अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता नागर की पहल ने 400 लड़कियों के भविष्य को दी उड़ान
ग्रेटर नोएडा के सादुल्लापुर गांव में रहने वाली रेनू के परिवार ने कभी सोचा नहीं था कि उनकी बेटियां देश की राजधानी दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को संभालेंगी। उनके घर की भी स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह चारों लड़कियों को कहीं बाहर भेज कर तैयारी करा सकेलेकिन उनकी बेटियों के भविष्य को उड़ान देने में अहम किरदार गांव की बेटी व अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता नागर ने निभाया।
अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के सादुल्लापुर गांव में रहने वाली रेनू के परिवार ने कभी सोचा नहीं था कि उनकी बेटियां देश की राजधानी दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को संभालेंगी।
उनके घर की भी स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह चारों लड़कियों को कहीं बाहर भेज कर तैयारी करा सके,लेकिन उनकी बेटियों के भविष्य को उड़ान देने में अहम किरदार गांव की बेटी व अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता नागर ने निभाया।
हरियाणा शामली और आसपास के गांवों से आती हैं लड़कियां
बबिता नागर ने न केवल रेनू व उसकी बहन बल्कि 400 से अधिक लड़कियों के सपने को सच करने में योगदान दिया। रेनू व उसकी दो बहनें दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं। जबकि एक बहन आरपीएफ में देश की रक्षा कर रही है।
हरियाणा, शामली के साथ ही आसपास के गांव की कई लड़कियां अपने सपनों को साकार करने के लिए ग्रामीण स्पोर्ट्स एजुकेशनल सोसायटी में सुबह पांच बजे पसीना बहाने के लिए पहुंच जाती हैं।
हर एक लड़की से बबीता यही कहती हैं कि बदलाव प्रकृति का नियम है। खुद पर विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत है। वह हर उस लड़की की मदद करती हैं, जो अपने सपनों को लेकर उनके पास आती है।
यह है बबीता का पहला लक्ष्य
आज बबीता द्वारा चलाए जाने वाले संस्थान में करीब 100 से लड़कियां भविष्य की विजेता बनने की तैयारी में जुटी हुईं है। उनको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना ही बबीता का पहला लक्ष्य है।
बबिता ने बताया कि उन्होंने संस्थान ही इसलिए ही खोला हैं कि उनकी तरह किसी ओर लड़की को एक घंटे की ट्रेनिंग के लिए ट्रेन का सफर करके दिल्ली नहीं जाना पड़े।
बबीता को सुनने पड़ते थे ताने
उन्होंने बताया कि उनके घर के पास ही मारीपत स्टेशन है। वह प्रतिदिन एक घंटे की ट्रेनिंग लेने के लिए करीब छह से सात घंटे का सफर तय करती थीं।
उस दौरान उन्हें कई लोगों के ताने भी सुनने पड़ते थे,लेकिन तानों को ही उन्होंने शक्ति के रुप में बदल कर दिल्ली पुलिस में नौकरी का सफर तय किया।
नि:शुल्क दे रहीं ट्रेनिंग
2001 में दिल्ली पुलिस में भर्ती होने के बाद ही उन्होंने ठान लिया था कि वह उन गरीब परिवारों की लड़कियों को निश्शुल्क ट्रेनिंग देगी जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि 2015 से वह घर पर ही एकेडमी चला रही है।
उन्हें ये बात नागवार गुजरती थी जब लड़कों को हर तरह की आजादी की बात कही जाती थी और लड़कियों को सिर्फ चूल्हा-चौके तक ही सीमित रहने को कहा जाता था। उनके परिवार में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी।
उन्होंने परिवार से स्पष्ट कह दिया कि वह लड़कों की तरह जीना चाहती हैं, अपने सपनों को सच करना चाहती हैं। बचपन में लड़कों को कुश्ती करते देखा जिसके बाद उनका बालमन कुश्ती की तरह आकर्षित हो गया। वह कुश्ती करने लगीं और स्पोर्ट्स कोटा के तहत ही उन्हें दिल्ली पुलिस में नौकरी मिली।
इतने मिल चुके पदक
1999 में कुश्ती में प्रतिस्पर्धा शुरू करने के बाद से बबीता ने खुद एक कई पदक जीते हैं। उन्होंने इस साल कुश्ती में और आखिरी बार 68 किलोग्राम वर्ग में विश्व पुलिस और फायर गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 2013 से 2018 तक लगातार अखिल भारतीय पुलिस खेलों में भी पदक जीते हैं।
इन वर्षों में, उन्होंने महिला सीनियर और जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीते हैं। वर्ष 2005 में कामनवेल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व किया और रतज पदक जीता। दमदार प्रयास के कारण उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें यूथ आइकन अवार्ड से सम्मानित कर चुके है।
साथ ही वह दिल्ली पुलिस की सीपी गोल्ड मेडल भी जीत चुकी हैं। पिछले साल नीदरलैंड में आयोजित विश्व पुलिस और फायर गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सम्मानित किया था।
बबिता नागर की एकेडमी में ट्रेनिंग करने से ही दिल्ली पुलिस में चयन हो पाया है। कई लड़कियों ने मेरे चयन होने के बाद ही तैयारियां करना शुरू किया। यहां ट्रेनिंग की लड़कियां देश की सुरक्षा को संभाल रही हैं।- अंजली, वैदपुरा
मेरे साथ की कई लड़कियों का चयन दिल्ली पुलिस के साथ अन्य राज्यों की पुलिस में हुआ है। बबीता नागर की एकेडमी से वह फिजिकल की तैयारी कर रही है। एकेडमी की ओर से निश्शुल्क तैयारी कराई जाती है।- शिखा, खेड़ी