बेचते हैं। गणेश चतुर्थी से पहले सड़क किनारे पूरा माहौल गणपतिमय हो जाता है और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले सड़कों पर नजर आने लगते हैं राधा कृष्ण। आजकल विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों को तैयार किया गया है और इसके बाद लक्ष्मी गणेश व मां सरस्वती की मूर्तियां बनाई जाने लगेंगी।

100 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक होती है मूर्ति की कीमत

मांगीलाल बताते हैं कि बाजार से खरीदी गई 100 रुपए की चॉक मिट्टी से एक मूर्ति तैयार हो जाती है, इसके अलावा इन मूर्तियों पर इस्तेमाल किए जाने वाले रंग भी मिट्टी के ही होते हैं, जो ज्यादा महंगे नहीं पड़ते। एक मूर्ति 100 रुपए से लेकर ग्यारह हजार रुपए तक ( आकार के हिसाब से ) में बेची जाती है । मौका त्योहारों का हो तो भगवान इन पर मेहरबान रहते हैं, यानी अच्छी खासी इनकम हो जाती है । मांगीलाल बताते हैं कि अधिकतर मूर्तियां दुकानदारों व खरीदारों के अग्रिम राशि जमा किए जाने पर बनाई गई है । कुछ आम ग्राहकों के लिए भी तैयार हैं । अब धीरे धीरे क्षेत्र व दूरदराज से आने वाले आम ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

सड़क किनारे आम है यह नजारा

ग्रेटर नोएडा के कासना से खेरली नहर मुख्य सड़क पर इस तरह का धंधा फिलहाल हर गांवों के मुख्य सड़क मार्ग पर चल रहा है और लोगों की रोजी-रोटी इसी से चल रही है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस धंधे के गुर सिखाने वाला कोई नहीं है, एक दूसरे को देखकर कर और उसी से सीखकर सड़कों पर अव्वल दर्जे के मूर्तिकार पैदा हो रहे हैं । सब सांचे की उपलब्धता पर सुनिश्चित है । बहरहाल जो भी हो मिट्टी के यह छोटे-बड़े भगवान गरीब की जिंदगी में रंग तो भर ही रहे हैं ।

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